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वेदों में भी शक्ति के बगैर हम आराध्य को नहीं मानते: रिवाबा जडेजा

महिलाओं की जीवन शैली की बात करें उनके नेतृत्व की बात करें तो हम गॉड गिफ्टेड हैं कई चीजों को टैकल करने के लिए।

Published by
Kuldeep singh

गोवा में पाञ्चजन्य के सागर मंथन संवाद में गुजरात से भाजपा की युवा विधायक रिवाबा जडेजा ने कहा कि सुशासन की कल्पना शक्ति के बिना नहीं की जा सकती है। वेदों में भी शक्ति के बगैर हम आराध्य को नहीं मानते हैं। आगे उनसे बातचीत के अंश हैं-

प्रश्न- सुशासन में शक्ति का महत्व आप कैसे देखती हैं?

उत्तर- जब शक्ति की बात करते हैं तो मैं इतिहास को दोहराना चाहूंगी। धर्म के साथ उसे संलग्न करके अपनी बात रखना चाहूंगी कि हमारे वेदों, पुराणों में शक्ति के बगैर हम आराध्य को नहीं मानते हैं। जैसे गौरी-शंकर, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी नारायण। हम जिन देवताओं की उपासना करते हैं। वे स्वयं को शक्ति के साथ जोड़कर देखते हैं। हम भी उसे उसी तरह से देखते हुए विकास की बात करेंगे। महिला सशक्तिकरण की बात करेंगे। सुशासन के 6 स्तंभ हैं न्याय, समानता, प्राकृतिक संतुलन, समृद्धि, शांति और सौहार्द और सामाजिक कल्याण ये सुशासन के पिलर्स हैं।

महिलाओं की जीवन शैली की बात करें उनके नेतृत्व की बात करें तो हम गॉड गिफ्टेड हैं कई चीजों को टैकल करने के लिए। विकास की बात करें तो जी-20 बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही मुखर होकर कहा था कि हम महिला नेतृत्व के साथ विकास की बात करेंगे। उन्होंने कहा था कि विकसित भारत के सपने को जो हम देख रहे हैं तो उसके साथ महिलाओं, बहनों का विकास जुड़ा हुआ है। बिना शक्ति के विकास या सुशासन को समझना चुनौतीपूर्ण होगा। हम तो उस हिंद में रहते हैं, जहां शिवाजी महाराज या महाराणा प्रताप की पहली गुरु ही उनकी माता थीं। आपकी गुरु ही बचपन से आपके चरित्र का निर्माण करती है। इस क्लस्टर में शक्ति और सुशासन एक साथ आगे बढ़ता है।

प्रश्न- महिलाओं के बीच में आपकी काफी लोकप्रियता रही है। उनसे जुड़ने की कोई खास वजह? रवींद्र जडेजा, क्रिकेटर की पत्नी से अलग अपनी एक पहचान बनाना कितना मुश्किल रहा?

उत्तर- मेरे राजनीतिक कैरियर को दो साल पूरे होने को आए हैं। लेकिन, उससे पहले जो मैं करती थी, वो समाज सेवा के जरिए करती थी। 2018 में मैं प्रधानमंत्री जी से मिली, उनसे विचार-विमर्श के दौरान उन्होंने मुझे कहा था कि आप समाज के लिए बहुत अच्छा कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छे लोगों की जरूरत राजनीति में है तो उसके बाद मैं 2019 में मैंने पार्टी ज्वाइन की। तब से 2022 तक का जो मेरा सफर था, उसमें मैंने अटल जी का जो अन्त्योदय का विचार था, उसी के तहत मैं जूनागढ़ जिले के करीब 200 गांवों में गई, वहां महिलाओं और बहनों से मुलाकात की। उनके स्वास्थ्य, इकोनॉमी, राजनीति को लेकर उन्हें प्रशिक्षित किया। जहां भी मेरे ट्रस्ट के माध्यम से उनको मदद हो सकती थी, मैंने उनकी मदद की।

सिविल सर्विस एसपायरेंट्स होने के कारण मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद मैं तीन साल तक दिल्ली में रही। रिटेन क्लियर करने के बाद डिफेंस में मैं सेलेक्ट नहीं हो सकी, क्योंकि मैं इंगेज्ड हो गई थी। मुझे अपने पिता, पति और परिवार का बहुत सपोर्ट मिला। मुझे मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए मेरे पिता ने सपोर्ट किया। अब मुझे मेरे पति का सपोर्ट मिल रहा है कि मैं जो कुछ भी करना चाहती हूं कर सकती हूं।

मेरे पति के जरिए मुझे बहुत सराहना मिली। मुझे इस बात का गर्व है कि मुझे मेरे पति के जरिए जो पहचान मुझे मिली है, मैं उसे बचाए रखना चाहती हूं। क्योंकि बड़ी शक्तियां बड़ी जिम्मेदारी के साथ आती हैं। मुझे ये प्रविलिजे है कि मैं उनके नाम से जानी जाती हूं। हमारी संस्कृति ऐसी रही है कि मैं अपने पति के माध्यम से बहुत आगे बढ़ें। हमारे संगठन पर्व में ये कहा जाता है कि पहले परिवार के सभी लोग एक जगह सहमत हों, जुड़े हों। क्योंकि मैं अगर बाहर निकली तो लोग मुझसे सबसे पहले पूंछेंगे कि आपके परिवार से कितने लोग भाजपा से जुड़े हैं। इसी कारण से मैंने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलवाई थी।

प्रश्न- रिवाबा जडेजा और क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की लाइफ स्टाइल में अंतर है। जब आप कभी क्रिकेटर की पत्नियों के साथ बैठती हैं तो क्या आपको कुछ दिक्कत होती है?

उत्तर- बिल्कुल नहीं! मुझे कभी असहज नहीं महसूस हुआ। बल्कि, मुझे मेरे पार्टी नेतृत्व ने मुझे ये प्रिविलेज दिया है कि सरकार के माध्यम से जितने भी कार्य हो रहे हैं, उसकी एक आवाज मैं भी हूं। मुझे ये प्रिविलेज मिला हुआ है कि जमीन पर क्या हो रहा है, उसको लेकर मैं डिबेट कर सकती हूं। अगर आपको असली भारत की तस्वीर देखनी है तो वो आप शनल, गूची का बैग लेकर नहीं देख सकते। उसके लिए आपको उनके बीच में बैठकर खाना होगा, उनके सवालों को समझना होगा। गली-गली नुक्कड़ नुक्कड़ जाकर आपको सारी चीजों को समझना होगा, उसके बाद ही आप देश के नेतृत्व को संभाल सकते हैं।

प्रश्न- आप अवध ओझा को अपना गुरु मानती हैं। राजनीति में आप उनसे पहले आई हैं। आप जीत भी चुकी हैं। ऐसे में आपके उनके लिए क्या टिप्स होंगे?

उत्तर- मैं, उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हूं। क्योंकि गुरु चाहे किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ें हो रहते आपके गुरु ही हैं। सम्मान के कारण उन पर कोई कमेंट नहीं करूंगी, लेकिन वो अक्सर मजाक में कहते थे कि भले ही यूपीएससी करके कलेक्टर बनें या न बनें, लेकिन अच्छा ज्ञान अर्जित करके आप एक अच्छे राजनीतिज्ञ तो बनी जाएंगे।

प्रश्न-राजनीति में एक राजनेता की कनेक्टिविटी कितनी महत्वपूर्ण होती है। उसमें भी खासतौर पर अगर आप एक महिला हैं और जब आप क्षेत्र में वोट मांगने के लिए निकलती हैं तो क्या चुनौतियां होती हैं?

उत्तर- जब मैं नई-नई थी और मेरा नाम चुना गया तो लोगों के दिमाग में एक ही बात थी कि ये तो सेलिब्रटी की पत्नी है, जो कि 10 माह तो बाहर ट्रैवल करते हैं और दो माह ही अपने क्षेत्रों में रहते हैं। मैंने सबसे पहले इसी मिथ को तोड़ने के लिए जितना हो सके जमीन पर लोगों से संपर्क में आई। मैंने लोगों को ये विश्वास दिलाया कि मैं हर वक्त आपसे कनेक्टेड रहूंगी, जितना संभव हो सके उतना। राजनीतिक कैरियर में आपका लोगों के साथ जुड़ना-बैठना आवश्यक है।

प्रश्न- एक तरफ आपका राजनीतिक कैरियर शुरू हो रहा है और दूसरी तरफ कैरियर रिटायरमेंट की ओर है। दोनों दायित्वों को आप कैसे निभाएंगी?

उत्तर- मेरे पति का जो व्यक्तित्व है, उनमें म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग बहुत ज्यादा है। उनके गेम का जो प्रेशर है वो हमारे घर के अंदर नहीं आया। यद्यपि उन्हें कुछ चर्चा करनी होती है तो उनका सबसे पहला सवाल होता है कि तुम्हारा दिन कैसा बीता। हमारी जब भी बात होती है तो वो गार्जियन की भूमिका में होते हैं।

प्रश्न- कितना सपोर्ट रवींद्र जडेजा जो राजनीति में मिलता है और क्या चुनौती हो जाती है परिवार के सा बाहर निकलना?

उत्तर- जब आप अपना 100 फीसदी मन बना लें, तो ही आपको इस फील्ड आना चाहिए। अन्यथा ये क्षेत्र आपके लिए नहीं है। ये मान के चलिए कि आपको 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन लोगों के लिए उपलब्ध रहना होगा।

प्रश्न- महिला के तौर पर राजनीति में क्या चुनौतियां रहती हैं?

उत्तर- आपको आप पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। आपको दृढ़ निश्चयी होना आवश्यक है। आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। आपको आपके नैतिकता को साथ लेकर आगे बढ़ना पड़ेगा।

प्रश्न- एक राजनेता के तौर पर कोई एक ऐसा बदलाव जो आप करना चाहती हैं, तो क्या बदलाव कर पाएंगी?

उत्तर- 2047 में जब हम आजादी के 100 साल पूरे करें तो विकसित भारत हो। इसी उद्देश्य के साथ मैं मेरी पार्टी के साथ काम कर रही हूं।

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