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अलजजीरा ने बांग्लादेशी हिंदुओं की पीड़ा लिखी, मगर मोदी और भाजपा को कोसते हुए: पीड़ा बताना या एजेंडा?

अलजजीरा ने केवल यह साबित करने के लिए कि बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ राजनीतिक हिंसा हो रही है और भारत की भाजपा के नेतृत्व में सरकार और हिन्दुत्व एवं भारत की मीडिया बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है, यह पूरी रिपोर्ट लिखी है। 

by सोनाली मिश्रा
Dec 24, 2024, 09:50 am IST
in विश्लेषण
Al Zazeera
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मुस्लिमों के लिए लगातार एजेंडा चलाने वाला और हिंदुओं को हमेशा ही गलत तरीके से चित्रित करने वाला अलजजीरा इन दिनों बांग्लादेश के हिंदुओं की पीड़ा बता रहा है। उसने 12 दिसंबर 2024 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसका अंग्रेजी में शीर्षक था “‘Our lives don’t matter’: Bangladeshi Hindus under attack after Hasina exit” अर्थात “शेख हसीना के पलायन के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमला!”

हिंदुओं की पीड़ा दिखाते हुए इस रिपोर्ट में ग्राउंड रिपोर्टिंग की गई है, कई हिंदुओं की पीड़ा इस रिपोर्ट में है। जिस अलजजीरा ने पहले ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया था, वही अलजजीरा अब यह कह रहा है कि बांग्लादेश के हिंदुओं पर हमले हुए हैं। हाँ, हमले किसने किये, यह वह नहीं लिख रहा है। हमले किस लिए हुए, यह भी इस रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं है। यदि हमले हुए हैं, तो जाहिर है कि किसी न किसी ने तो किये ही होंगे। कुछ तो कारण रहा ही होगा। क्या बिना कारण के ही बांग्लादेश के हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं? यदि कोई घर जला रहा है तो क्यों? एक घटना के विषय में कहा गया कि ढाका से 270 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुसंख्यक दोयरबाजार में एक 17 वर्षीय हिंदू युवक आकाश दास द्वारा कथित रूप से एक अपमानजनक टिप्पणी कुरान पर की गई और जिसके कारण हमलावरों का गुस्सा उस इलाके के हिन्दू समुदाय पर निकला।

हालांकि, आकाश को हिरासत में ले लिया गया था, मगर फिर भी हिंसा हुई। इस पूरी रिपोर्ट में हमलावरों की किसी भी पहचान का उल्लेख अलजजीरा ने नहीं किया है। क्या ऐसा जानबूझकर किया है? जाहिर है मंशा अल जजीरा की कुछ और ही रही होगी। सबसे बड़ा प्रश्न तो यही है कि इस मूल बात को लक्षित नहीं किया गया है कि आखिर हिंदुओं पर ये हमले राजनीतिक कारणों से हुए थे या फिर उनका कोई मजहबी कारण था? क्या हिंदुओं की धार्मिक पहचान ही इस हमले का कारण थी?

इस रिपोर्ट में आगे बढ़ते हैं तो एक बहुत ही हैरान करने वाला बिन्दु सामने आता है और यह बिन्दु था बांग्लादेश के कुछ हिंदुओं का स्वयं को भारत के हिंदुओं और हिन्दुत्व से अलग करना। इसमें लिखा गया है कि बांग्लादेश की सेक्युलर शेख हसीना की अवामी लीग को बांग्लादेश के हिंदुओं के प्रति संवेदनशील माना जाता है। इसमें कहा गया है कि जहां बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउन्सिल ने अलजजीरा को बताया कि 4 अगस्त 2024 से 20 अगस्त 2024 तक “सांप्रदायिक हिंसा” की लगभग 2000 घटनाएं हुई हैं तो वहीं यह भी बताया कि एक स्वतंत्र जांच आउटलेट नेत्रा न्यूज़ की पड़ताल में यह पता चला कि जो भी हत्याएं हुई थीं, वे राजनीति से प्रेरित थी, धार्मिक नहीं।

मगर वह लिखता है कि भारतीय मीडिया ने हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया। एक बांग्लादेशी हिन्दू, 42 वर्षीय देवराज भट्टाचार्य के माध्यम से अलजजीरा लिखता है कि बांग्लादेश में सत्ता हस्तांतरण के दौरान हिंदुओं पर हिंसा आम है। लेकिन, जिस तरह से कुछ विशेष भारतीय मीडिया, जो भाजपा से जुड़ा हुआ है, जमीनी हकीकत को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है और भय का माहौल फैला रहा है, उससे हमें यहां कोई मदद नहीं मिलती है।”

27 वर्षीय हिंदू छात्र अभ्रो शोम पियास के माध्यम से यह कहता है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि शेख हसीना के जाने के बाद हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं और हिंदू असुरक्षा में रह रहे हैं, उनकी जमीन छीनी जा रही है और यह भी नहीं पता कि वह जमीन वापस मिलेगी भी या नहीं। और फिर वह आगे कहता है कि “भारत हमारे 90 प्रतिशत धार्मिक स्थलों का घर है और यहीं से हमारा संबंध है। हालांकि, बांग्लादेश के अधिकांश हिंदू वर्तमान भारतीय सरकार या उसके ‘हिंदुत्व’ चरमपंथ का समर्थन नहीं करते हैं।” शोम का संकेत भाजपा की ओर था।

दोआरबाजार में 29 वर्षीय फार्मेसी मालिक चक्रवर्ती के हवाले अल जजीरा कह रहा है कि बांग्लादेश में हिंदू दोतरफा समस्याओं का सामना कर रहे हैं। वे कहते हैं, “एक तरफ़, भारतीय मीडिया ग़लत सूचना फैलाता है और घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है, जिनमें से कुछ कभी घटित ही नहीं हुईं। इससे भारत विरोधी भावना को बढ़ावा मिलता है, जो बदले में, हम हिंदुओं के बीच असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है।”

अलजजीरा लिखता है कि “84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश के अंतरिम नेतृत्व ने भारतीय मीडिया पर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाया है।“ इसके बाद वह उन घटनाओं का भी उल्लेख करता है जो शेख हसीना के शासनकाल के दौरान हुई थीं। अलजजीरा की रिपोर्ट से इतर यह बात पूरी तरह से सच है कि हिंदुओं के साथ हिंसा की घटनाएं, जिनमें मंदिरों पर और उनकी संपत्तियों पर हमले शामिल थे, बांग्लादेश में हमेशा से होती रही हैं। अवामी लीग के कथित सेक्युलर रुख के बावजूद अवामी लीग के कई नेताओं पर आरोप लगे कि वे हिंदुओं के प्रति अपराधों में शामिल रहे थे। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउन्सिल के अध्यक्ष मनिंद्र कुमार नाथ यह जोर देकर कहते हैं कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक आंदोलन भारत और शेख हसीना की अवामी लीग दोनों से अलग और स्वतंत्र है।

इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे अलजजीरा ने केवल यह साबित करने के लिए कि बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ राजनीतिक हिंसा हो रही है और भारत की भाजपा के नेतृत्व में सरकार और हिन्दुत्व एवं भारत की मीडिया बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है, यह पूरी रिपोर्ट लिखी है। पूरी रिपोर्ट में इस “क्यों” का उत्तर नहीं है कि आखिर बांग्लादेश के हिंदुओं पर हमले किये किसने थे और क्यों? और शेख हसीना से इतनी नफरत का कारण क्या पार्टी का सेक्युलर स्टैंड था?

यह पूरी रिपोर्ट केवल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के एजेंडे को ही आगे बढ़ाने के लिए जैसे बनाई गई हो, इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद यही प्रतीत होता है।

 

Topics: इस्लामिक कट्टरपंथबांग्लादेशअल जजीराIslamic fundamentalismAl Jazeeraबांग्लादेशी हिन्दुओं पर हमलाAttacks on Bangladeshi Hindusbangladesh
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