सागर मंथन के ‘सुशासन का अटल संकल्प’ सत्र में प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत सहगल से वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा ने बात की। प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश-
जब भी बात आती है शासन और सुशासन की तो स्वाभाविक तौर पर सरकार की नीतियों की बात होती है। अटल जी इस बारे में बहुत चिंतित रहते थे कि समाज के आखिरी व्यक्ति तक हमारी योजनाओं का लाभ कैसे पहुंचे। सुशासन का अर्थ है लोगों की आकांक्षाओं पर आप कैसे खरे उतरते हैं। सरकार सुरक्षित माहौल दे, सुविधाओं की लोगों तक पहुंच हो। लोगों को उसका लाभ भी मिले। सामान्यतया, लोग प्रशासन और सुशासन के बीच फर्क नहीं कर पाते। यहां तीन बातें कहूंगा- शासन, सुशासन और सुसेवा।
शासन का अर्थ है कोई नागरिक सरकारी दफ्तर में गया और सामने वाला अधिकारी उससे कहे कि अमुक नियम के अनुसार आपका काम नहीं हो सकता। सुशासन में समस्या का हल निकाला जाता है। जब मैं कलेक्टर या एसडीएम था तो हम लोग गांवों में जाया करते थे। उस दौरान पता चलता था कि समय पर महिलाओं को पेंशन नहीं मिल रही है। अब सरकार ने इसकी व्यवस्था ही बदल दी है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने जनधन के 53 करोड़ खाते खुलवाए हैं। पहले स्थिति ऐसी थी कि बैंक में किसी का खाता ही नहीं खुलता था। खाता खुलने से अब दिल्ली से एक क्लिक पर लोगों के खातों में पैसे जा रहे हैं। इसके अलावा बैंक सखी की सुविधा भी शुरू कर दी गई है। इस सुविधा के अंतर्गत कोई बैंक सखी आपके घर से पैसे लेकर बैंक में जमा करेगी और बैंक से निकालकर आप तक पहुंचाएगी भी। मैं इसे सेवा मानता हूं। गांवों में जाने से पता चलेगा कि यह महिलाओं के लिए कितनी बड़ी बात है। क्योंकि अगर एक गरीब महिला के पास 500 रुपए भी हैं तो वह उसके लिए बड़ी बात है।
इस देश में ऐसा भी हुआ है कि पहले सरकार एक रुपया भेजती थी, तो लाभार्थी तक केवल 15 पैसे ही पहुंचते थे। इसके अलावा महिलाओं के लिए सबसे बड़ी इज्जत की बात शौचालय थी। देश में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बने हैं। वास्तव में यह सेवा है। मुफ्त राशन सुविधा भी गरीब आदमी के लिए बहुत बड़ा संबल है। कोई भी राशन कार्डधारक अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर कहीं भी चला जाता है, उसे भी मुफ्त में राशन मिल रहा है। इससे बड़ी सेवा और क्या हो सकती है?
ऐसे ही युवाओं के लिए भी संभावनाओं के अनेक द्वार खुले हैं। ‘प्रधानमंत्री इंटर्नशिप प्रोग्राम’ के लिए करोड़ों की संख्या में युवाओं ने अपना पंजीकरण करवाया है। सरकार ने भी कंपनियों को इन बच्चों को नौकरियां देने का आदेश दिया है। इसके अलावा मेडिकल की बात करें तो पिछले 10 साल में 75,000 से अधिक मेडिकल सीटें बढ़ी हैं।
जरूरी नहीं है कि हर बच्चा नौकरी करे। अपने स्टार्टअप को भी शुरू कर सकते हैं। अब तक करीब 12 करोड़ से अधिक युवाओं को ‘प्रधानमंत्री युवा योजना’ के तहत ऋण दिया गया है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि स्टार्टअप से 30 लाख से अधिक बच्चों को रोजगार मिला है। यह अटल जी के सुशासन के संकल्प के तहत बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। यह सुशासन अब धीरे-धीरे सेवा की तरफ अग्रसर हो रहा है।
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