भारत

‘मेरा नोटिस जिसने लिखा उसके चाकू पे जंग लगा हुआ था’, अविश्वास प्रस्ताव पर बोले सभापति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र की सफलता के लिए दो चीजें अपरिहार्य हैं। पहला अभिव्यक्ति का अधिकार और दूसरा संवाद। यदि ये दोनों चीजें नहीं होंगी तो लोकतंत्र पोषित नहीं हो सकता है।

Published by
WEB DESK

नई दिल्ली (हि.स.)। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे उनके जैसे लोग हिसाब-किताब बराबर करने की स्थिति में नहीं होते हैं और उन्हें उदात्तता, उत्कृष्ट गुणों और संवैधानिकता के प्रति प्रतिबद्धता से चलना होता है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आज उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में महिला पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की और पहली बार उनके खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “चंद्रशेखर जी ने कहा था, सब्ज़ी काटने के चाकू से बाईपास सर्जरी कभी मत करना.. वो तो सब्ज़ी काटने का चाकू भी नहीं था। मेरा नोटिस जिसने लिखा उसके चाकू पे जंग लगा हुआ था! मैं पढ़कर दंग रह गया। पर मुझे आश्चर्य हुआ की आपमें से किसी ने पढ़ा नहीं है।”

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सफलता के लिए दो चीजें अपरिहार्य हैं। पहला अभिव्यक्ति का अधिकार और दूसरा संवाद। यदि ये दोनों चीजें नहीं होंगी तो लोकतंत्र पोषित नहीं हो सकता है। इस संदर्भ में उन्होंने वर्तमान संसदीय चर्चाओं की बात की और पूछा कि क्या हमने पिछले कुछ दशकों में संसद में कोई बड़ी बहस देखी है? क्या आपने सदन में किये गये किसी महान योगदान पर ध्यान दिया है? हम गलत वजह से खबरों में हैं। हमने व्यवस्था के साथ जीना सीख लिया है, जो कि अव्यवस्था ही है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज के समय में संवैधानिक संस्थाओं पर हमले किए जा रहे हैं। संवेदना उत्पन्न करने के लिए ही आख्यानों को पंख दिये जाते हैं। अक्सर इन्हें सुनियोजित ढंग से देश के हितों के प्रति अहित करने पर आमादा ताकतों की ओर से बढ़ावा दिया जाता है। उनका उद्देश्य हमारी संवैधानिक संस्थाओं को ईंट से ईंट बजाकर नष्ट करना है

Share
Leave a Comment