मणिपुर हिंसा पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश का बड़ा दावा: अदृश्य ताकतों का हाथ, बोले- सब खत्म हो सकता है
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मणिपुर हिंसा पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश का बड़ा दावा: अदृश्य ताकतों का हाथ, बोले- सब खत्म हो सकता है

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर पूर्व मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल ने एक बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि राज्य में हालात को जल्दी से नियंत्रण में लाने की आवश्यकता है, अन्यथा यहां कुछ भी नहीं बचने का खतरा है।

by Mahak Singh
Dec 25, 2024, 03:56 pm IST
in मणिपुर
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मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर पूर्व मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल ने एक बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि राज्य में हालात को जल्दी से नियंत्रण में लाने की आवश्यकता है, अन्यथा यहां कुछ भी नहीं बचने का खतरा है। इस बयान के साथ ही उन्होंने हिंसा के पीछे “अदृश्य ताकतों” का हाथ होने का दावा किया है। उनका मानना है कि कुछ तत्व राज्य में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं और मणिपुर को जलते रहने के लिए उकसा रहे हैं।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह बयान दिल्ली में एक पैनल चर्चा के दौरान दिया। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि मणिपुर में जारी हिंसा के पीछे एक अदृश्य हाथ है। हालांकि, इस हाथ के बारे में उन्होंने कोई ठोस जानकारी नहीं दी, लेकिन यह संकेत दिया कि इसके पीछे कई बाहरी और स्थानीय कारक हो सकते हैं। मृदुल का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब मणिपुर में हिंसा का दौर लगभग 19 महीने से जारी है और इसने राज्य की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

मृदुल ने कहा कि जब भी स्थिति सामान्य होने लगती है, अचानक हिंसा की एक नई लहर उठ जाती है, जिससे यह अनुमान होता है कि इन घटनाओं के पीछे कोई न कोई ताकत है, जो इसे बढ़ावा दे रही है। इस हिंसा ने मणिपुर के लोगों की जिंदगी को कठिन बना दिया है, और केंद्र सरकार को अधिक सैनिकों की तैनाती, अफस्पा को फिर से लागू करने और विभिन्न समूहों के साथ वार्ता करने के लिए मजबूर कर दिया है। बावजूद इसके, हिंसा पर नियंत्रण पाना अभी तक मुश्किल साबित हो रहा है।

सुरक्षाकर्मियों की तैनाती का असर

राज्य में लगभग 60,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है, जिसमें भारतीय सेना, असम राइफल्स, सीआरपीएफ और मणिपुर पुलिस शामिल हैं। हालांकि, मृदुल ने इन सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात होने के बावजूद भी, हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोग अपने घरों को वापस लौटने में असमर्थ हैं। राहत शिविरों में रह रहे लोग बार-बार यही कह रहे हैं कि वे अपने घर वापस लौटना चाहते हैं और उस शांति और सुरक्षा को फिर से महसूस करना चाहते हैं, जो हिंसा से पहले थी।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यदि स्थिति को जल्द से जल्द नियंत्रण में नहीं लाया गया, तो यह और बिगड़ सकती है, और यह अन्य राज्यों में भी फैल सकती है। उनका मानना है कि प्राधिकृत अधिकारियों को मणिपुर में शांति बहाल करने पर प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि अगर स्थिति और बिगड़ी, तो इसका असर केवल मणिपुर तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसका क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर प्रभाव हो सकता है।

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