बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: इस्लामी चरमपंथी एजेंडा और भारत पर इसके गहरे प्रभाव
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: इस्लामी चरमपंथी एजेंडा और भारत पर इसके गहरे प्रभाव

2009 से ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, तभी माना जा रहा था कि इसके पीछे असली खिलाड़ी इस्लामी चरमपंथी और खास तौर से जमात-ए-इस्लामी एवं कुछ विदेशी ताकतें जिम्मेदार हैं।

by अनिल पांडेय
Dec 28, 2024, 09:21 pm IST
in विश्व
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अवामी लीग की शीर्ष नेता और 2009 से ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, तभी माना जा रहा था कि इसके पीछे असली खिलाड़ी इस्लामी चरमपंथी और खास तौर से जमात-ए-इस्लामी एवं कुछ विदेशी ताकतें जिम्मेदार हैं जिनके बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री हसीना पहले भी इशारा कर चुकी थीं, न कि इस्लामी झुकाव वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता खालिदा जिया। वैसे भी अर्से से जिया के पास ऐसा कोई कैडर नहीं था जो इतना बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर सके।

यह हिंसक भीड़ जमात ए इस्लामी और उसके विभिन्न संगठनों की थी। एक पटकथा लिखे जाने के बाद शुरू हुआ यह आंदोलन जमात ए इस्लामी और कुछ विदेशी खुफिया एजेंसियों का था। जमात मुख्य ताकत थी और एजेंडा इस्लामी निजाम था। प्रधानमंत्री बनाए गए उदारवादी चेहरे वाले मुहम्मद युनूस चरमपंथी एजेंडे को छिपाने का बस एक मुखौटा थे। वे इस्लामी चरमपंथियों के हाथ का खिलौना हैं। मुखौटा अब उतर चुका है। असलियत सामने है और यह बर्बर है। युनूस के शासन की कोई वैधता नहीं है। वे इस्लामी चरमपंथियों की हिंसा के सहारे सत्ता पर काबिज हुए हैं और महज इस्लामी एजेंडे को लागू करने के लिए हैं।

अब इसमें रंच मात्र भी संशय नहीं कि बांग्लादेश बंगाली पहचान नहीं बल्कि इस्लामी पहचान के साथ भविष्य देख रहा है। वह किसी भी तरह की हिंदू पहचान और भारत के खिलाफ है। जय बांग्ला नारे पर फिलहाल रोक है, रवींद्र नाथ टैगोर, जगदीशचंद्र बसु जैसी बंगाली विभूतियों की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही हैं। उग्र इस्लामी भीड़ ने महान फिल्मकार ऋत्विक घटक के राजशाही स्थित पैतृक घर को तहस-नहस कर दिया। इस्कॉन को आतंकी संगठन घोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं जो शायद विश्व का सबसे अहिंसक संगठन है। यह एक शुद्ध शाकाहारी, गैर सांप्रदायिक और कीर्तन एवं सेवा आधारित संगठन है। बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथी ताकतों के हिंदुओं पर बर्बर अत्याचारों के खिलाफ प्रतिरोध के चेहरे के तौर पर उभरे हैं। वे जेल में हैं। उन पर बांग्लादेशी झंडे के अपमान का आरोप है लेकिन सच्चाई यह है कि हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का नेतृत्व कर रही जमात-ए-इस्लामी अक्सर ही अपने झंडे को बांग्लादेश के झंडे के उपर रखती रही है। वह जमात आज असली सत्ता केंद्र है और हर तरह की साझा पहचान मिटाने पर आमादा है। तभी तो चिन्मय कृष्ण दास के वकील रवींद्र घोष कहते हैं कि यह वो बांग्लादेश नहीं है जो 1971 में जन्मा था, यह नया पाकिस्तान है।

इस नए पाकिस्तान के प्रोफेसरों, सैन्य अफसरों और नेताओं के बयान गैरजिम्मेदाराना ही नहीं बल्कि हास्यास्पद हैं। कोई पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि और पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी गुटों को समर्थन देने की वकालत कर रहा है तो कोई दिल्ली पर कब्जा करने का दावा कर रहा है। बांग्लादेश अब पाकिस्तान से सैन्य साजोसामान की खरीद कर रहा है जिसके बारे में कुछ साल पहले सोचना भी असंभव सा था। संबंध सुधारने की कोशिश में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ढाका का दौरा भी किया। लेकिन उसके बाद की घटनाएं बताती हैं कि भारत विरोध, हिंदू विरोध और चरमपंथी इस्लाम ही इस नए पाकिस्तान का आधार होगा। बांग्लादेश लगातार एक के बाद एक भारत को चिढ़ाने वाला कदम उठा रहा है और ताजा कड़ी में उसने भारत को एक कूटनयिक संदेश के जरिए शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल कहते हैं कि बांग्लादेश भली भांति जानता है कि राजनीतिक प्रत्यर्पण भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के दायरे में नहीं आता। यह बस यह दिखाता है कि बांग्लादेश में सत्ता पर काबिज इस्लामी चरमपंथी भारत से संबंध बिगाड़ने पर आमादा है।

फिलहाल इस नए पाकिस्तान में हिंदू दमन और अत्याचार के शिकार हैं। कोई भी कार्रवाई करने के बजाय तख्तापलट के बाद सत्ता पर काबिज हुई बांग्लादेशी सरकार उल्टे इसे भारत का दुष्प्रचार करार देती है। लेकिन दुष्प्रचार जैसी कोई स्थिति नहीं है। भारत की ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियां और उदारवादी बुद्धिजीवी बांग्लादेश की घटनाओं की ओर देखना भी नहीं चाहते। इस चुप्पी की वजह वोटबैंक की नाराजगी का डर है क्योंकि देश की पूरी धर्मनिरपेक्ष राजनीति ही अब तक मुसलमानों को एकजुट कर उनके थोक के वोट लेने और हिंदुओं को जातियों में बांटने पर टिकी रही है। इसलिए कोई भी पार्टी या बुद्धिजीवी बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों के खिलाफ आगे नहीं आया। न चिट्ठियां लिखी गईं और न कोई अवार्ड वापसी आंदोलन हुआ।

सेकुलर राजनीति इस बारे में स्पष्ट है कि हिंदुओं पर अत्याचारों के खिलाफ मुंह खोलते ही वोटबैंक नाराज हो जाएगा जिसके नतीजे में उनकी ‘धर्मनिरपेक्ष’ राजनीति खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए रोजाना गाजा को लेकर आंदोलित होने वालों के लिए मुद्दा संभल ही रहेगा, संवेदना पुलिस पर पथराव के दौरान मारे गए लोगों के लिए ही आरक्षित रहेगी।

लेकिन इंटरनेट क्रांति और सोशल मीडिया के इस युग में 1960 के दशक का दोहरापन संभव नहीं है जब गिनती के अखबार और पत्रिकाएं होते थे और सूचनाओं के प्रवाह को मर्जी से नियंत्रित किया जा सकता था। बीते पांच महीनों से देश का हरेक व्यक्ति बांग्लादेश में हिंदुओं पर दिल दहला देने वाले अत्याचारों और मंदिरों के विध्वंस की तस्वीरें, वीडियो और सभी राजनीतिक दलों की चुप्पी देख रहा है। टोकन के तौर पर एकाध बयान जारी हुए भी तो वे गंभीरता से लेने लायक नहीं थे। पहले पाकिस्तान और अब बांग्लादेश में हिंदुओं पर जिस बड़े पैमाने आत्याचार हो रहे हैं, उससे हिंदू मानस न सिर्फ आंदोलित है। आज तक देश ने फिलिस्तीन मुद्दे और फ्रांस की पत्रिका शार्ली हेब्दो में छपे कार्टूनों पर या दुनिया में कहीं भी इस्लाम के कथित अपमान के खिलाफ प्रदर्शन होते देखे थे। लेकिन पहली बार यह देखने में आया कि किसी अन्य देश में हो रही घटनाओं के खिलाफ हिंदुओं ने प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन न केवल दिल्ली सहित बड़े शहरों में हुए बल्कि जिले-जिले में प्रदर्शन हुए। इनमें बड़ी तादाद में आम हिंदुओं ने हिस्सा लेकर साबित किया कि वह इन घटनाओं से कितना चिंतित हैं। चिंता स्वाभाविक है क्योंकि यह पहली बार नहीं हो रहा है।

पाकिस्तान सेना ने 1971 में जब बर्बर दमन का दौर शुरू किया तो उसका भी खास निशाना हिंदू ही थे। ढूंढ-ढूंढ कर हिंदुओं और हिंदू महिलाओं को निशाना बनाया गया। आज फिर वहीं हालात देखने को मिल रहे हैं। तब कम से कम बंगाली पहचान के सवाल पर हिंदु-मुस्लिम बंगाली एक थे। आज इस्लामी पहचान के नाम पर बांग्लादेशी मुसलमान पाकिस्तान के साथ हैं और हिंदू निशाने पर हैं।

जाहिए है कि आज बांग्लादेश में जो हो रहा है, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। लेकिन धर्मनिरपेक्ष दल और मुख्य धारा का मीडिया इसकी अनदेखी पर तुला है। इन घटनाओं को कमतर साबित करने के प्रयास जारी हैं और सुनियोजित तरीके से बांग्लादेश में एक मंदिर की रक्षा के लिए खड़े कुछ मुस्लिम युवाओं का एक वीडियो चला कर बताने की कोशिश की गई कि सब ठीक है और कहीं कोई अत्याचार नहीं हो रहा। लेकिन जल्द ही यह फर्जी नरेटिव बेनकाब हो गया। अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने से पहले ही डोनाल्ड ट्रम्प ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों के खिलाफ चिंता जताई थी लेकिन भारत के ‘धर्मनिरपेक्ष’ दलों ने चुप्पी साधे रखी। जाहिर है कि हिंदू जनमानस में इसकी प्रतिक्रिया होनी स्वाभाविक है। हिंदुओं पर जारी अत्याचार के बीच राजनीतिक दलों की दशकों से चली आ रही नग्न तुष्टिकरण की राजनीति हिंदू समाज को एक ध्रुवीकरण की तऱफ ले जा रही हैं। एक आम हिंदू के लिए यह स्पष्ट है कि सारी राजनीतिक लड़ाई एक खास समुदाय के वोट हासिल करने की है और हिंदुओं के जान-माल का कोई मोल नहीं है। इसी कारण ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा बेहद इतना प्रभावी साबित हुआ क्योंकि यह एक ऐसी वास्तविकता का प्रतिबिंब है जिस पर ‘धर्मनिरपेक्ष’ दलों ने हमेशा पर्दा डालने की कोशिश की है। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में इसका असर स्पष्ट रूप से दिखा। लिबरल बुद्धिजीवी इसे स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन हरियाणा व महाराष्ट्र में भाजपा की प्रचंड जीत के पीछे बांग्लादेश की घटनाएं और ‘धर्मनिरपेक्ष’ राजनीति का दोहरापन जिम्मेदार है। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है वह भारत की भविष्य की राजनीति और चुनाव को अवश्य प्रभावित करेगा।

Topics: Bangladesh Newsभाजपाबांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्मBangladesh HindusPersecution of Hindus in Bangladeshइस्लामी चरमपंथीबांग्लादेशी मुसलमानमुहम्मद युनूस
Share5TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार और भारत-विरोधी सियासत: भारत के लिए नई चुनौती

CM Yogi Aadityanath 11 yrs of Modi government

मोदी सरकार के 11 वर्ष: CM योगी आदित्यनाथ ने कहा- ‘सेवा और सुशासन का नया भारत’

Baladeshi Inflitrator Newton das illegal voter

बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में शामिल रहा प्रदर्शनकारी पश्चिम बंगाल में वोटर

अजमेरी हक, अभिनेत्री

हिंदी फिल्म में रॉ एजेंट बनी अभिनेत्री अजमेरी हक पर बांग्लादेश में लगा RAW एजेंट होने का आरोप

तस्लीमा नसरीन

Islamists करवा रहे तस्लीमा नसरीन की आवाज पर ऑनलाइन हमला: तस्लीमा ने की साथ की अपील

भाजपा

असम पंचायत चुनाव में भाजपा की सुनामी में बहे विपक्षी दल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies