जबलपुर (हि.स.)। मप्र हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने शुक्रवार को देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को एक चिठ्ठी लिखी है. जिसमें कहा गया है कि प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने अपने आधिकारिक आवास में स्थित हनुमान मंदिर को हटवा दिया है। बार एसोसिएशन ने कहा है कि मंदिर एक सरकारी संपत्ति थी और समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार सरकारी पैसे से हुआ है. लिहाजा, मंदिर को बिना सरकारी आदेश के या फिर अदालती आदेश के तोड़ा नहीं जा सकता। इस तरह का कोई भी कृत्य सनातन धर्म के मानने वालों का अपमान है। एसोसिएशन ने इस मामले में एक विस्तृत जांच की मांग की है।
चिठ्ठी के अनुसार,मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सरकारी आवास में एक प्राचीन मंदिर था, जो कई पूर्व न्यायाधीश जिनमे शरद अरविंद बोबडे, ए.एम. खानविलकर शामिल हैं की श्रद्धा का केंद्र था। बाद में ये जज सुप्रीम कोर्ट भी गए और यहीं से सेवानिवृत्त हुए। चिठ्ठी में कहा गया है कि चीफ जस्टिस के सरकारी आवास में काम करने वाले कर्मचारी भी इस मंदिर में पूजा किया करते थे। इस आवास में मुस्लिम धर्म से आने वाले जस्टिस रफत आलम और जस्टिस रफीक अहमद भी रहे मगर उन्होंने कभी भी मंदिर को लेकर कोई बात नहीं की।
शिकायत में इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि घटना की वास्तविक स्थिति को सार्वजनिक किया जाए, ताकि अधिवक्ताओं और जनता के बीच व्याप्त आशंकाओं का समाधान हो सके।
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