गोवा में पाञ्चजन्य के सागर मंथन संवाद में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश
सवाल– गोवा की अपनी एक सांस्कृतिक पहचान उसकी स्थापित पहचान से कैसे अलग है?
जवाब- पूरे भारत में ब्रिटिश का राज था, लेकिन गोवा में 450 साल तक पुर्तगालियों ने राज किया। जिस प्रकार से हम देखते हैं कि धर्मान्तरण देश में कहीं और नहीं, बल्कि गोवा में हुआ। यहीं पर सबसे अधिक मंदिर तोड़े गए। बावजूद इसके राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने का काम किसी ने किया है तो यहां के लोगों ने किया है। तब से लेकर आज तक उसी संस्कृति को आगे बढ़ाया है। सन,सी और सैंड से आगे निकलकर आध्यात्मिक टूरिज्म और टेम्पल टूरिज्म को आगे बढ़ाया है।
सवाल- गोवा की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म का बड़ा योगदान रहा है, लेकिन इसमें हाल के दिनों में कुछ गिरावट देखी गई है। इस गिरावट के कारणों में आप किस कारण को प्रमुख मानते हैं?
जवाब- जब भारत देश के टूरिज्म की बात आती है तो वैश्विक तौर पर अगर यहां टूरिज्म कैपिटल की बात हो तो गोवा देश की राजधानी है। पिछले 25-30 सालों से यहां दिन ब दिन पर्यटन बढ़ा है। कोरोना के बाद पहली बार देश में पर्यटन देश में गोवा में खोला गया। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि श्रीलंका, मालदीव जैसे देशों से कंपटीशन मिल रहा है। सभी देश अपने देश में पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन यहां पहले जो सीजनल टूरिज्म होता था, अब वह सालभर होता है।
यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ईश्यू है। लेकिन सरकार इस पर भी नियंत्रण रखने की कोशिश कर रही है। यहां आने वाले पर्यटक गोवा को उसकी संस्कृति के कारण चुनते हैं। यहां इस बात में कोई शक नहीं है कि लोग यहां की नाइट लाइफ, समुद्र तट ( बीच) और तटीय मनोरंजन को चुनते हैं। लेकिन, विभिन्न प्रतिबंधों के कारण पर्यटकों को होने वाली समस्याओं को देखते हुए उससे निपटने की कोशिश कर रहे हैं।
सवाल- बाहर से फ्लाइट लेकर गोवा आना सस्ता है, लेकिन एयरपोर्ट से अपने गंतव्य तक जाना महंगा है। यहां ऐप आधारित सेवाएं सीमित हैं। क्या आप इसे पर्यटन की दिशा में अड़चन मानते हैं?
जवाब- गोवा में गोवा माइल टैक्सी ऐप आधारित है। लोकल एग्रीगेटर्स भी सामने आ रहे हैं। प्रीपेड टैक्सी भी उपलब्ध हैं। यहां मेट्रो नहीं है, लेकिन इसके लिए रेलवे के साथ बात चल रही है। सभी टैक्सियों को ऐप आधारित करने के लिए कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन ये भी सच है कि इस तरह के पर्यटक स्थलों में इस प्रकार की समस्याएं हैं।
सवाल- देश में एक तरफ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य हैं। लेकिन एक तरफ गोवा छोटा राज्य है। गोवा के लिए कौन से अच्छे अवसर देखते हैं और कौन सी दिक्कतें हैं?
जवाब- गोवा 3702 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला राज्य है। एक तरफ सह्याद्री घाट है और दूसरी ओर समुद्र है। पूरे देश में 70 फीसदी से अधिक ग्रीन कवरेज वाला राज्य गोवा है। गोवा में देश के सबसे अधिक पर्यावरणविद आपको गोवा में मिलेंगे। इन सब के बाद भी बीते 10 साल के कार्यकाल में जो इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलप हमने की है वह हम 50 साल के कार्यकाल में नहीं कर पाए। सतत विकास जो हम कर सकते हैं, वह हम कर रहे हैं। सतत विकास के मामले में हम देश में 4 नंबर पर हैं। पीएम फ्लैगशिप प्रोग्राम हर घर नल से जल, हर ग्राम सड़क, 100 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी समेत 13 फ्लैगशिप कार्यक्रमों में 80 फीसदी से अधिक कार्यक्रमों को हम 100 फीसदी प्राप्त (अचीव) कर चुके हैं। ये सब संभव हो सका, क्योंकि हम छोटे राज्य हैं।
हमने आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम को स्वंयपूर्ण गोवा में बदला है। छोटा राज्य होने के कारण हमारे पास 91 ग्राम पंचायतें और 41 म्युनिसिपैलिटी हैं। सीएम चाहे तो डायरेक्ट ग्राम प्रधान से बात कर सकता है, डिप्टी कलेक्टर या किसी और से भी बात कर सकता है। अन्योदय, सर्वोदय और ग्रामोदय के लिहाज से हम मॉडल स्टेट हैं।
सवाल- भाजपा डबल इंजन की सरकार की बात करती है। खासतौर पर चुनावों के दौरान इसे बड़े जोर-शोर से उठाया जाता है। लेकिन, जब भाजपा ये बात करती है तो विपक्ष ये कहता है कि भाजपा पार्टी से अधिक चुनाव जीतने की मशीन बन गई है, तो विकास की राजनीति में डबल इंजन की सरकार कहां है और विपक्ष का आरोप कितना सच है। चुनाव जीतने की राजनीति बनाम विकास की राजनीति, इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब-हम राजनीति में अन्त्योदय, सर्वोदय और ग्रामोदय के लिए हैं। हम जब पॉवर में आते हैं तो समाज के पिछड़े वर्ग के लिए किस प्रकार से कार्य किया जाए, इसलिए राजनीति में हैं। जब हम डबल इंजन की बात करते हैं तो दोनों प्रदेश और देश में एक ही पार्टी की सरकार होती है तो नीतियों को सुशासन के लिए अच्छे से लागू किया जा सकता है। इसीलिए मैं कहता हूं कि 50 साल में गोवा में जो विकास नहीं हुआ, उसे हमने इन 10 सालों में गोवा में किया है। 2014 से लेकर 2024 तक गोवा में ग्राम और व्यक्ति विकास देखने को मिला है। क्योंकि, स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग के कॉन्सेप्ट को हम अच्छी तरह से युवाओं और महिलाओं पर लागू कर रहे हैं। डबल इंजन की सरकार में ही ये संभव है।
सवाल- सुशासन की बात जब आप करते हैं तो सुशासन का शंखनाद करने वाला पूरे देश में सड़कों के जाल की बात हो, स्वर्णिम चतुर्भुच हो या अन्य योजनाएं, जो उस वक्त शुरू हुई। क्या सुशासन की राजनीति सस्टेनेबल है। क्योंकि हर चीज का एक चरमबिन्दु होता है?
जवाब- आजादी के अमृतकाल में जब अटल जी प्रधानमंत्री बने थे, तो हमने सुशासन को देखा था। पारदर्शिता और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की बात उन्हीं के कार्यकाल से शुरू हुई थी। अटल जी के वक्त किस तरह से गांव का विकास हो सकता है, इसकी नींव उन्होंने रखी थी। बाद में उनकी साढ़े चार साल की सरकार के गिरने के बाद 2007 से 2012 तक कांग्रेस की सरकार के दौरान मुझे नहीं लगता है कि वह गति थम सी गई थी, लेकिन 2014 के बाद ये गति फिर से शुरू हुई है। आज हम क्लीन इंडिया से लेकर फिट इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया, वन फॉर ग्लोबल आदि। आजादी के इस अमृतकाल में हमने जिस प्रकार का कॉन्सेप्ट देखा। अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर हो। कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक बदलाव आने की शुरुआत इन 10 सालों में हुई है। नए भारत की नींव जो अटल जी ने रखी थी, वह मोदी जी के कार्यकाल में पूरी हो रही है।
सवाल- गोवा में राजनीति का बदलाव और मनोहर पार्रिकर की विरासत को आप कैसे देखते हैं?
जवाब- मनोहर पार्रिकर जी के कार्यकाल से ही इस राज्य में सुशासन, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और पारदर्शिता की बात शुरू हुई थी। इसीलिए गोवा में नए बदलाव की शुरुआत हुई। गोवा में इलेक्ट्रॉनिक क्लस्टर, मरीन क्लस्टर, मोपा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, वाटर स्पोर्ट इंस्टीट्यूट, पोलार इंस्टीट्यूट, आईआईटी, एनआईटी और आयुष जैसे नेशनल प्रोजेक्ट डबल इंजन की सरकार में गोवा में आए। गोवा केंद्र सरकार के साथ अच्छे से जुड़ा हुआ है। गोवा शिक्षण हब के तौर पर उभर रहा है।
सवाल- क्या गोवा के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त ध्यान मिल पाता है?
जवाब- राजनीतिक तौर पर लोग कभी-कभी गोवा का महत्व कम लेते हैं। क्योंकि यहां से केवल दो सांसद और एक राज्यसभा सदस्य हैं। भले ही हमारे दो सांसद हैं, लेकिन गोवा को देने के लिए केंद्र सरकार ने कभी कोई कमी नहीं की। गोवा का बजट करीब 26000 करोड़ का है। लेकिन, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 30,000 करोड़ से अधिक की राशि गोवा को दी है।
सवाल- 2047 के गोवा को आप कैसे देखते हैं?
जवाब- जिस तरह विकसित भारत 2047 की बात प्रधानमंत्री मोदी जी कर रहे हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर विकसित गोवा 2047 के लिए तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। लेकिन, मैं एक बात जरूर कहूंगा कि 2047 से 10 साल पहले ही गोवा विकास करेगा। 2037 तक गोवा 100 प्रतिशत विकसित राज्यों में से एक होगा। क्योंकि बड़े राज्यों की जगह हम अभी तक 80 फीसदी से अधिक विकास को अचीव कर लिया है। फ्लैगशिप, जीडीपी, यूसीसी जैसे तमाम मामलों में हम बड़े राज्यों से आगे हैं।
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