लखनऊ के चारबाग इलाके में स्थित होटल शरणजीत में हुए हत्याकांड ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। यह कहानी किसी थ्रिलर फिल्म की पटकथा जैसी लगती है लेकिन अफसोस, यह हकीकत थी। आरोपित अरशद ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह क्राइम थ्रिलर सीरियल और फिल्में देखने का शौक़ीन था। उसने दृश्यम फिल्म करीब 10 बार देखी थी और फिल्म के डायलॉग और घटनाक्रम उसे ज़ुबानी याद थे। इसी मानसिकता के तहत उसने अपनी मां और चार बहनों की हत्या की पूरी योजना बनाई।
30 दिसंबर की शाम को अरशद अपने परिवार के साथ अजमेर से लखनऊ आया। चारबाग रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद, उन्होंने रेवड़ी मंडी स्थित होटल शरणजीत में कमरा नंबर 109 बुक कराया। होटल में ठहरने के दौरान वह परिवार के साथ घूमता रहा ताकि किसी को शक न हो।
नींद की गोलियां मिला दीं
31 दिसंबर की रात अरशद ने खाने में नींद की गोलियां मिला दीं, जिससे उसकी मां और बहनें गहरी नींद में चली गईं। इसके बाद उसने बड़ी बेरहमी से चारों बहनों की नस काटने के बाद दुपट्टे से उनका गला घोंट दिया। मां का भी गला घोंटने की कोशिश की गई लेकिन उसकी नसें नहीं काटी गईं।
हत्या की जानकारी
रात करीब 1 बजे अरशद और उसका पिता बदर होटल के बाहर टहलते नजर आए। जब होटल मैनेजर ने पूछा तो उन्होंने चाय पीने का बहाना बनाया। 4 बजे दोनों ने होटल छोड़ दिया। करीब सात बजे इंस्पेक्टर नाका वीरेंद्र त्रिपाठी और चौकी इंचार्ज कमल किशोर होटल पहुंचे। वहां पहुंचने पर उन्हें पांच लोगों की हत्या की जानकारी मिली।
पुलिस और होटल प्रबंधन की प्रतिक्रिया
सुबह 7 बजे पुलिस होटल पहुंची और मामले की जांच शुरू की। होटल में अन्य कमरे भी बुक थे, लेकिन किसी ने भी कोई चीखने की आवाज नहीं सुनी। होटल मैनेजर और अन्य स्टाफ को भी घटना की भनक नहीं लगी थी।
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