बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अगुवाई बीएनपी की कट्टरपंथी सरकार एक तरफ हिन्दुओं का लगातार शोषण कर रही है, तो दूसरी ओर वहां की अदालत भी गिरफ्तार किए गए लोगों को जमानत भी नहीं दे रही है। ताजा मामला इस्कॉन के भिक्षु चिन्मय कृष्ण प्रभु की जमानत याचिका से जुड़ा है। जहां, बांग्लादेश की अदालत ने एक बार फिर से उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर किए जा रहे हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था। उनके खिलाफ बांग्लादेश की कट्टरपंथी सरकार बीएनपी के ही एक नेता ने ये एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोप लगाया गया था कि 25 अक्तूबर को हिन्दुओं द्वारा चटगांव के लालदीघी मैदान में उन्होंने जो रैली निकाली थी, उसमें राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया था।
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बाद में एक कार्यक्रम से लौटते वक्त चिन्मय कृष्ण दास को एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद इस्कॉन ने भी चिन्मय कृष्ण दास के साथ अपने सारे संबंध तोड़ दिए थे। इसके बाद कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। इसी तरह से अब एक बार फिर से इस्कॉन भिक्षु की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश की कट्टरपंथी सरकार में सहयोगी जमात एक इस्लामी खुलेआम हिन्दुओं की हत्या की धमकियां देता है, लेकिन मजाल है कि कोई उसके खिलाफ एक्शन ले। जबकि, इसके उलट हिन्दुओं पर लगातार किए जा रहे हमले पर सरकार चुप्पी साधे बैठी है।
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