‘साक्ष्यों पर आधारित है राम मंदिर का निर्णय’
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तर प्रदेश

‘साक्ष्यों पर आधारित है राम मंदिर का निर्णय’

अयोध्या में रामलला के प्राकट्य दिवस पर एक गोष्ठी आयोजित

by WEB DESK
Jan 3, 2025, 02:05 pm IST
in उत्तर प्रदेश
दीप प्रज्ज्वलित कर गोष्ठी का उद्घाटन करते अतिथि। बाएं से दिख रहे हैं श्री चंपत राय, श्री रामविलास वेदांती और अन्य

दीप प्रज्ज्वलित कर गोष्ठी का उद्घाटन करते अतिथि। बाएं से दिख रहे हैं श्री चंपत राय, श्री रामविलास वेदांती और अन्य

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गत दिसंबर को अयोध्या में रामलला के प्राकट्य दिवस (22-23 दिसंबर, 1949) पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। इसका विषय था-‘रामलला का प्राकट्य और ठाकुर गुरुदत्त सिंह।’ इसके मुख्य वक्ता थे राम मंदिर पर निर्णय देने वाले लखनऊ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि का निर्णय विश्व का अविस्मरणीय न्यायालय वाद है, जिसमें एक धार्मिक संरचना को तोड़ कर बनाए गए ढांचे पर पुन: अधिकार पाने और निर्माण करने के लिए पूरी तरह से संवैधानिक और न्यायिक प्रक्रिया से निर्णय किया गया।

22-23 दिसंबर, 1949 की रात्रि को भगवान रामलला की मूर्ति के गर्भ गृह में प्रतिष्ठित होने के बाद उसे वहीं बने रहने जैसा साहसिक कार्य ठाकुर गुरुदत्त सिंह ने न किया होता तो जिस निर्णय पर आज राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, उसे आने में अभी समय लग सकता था। हो सकता है कि यह निर्णय कभी न हो पाता। उन्होंने कहा कि इस मुकदमे में केवल इस बिंदु पर लंबे समय तक बहस चली कि क्या भगवान राम अयोध्या में जन्मे? तब मैंने हस्तक्षेप कर विपक्ष के अधिवक्ता से ही पूछ लिया कि क्या उनको इस विषय पर कोई संशय है और न केवल पूछा, बल्कि वादियों की शंकाओं के समाधान के लिए उनसे सीआरपीसी की धारा 10(2) के तहत लिखित भी ले लिया और सबके हस्ताक्षर करवा लिए।

इसके बाद मुख्य बिंदु तय करने का समय आया कि भगवान रामलला का जन्म उसी गुंबद के नीचे हुआ था, जिसे गर्भगृह बताया जाता है। इसके भी अनेक साक्ष्य, उन्हीं बयानों, पुस्तकों के संदर्भों और साक्ष्यों में मिले, जो पहले से उपलब्ध थे। उन्होंने कहा कि धर्म आस्था का प्रश्न है, यह बात बिल्कुल ठीक है, लेकिन यह निर्णय केवल आस्था के आधार पर नहीं किया गया। निर्णय हवा में नहीं लिखा गया था। यह साक्ष्यों पर आधारित निर्णय था। इसमें विदेशी यात्रियों के संस्मरण भी उपयोग में लाए गए।

उन्होेंने कहा कि यह विश्व के इतिहास का अनोखा मामला है, जिसमें 500 साल पहले हुई घटना पर निर्णय किया गया हो। एक समुदाय 500 वर्ष तक एक अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर सकता है, और शांतिपूर्ण उस विवाद का हल होता है, यह भी एक मिसाल है। संगोष्ठी के अध्यक्ष और श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू जैसे प्रधानमंत्री के आदेश को न मानने जैसा कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। कौन उस समय ऐसे प्रधानमंत्री के निर्णय को न मानने का साहस कर सकता था।

ठाकुर गुरुदत्त सिंह ने 23 दिसंबर, 1949 को नेहरू जी के निर्णय को नहीं माना। यह साधारण घटना नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि प्रकरण ऐसे ही असाधारण घटनाओं के आधार पर निर्णय तक पहुंचा। यह एक ऐसा निर्णय है, जिसमें विज्ञान, आस्था, इतिहास, धर्मशास्त्र सबको आधार बनाया गया। यह कोई किसी कपोल कल्पना और केवल किताबी आधार पर हुआ निर्णय या कोई कथा या उपन्यास नहीं है। इसमें जिन प्रश्नों के उत्तर दिए गए, वे सरल नहीं थे। पुरातात्विक उत्खनन का समर्थन करना भी कठिन परिस्थिति थी। परिणाम कुछ भी हो सकता था।

उन्होंने कहा कि यह केवल राम मंदिर का प्रश्न नहीं था। यह हमारी अस्मिता, हमारे सम्मान और प्रतिष्ठा का भी प्रश्न था। यह हमारे राष्ट्र के सम्मान का संघर्ष था। इसलिए मैं रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ा, क्योंकि हमें एक परकीय द्वारा किए गए अपमान को सम्मान में बदलना था। राष्ट्र की संप्रभुता को 500 साल पहले जो क्षति पहुंचाई गई थी, उसकी पूर्ति करनी थी। गोष्ठी का आयोजन ‘ठाकुर गुरुदत्त सिंह स्मृति संस्थान’ ने किया था।

Topics: भगवान रामराम मंदिर का निर्माणconstruction of Ram templeपाञ्चजन्य विशेषFEATUREभगवान रामलला की मूर्तिठाकुर गुरुदत्त सिंहidol of lord ramlalaAyodhyathakur gurudutt singhअयोध्याLord Ram
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस: छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

India democracy dtrong Pew research

राहुल, खरगे जैसे तमाम नेताओं को जवाब है ये ‘प्‍यू’ का शोध, भारत में मजबूत है “लोकतंत्र”

कृषि कार्य में ड्रोन का इस्तेमाल करता एक किसान

समर्थ किसान, सशक्त देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

आरोपी मौलाना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर

बलरामपुर: धर्म की भूमि पर जिहादी मंसूबों की हार

kanwar yatra delhi

कांवड़ यात्रा 2025: मीट-मछली की दुकानें बंद, आर्थिक मदद भी, दिल्ली में UP वाला एक्शन

Punjab Khalistan police

पंजाब: पूर्व सैनिक गुरप्रीत सिंह गिरफ्तार, ISI को दे रहा था भारतीय सेना की खुफिया जानकारी

Pema Khandu Arunachal Pradesh Tibet

पेमा खांडू का चीन को करारा जवाब: अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग, तिब्बत से सटी है सीमा

Guru Purnima

Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा पर इन संस्कृत श्लोकों के साथ करें अपने गुरु का आभार व्यक्त

Kolhapuri Slippers Dispute

कोल्हापुरी चप्पल विवाद: चोरी की ये कहानी है पुरानी

प्रतीकात्मक तस्वीर

फ्री इलाज के लिए बनवाएं आयुष्मान कार्ड, जानें जरूरी डाक्यूमेंट्स और पूरा प्रोसेस

Tarrif War and restrictive globlization

प्रतिबंधात्मक वैश्वीकरण, एक वास्तविकता

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies