छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम की दाई माँ : विस्मृत वीरांगना डॉ. राधाबाई
May 23, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम की दाई माँ : विस्मृत वीरांगना डॉ. राधाबाई

"इतिहास के पन्नों से ओझल अद्भुत एवं अद्वितीय वीरांगना डॉ.राधाबाई वो महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक हैं जिन्होंने चिकित्सा शास्त्र में डिग्री नहीं ली बावजूद इसके उन्हें डॉ. की जन उपाधि मिली"।

by डॉ आनंद सिंह राणा
Jan 2, 2025, 01:30 pm IST
in भारत
डॉ. राधाबाई

डॉ. राधाबाई

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

“इतिहास के पन्नों से ओझल अद्भुत एवं अद्वितीय वीरांगना डॉ.राधाबाई वो महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक हैं जिन्होंने चिकित्सा शास्त्र में डिग्री नहीं ली बावजूद इसके उन्हें डॉक्टर की जन उपाधि मिली”। दुर्भाग्य देखिए की गाँधी जी ने भी कभी इस वीरांगना का न उल्लेख किया और न ही कभी रेखांकित किया। डॉ. राधाबाई का जन्म सन् 1875 में नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था,और मृत्यु 2 जनवरी, सन् 1950 में हुई।

प्रसिद्ध महिला स्वतंत्रता सेनानी तथा समाज सुधारकों में से एक थीं। गाँधी जी के सभी आंदोलनों में आगे रहीं। कौमी एकता, स्वदेशी, नारी-जागरण, अस्पृश्यता निवारण, शराबबंदी, इन सभी आन्दोलनों में उनकी भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण रही। समाज में प्रचलित कई कुप्रथाओं को समाप्त करने में भी राधाबाई का योगदान अविस्मरणीय है।

राधाबाई का जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में सन् 1875 ई. में हुआ था। उनका बहुत कम आयु में ही बाल विवाह हो गया था। जब वे मात्र नौ वर्ष की ही थीं, तभी विधवा हो गईं। पड़ोसिन के घर में उन्हें प्यारी-सी सखी मिली, जिसके साथ वे रहने लगीं। उसी के साथ वे हिन्दी सीखने लगीं और साथ ही दाई का काम भी करने लगीं थीं। लेकिन पड़ोसिन सखी भी एक दिन चल बसी। उसके बेटा-बेटी राधाबाई के भाई-बहन बने रहे। किसी को पता भी नहीं चलता था कि वे दूसरे परिवार की हैं।

सन 1918 में राधाबाई रायपुर आईं और नगरपालिका में दाई का काम करने लगीं। इतने प्रेम और लगन से वे अपना काम करतीं कि सबके लिए माँ बन गई थीं। जन उपाधि के रूप में राधाबाई डॉ. कहलाने लगी थीं। उनके सेवाभाव को देखकर नगरपालिका ने उनके लिए तांगे -घोड़े का इन्तजाम किया था।

सन् 1920 में जब गाँधी जी पहली बार रायपुर आये, तो डॉ. राधाबाई उनसे बहुत प्रभावित हुईं। सन् 1930 से 1942 तक हर एक सत्याग्रह में वे भाग लेती रहीं। न जाने कितनी ही बार वे जेल गई थीं। जेल के अधिकारी भी उनका आदर करते थे।
अस्पृश्यता के विरोध में राधाबाई ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण काम किया था। सफ़ाई कामगारों की बस्ती में वे जाती थीं और बस्ती की सफ़ाई किया करती थीं। उनके बच्चों को बड़े प्रेम से नहलाती थीं। उन बच्चों को पढ़ाती थीं। डॉ. राधाबाई धर्म-भेद नहीं मानती थीं। सभी धर्म के लोग उनके घर में आते थे।

समाज सुधार कार्य

जब महात्मा गाँधी 1920 में पहली बार रायपुर आये, उस वक्त धमतरी तहसील के कन्डेल नाम के गाँव में किसान सत्याग्रह चल रहा था। गाँधीजी का प्रभाव छत्तीसगढ़ में व्यापक रूप से पड़ा था। डॉ. राधाबाई तब से गाँधीजी द्वारा संचालित सभी आन्दोलनों में आगे रहीं। उस समय रोज़ प्रभातफेरी निकाली जाती थी। खादी बेचने में, चरखा चलाने में महिलाएँ आगे रहती थीं। महिलाएँ जो एकादशी महात्म्य सुनने के लिये आतीं, वे सब देशहित के बारे में चर्चा करने लगती थीं। डॉ. राधाबाई वहीं चरखा सिखाने बैठ जाती थीं। सब मिलकर गाती- “मेरे चरखे का टूटे न तार, चरखा चालू रहे।” ऐसा करते हुए वे अलग-अलग जगह घूमतीं। उनका मकान जो मोमिनपारा मस्जिद के सामने था, वहाँ और भी बहनें एकत्रित होती थीं- पार्वती बाई, रोहिणी बाई, कृष्ण बाई, सीता बाई, राजकुँवर बाई आदि।

चरखा कातने के बाद वे प्रभातफेरी निकालतीं। सत्याग्रह की तैयारी करतीं, सफाई टोली निकालतीं, पर्दा प्रथा रोकने की कोशिश करतीं, सदर बाज़ार का जगन्नाथ मन्दिर बनता सत्याग्रह स्थल। सब जाति की बहनें पर्दा प्रथा के विरुद्ध भाषण देतीं। मारवाड़ी समाज की महिलाएँ जो पर्दा प्रथा के कारण अपने-आप में घुटन महसूस करतीं, वे पूरी कोशिश करतीं इस प्रथा को ख़त्म करने की। छत्तीसगढ़ में पर्दा प्रथा नहीं थी। ब्लाउज़ पहनने की प्रथा भी नहीं थी। अगर कोई पहनती, तो कहा जाता कि नाचने वाली की पोशाक पहन रखी है। पण्डित सुंदरलाल शर्मा की पत्नी श्रीमती बोधनी बाई ने उनकी प्रेरणा से सबसे पहले ब्लाउज़ पहनना शुरू किया था। धीरे-धीरे सभी महिलाओं ने ब्लाउज़ पहनना शुरू कर दिया।

‘किसबिन नाचा’ का अंत अविस्मरणीय गाथा है। डॉ. राधाबाई का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण काम था “वेश्यावृत्ति में लगी बहिनों को मुक्ति दिलाना”। उस समय छत्तीसगढ़ के गाँवों और शहरों में सामंतों के यहाँ वेश्याओं का नाच हुआ करता था, जिसमें ‘देवदासी प्रथा’ और ‘मेड़नी प्रथा’ प्रमुख थी, इसे छत्तीसगढ़ी भाषा में “किसबिन नाचा” कहा जाता था। छत्तीसगढ़ के कई स्थानों पर यदा-कदा आज भी यह प्रथा जारी है। “किसबिन नाचा” करने वालों की अलग एक जाति ही बन गई थी। ये लोग अपने ही परिवार की कुँवारी लड़कियों को ‘किसबिन नाचा’ के लिये अर्पित करने लगे थे। डॉ. राधाबाई के साथ सभी ने इस प्रथा का विरोध किया और इस प्रथा को खत्म किया। खरोरा नाम के एक गाँव में इस प्रथा की समाप्ति सबसे पहले हुई थी। यहाँ के लोग खेती-बाड़ी करने लगे थे। यह अनोखा परिवर्तन राधाबाई के कारण ही सम्भव हुआ था।2 जनवरी, 1950 को डॉ. राधाबाई 75 वर्ष की आयु में देवलोक गमन हुआ। उनका मकान एक अनाथालय को दे दिया गया।

Topics: chhattisgarh newsस्वतंत्रता संग्रामपाञ्चजन्य विशेषस्वतंत्रता संग्राम की दाई माँविस्मृत वीरांगना डॉ. राधाबाईchhattisgarh hindi news
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Chhattisgarh anti-Naxal operation

दम तोड़ता ‘लाल आतंक’, लोकतंत्र का सूर्योदय

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे

पलटू पलटन

जिम्मेदार बने मीडिया और सोशल मीडिया

उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्रह्मोस मिसाइल का प्रतीक भेंट किया गया

‘ब्रह्मास्त्र’ है ब्रह्मोस

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी: 27 नक्सली ढेर, एक जवान बलिदान

सच दिखातीं सैटेलाइट तस्वीरें-भारत के सटीक हवाई हमले में ध्वस्त हुआ 1. नूर खान एयरबेस (बाएं), और 2. भोलारी एयरबेस का हैंगर (दाएं)

सच्ची तस्वीरें, झूठे शरीफ

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Chhattisgarh anti-Naxal operation

दम तोड़ता ‘लाल आतंक’, लोकतंत्र का सूर्योदय

दिल्ली में पकड़े गए 121 बांग्लादेशी घुसपैठिए

अमित शाह ने बताए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के 3 कारण

मध्य प्रदेश : शूटिंग कोच मोहसिन खान पर 2 और FIR दर्ज, मोबाइल में मिले 100 से ज्यादा अश्लील वीडियो

महाराष्ट्र : गढ़चिरौली मुठभेड़ में 4 लाल आतंकी ढेर, खतरनाक हथियार बरामद

‘राहुल गांधी के बयान देश की सुरक्षा के लिए घातक’

बिरसा हुंकार' के नए स्वरूप का लोकार्पण करते श्री सुनील आंबेकर (बाएं से चौथे)। साथ में हैं अन्य अतिथि

सत्य और तथ्य के साथ हो पत्रकारिता

कार्यक्रम

बॉर्डर एरिया में सेना के सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘पंचशूल पल्स’

AAP विधायक रमन अरोड़ा

AAP विधायक रमन अरोड़ा भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार

Sanjauli Mosque despute

संजौली मस्जिद विवाद फिर गरमाया, नमाज के विरोध में सड़क पर पढ़ी हनुमान चालीसा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies