हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय
मैं आदि पुरुष, निर्भयता का वरदान लिए आया भू पर
पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुए लो विष पीकर
भारत और भारतीयता की अलख जगाने वाली ये पक्तियां भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की काव्य धारा का अविरल अंश है। आज जब पूरा देश अपने इस महान नेता की 100वीं जयंती मना रहा है तो उनकी कविता का ये अंश देश, काल और परिस्थितियों में प्रासंगिक प्रतीत हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के ऐसे पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया था। साल 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित अटल जी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए कुछ ऐसे अहम फैसले लिए, जिससे भारत चंहुमुखी विकास के सफर चल पड़ा।
उन्होंने अपने कार्यकाल में सामरिक सुरक्षा, बुनियादी ढांचे के विकास और अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा बदलकर भारत को दुनिया भर में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार किया बल्कि समाज के वंचित वर्ग को ऊपर उठाने के लिए सामाजिक सुधार भी किए। अटल जी का मानना था कि, “व्यक्ति को सशक्त बनाना देश को सशक्त बनाना है। उनका कहना था कि सशक्तिकरण तेजी से आर्थिक विकास के माध्यम से तेजी से सामाजिक परिवर्तन के साथ किया जाता है”। 1998 से 2004 तक उनके कार्यकाल में भारत की जीडीपी ग्रोथ की बढ़ोतरी 8 फीसदी तक हुई, महंगाई दर 4 फीसदी से कम और विदेशी मुद्रा भंडार भी पूरी तरह भरे रहे। अटल जी के कार्यकाल के दौरान देश को भूकंप, चक्रवात और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अलावा तेल संकट, अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंध, कारगिल युद्ध और संसद हमले समेत कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना हुआ था, फिर भी उन्होंने भारत में एक स्थिर अर्थव्यवस्था बनाए रखी थी।
जिस कारण उनकी पार्टी बीजेपी को वास्तविक आर्थिक अधिकार रखने वाली पार्टी की छवि मिली और साथ ही भारत भी निरंतर आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ता चला गया। अटल जी ने प्राइवेट बिजनस और इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए अलग से विनिवेश मंत्रालय बनाया। भारत ऐल्युमिनियम कंपनी (बाल्को), हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और वीएसएनएल में विनिवेश का बड़ा फैसला भी उनके कार्यकाल में ही हुआ था। अटल जी की सरकार के कार्यकाल में ही नई दूरसंचार नीति के तहत राजस्व-साझाकरण मॉडल पेश किया, जिससे दूरसंचार कंपनियों को निश्चित लाइसेंस शुल्क से निपटने में मदद मिली। उन्होंने 2001 सर्व शिक्षा अभियान के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा देने के लिए एक सामाजिक योजना की शुरूआत की। इस योजना लॉन्च होने के 4 सालों के अंदर ही स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में 60 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, जिससे देश में नए युग का सूत्रपात हुआ। उन्होंने अपने कार्यकाल में विदेशी व्यापार में सुधार तो किया ही, चीन के साथ क्षेत्रीय विवादों को भी कम किया। इसके अलावा, 19 फरवरी 1999 को ऐतिहासिक दिल्ली-लाहौर बस का शुभारंभ भी अटल जी के कार्यकाल में ही हुआ था। पोखरण परमाणु परीक्षण, कारिगल युद्ध, मोबाइल क्रांति, स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना, गाम्रीण रोजगार सृजन योजना और एनआरआई के लिए बीमा योजना जैसे कठिन फैसले अटल जी की दृढ़ इच्छाशक्ति, दूरदर्शी सोच और राष्ट्रीयता की उनकी प्रबल भावना को दर्शाता है।
अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता और शुचिता के लिए देश और दुनिया में प्रसिद्ध अटल जी 13 अक्टूबर 1999 को लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वो 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने। राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे अटल जी लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुनकर आए, जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाई।
अटल जी ने बतौर प्रधानमंत्री सशक्त, साधन संपन्न और समृद्ध भारत का सपना देखा और अब उनके इस सपने को मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पूरा कर रहे हैं। अटल जी ने एक बार लोकसभा में विपक्ष की ओऱ रुख करते हुए कहा था कि जिस दिन हम बहुमत में आएंगे, उस दिन न धारा-370 रहेगी, न राम मंदिर का विवाद रहेगा और न ही तीन तलाक होगा। उन्होंने समान नागरिक संहिता को भी लागू करने की बात कही थी। ये बहुत ही सुखद संयोग है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अटल जी के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद औऱ एकात्म मानववाद को न सिर्फ जमीन पर उतारने का काम कर रहे हैं, बल्कि उनके सपनों को आकार देकर भारतीय जनमानस में अब तक के इतिहास में सबसे लोकप्रिय जननेता बन गए हैं। अटल जी ने नदी से नदी को जोड़ने के अभियान का सपना भी देखा था, वे कहते थे कि यदि ऐसा हो गया तो पूरे देश में हरियाली रहेगी, पानी की कमी नहीं होगी और हर क्षेत्र समृद्धशाली होगा। अब उनकी ही 100वीं जयंती पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मध्यप्रदेश के खजुराहो में “केन-बेतवा लिंक परियोजना” के लिए भूमि पूजन कर उनके एक और सपने को साकार करने जा रहे हैं। अटल जी ने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प भी लिया था, जिसे पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं।
अटल जी अपने छात्र जीवन के दौरान वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था लेकिन 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। अटल जी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक विनम्र स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। निजी जीवन में प्राप्त सफलता उनके राजनीतिक कौशल और भारतीय लोकतंत्र की देन है। उनकी छवि एक ऐसे विश्व नेता की है, जो विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व देते थे। राष्ट्र प्रथम की भावना, महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के युगदृष्टा अटल जी भारत को दुनिया के तमाम देशों के बीच एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे। अपने नाम के ही समान, अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले युगपुरुष थे, जो जनता की बातों को ध्यान से सुनते थे और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते थे। इसलिए तो भारतीय जनमानस और राजनीतिक पटल पर अटल जी हमेशा-हमेशा के लिए हम सबके के बीच थे, अभी हैं और सदियों तक रहेंगे।
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