उत्तराखंड

उत्तराखंड: कालागढ़ में अवैध कब्जा हटाने की तैयारी, SC और NGT के आदेश पर खाली कराई जाएगी जंगल की जमीन

रामगंगा जलविद्युत परियोजना के लिए दी गई जमीन पर अवैध कब्जों को हटा कर वन विभाग को वापिस किए जाने के निर्देश हैं।

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दिनेश मानसेरा

कालागढ़ (पौड़ी गढ़वाल): कालागढ़ रामनगंगा जल विद्युत प्रोजेक्ट के लिए अस्थाई रूप से बसाए गए कालागढ़ कस्बे पर अभी भी यूपी के लोगों के अवैध कब्जे बने हुए हैं। दरअसल, ये वन भूमि है और इसे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए लीज पर दिया हुआ था। इस भूमि को खाली कराने के लिए ngt और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में निर्देश है जिन पर पौड़ी जिला प्रशासन कल से कारवाई करने जा रहा है।

रामगंगा जल विद्युत परियोजना के लिए वन विभाग में श्रमिकों के लिए रहने के लिए सिंचाई विभाग को भूमि लीज पर दी थी, परियोजना पर काम पूरा होगा। उक्त जमीन वापिस लेने के लिए वन विभाग को सालों पहले सुप्रीम कोर्ट से लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ngt तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। 2018 में आधी भूमि खाली भी हुई शेष जो रह गई अब जिला प्रशासन को इसे खाली करवा करवा का ngt में जवाब दाखिल करना है। इसी सिलसिले में जिला प्रशासन की गतिविधियां यहां तेज हुई हैं। यही वजह है कि यहां राजनीतिक प्रेशर भी काम नहीं कर रहा है, क्योंकि ngt ने 2018 के बाद अभी तक कारवाई नहीं होने पर भी जवाब तलब किया है।

फिलहाल, जिला प्रशासन 24 जनवरी से 72 खाली भवनों को ध्वस्त करके उक्त भूमि वन विभाग को सौंप देने पर विचार कर रहा है, शेष पर कारवाई अगले चरण में होगी।

टाइगर रिजर्व जोन में बना दी मस्जिद

खास बात ये है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कालागढ़ वन प्रभाग की बफर जोन की भूमि पर अवैध रूप से बसे कब्जेदारों ने एक मस्जिद का निर्माण भी अवैध रूप से किया हुआ और इस मस्जिद के निर्माण को और आगे विस्तार देने के लिए सोशल मीडिया पर प्रचार करके चंदा जुटाने का आह्वान भी किया जा रहा है। इस मस्जिद को टीन मस्जिद के नाम से प्रचारित किया जा रहा है।
कालागढ़ टाइगर रिजर्व  का अतिक्रमण भी इस लिए नहीं हटाया गया कि यहां बिजनौर धामपुर के लोगों ने कब्जा किया हुआ है और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति ने इसे संरक्षण दिया, कांग्रेस के नेता यहां कालागढ़ में अपनी राजनीति करते रहे हैं और यहां अवैध रूप से काबिज लोगों को संरक्षण देते रहे हैं।

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कालागढ़ में अवैध कब्जे रामगंगा जल विद्युत परियोजना के खत्म हो जाने के बाद लीज पर प्रोजेक्ट के लिए दी गई वन विभाग यानि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ फॉरेस्ट डिविजन को वापिस होनी थी ऐसा सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का भी आदेश था, कॉर्बेट कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रशासन ने बहुत सारी जमीन वापिस भी ली, लेकिन आज भी यहां सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर लोगों के अवैध कब्जे हैं जबकि, यहां से कोई कारोबार नहीं होता और यहां ज्यादातर लोग वन सम्पदा की तस्करी में लिप्त बताए जाते हैं, ये भी जानकारी मिली है कि यूपी से अपराधी किस्म के लोग यहां उत्तराखंड की सीमा में आकर पनाह लेते हैं।

कालागढ़ क्षेत्र पौड़ी गढ़वाल का हिस्सा है और इसके एक तरफ नैनीताल जिला है दूसरी ओर यूपी के बिजनौर जिले का अफजल गढ़ क्षेत्र आता है।  इनमें बहुत से कब्जेदार लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अफजलगढ़,बिजनौर में भी अपने मकान बना लिए है किंतु यहां भी कब्जे कर अवैध रूप से बैठे हुए है। ये भी जानकारी मिली है कि इनके उत्तराखंड में भी वोट है और यूपी में भी वोट है। इस बारे में भी पौड़ी जिला प्रशासन ने ड्राइव चलाई हुई है।

 

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