गत दिनों प्रयागराज में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह आयोजित हुआ। इसके मुख्य वक्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री सुरेश सोनी ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई कुशल प्रशासक, सफल रणनीतिकार, निष्पक्ष न्याय करने वाली लोक कल्याणकारी राज्य की आदर्श संस्थापिका थीं। उन्होंने नारी सशक्तिकरण की संकल्पना को सच्चे अर्थों में साकार किया। उनसे प्रेरणा लेकर 2047 तक भारत को विश्व गुरु बनाने का संकल्प पूरा किया जा सकता है। सच तो यह है कि उनकी शासन व्यवस्था से आज भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
उन्होंने भारतीय जीवन मूल्यों की पुन: प्रतिष्ठा की, निर्लिप्त भाव से राज्य का संचालन किया और अहिल्याबाई की जीवन गाथा से नारी सशक्तिकरण को नई परिभाषा दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान न्याय व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, कर प्रणाली तथा शासन की संपूर्ण व्यवस्था की सीख अहिल्याबाई की जीवन-गाथा से ली जा सकती है। उन्होंने सच्चे अर्थों में लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की। उन्होंने कृषकों को नुकसान की भरपाई की व्यवस्था की थी, लगान कम कर दिया था।
कर प्रणाली को लाभ कमाने का साधन नहीं, बल्कि राज्य संचालन का साधन बनाया। वस्त्र उद्योग मजबूत किया। वे भविष्य-द्रष्टा थीं। उन्होंने 1790 में एक पत्र लिखकर कहा था कि आने वाले समय में धूर्त अंग्रेज देश के संकट का कारण बनेंगे। वे शेर की तरह नहीं, बल्कि भालू की तरह धोखा देकर यहां के राज्य को हड़प लेंगे। उनकी भविष्यवाणी एकदम सच निकली। इसीलिए उनकी जीवन-गाथा का गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है।
समारोह की विशिष्ट अतिथि एवं लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति की राष्ट्रीय सचिव कैप्टन मीरा सिद्धार्थ दवे ने कहा कि अहिल्याबाई ने बड़ी विपरीत परिस्थितियों में राज्य का नेतृत्व संभाला और कुशलता से राज्य का संचालन किया। उन्होंने पहली बार महिला सेना का गठन किया, जिसके डर से उनके राज्य पर आक्रमण करने के लिए सीमा पर आए रघुनाथ राव को वापस लौटने के लिए विवश होना पड़ा।
विशिष्ट अतिथि एवं राष्ट्रीय समिति कार्याध्यक्ष अहिल्याबाई के वंशज उदय राजे होल्कर ने कहा कि अहिल्याबाई परोपकार की प्रतिमूर्ति थीं। निष्पक्ष न्याय के लिए तो उनके जैसा कोई दूसरा था ही नहीं। कार्यक्रम की अध्यक्ष लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रि-शताब्दी समारोह समिति की अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो. चंद्रकला पाड़िया ने कहा कि उनकी जयंती को आत्ममंथन दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।
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