जर्मनी में हुए आतंकी हमले को लेकर जहां यह साफ हो चला है कि यह हमला किसने कराया है तो वहीं पश्चिमी मीडिया का इस हमले को लेकर बहुत ही गैर जिम्मेदाराना व्यवहार देखने को मिला है। गार्डियन, एनबीसी न्यूज़, रेउटर्स, वाशिंगटन पोस्ट सहित कई ऐसे कथित प्रतिष्ठित समाचारपत्र हैं, जिनके शीर्षक में आतंकी के स्थान पर “कार” को दोषी ठहराया।
इस पर सोशल मीडिया में काफी हंगामा हुआ और एलन मस्क सहित कई लोगों ने इसकी आलोचना की। एलन मस्क ने एक यूजर का पोस्ट साझा किया। उस यूजर ने उन तमाम शीर्षकों के स्क्रीनशॉट साझा किए थे।
एक्स के मालिक एलन मस्क काफी लंबे अरसे से कथित मुख्यधारा की मीडिया के खिलाफ अभियान चलाए हुए हैं। अमेरिकी चुनावों के दौरान इसे और अधिक प्रमुखता से देखा गया था।
ऐसे पोर्टल्स के शीर्षकों पर आम लोग सोशल मीडिया पर खुलकर बात कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर हमला करने वाला आदमी सऊदी से न होता और श्वेत व्यक्ति होता तो भी क्या इनका यही रवैया होता? वैसे यह प्रश्न हिंदुओं को लेकर भी पूछा जा सकता है। कथित हिंदू चरमपंथ का ढोल पीटने वाला पश्चिमी कम्युनिस्ट मीडिया सऊदी से किसी नाम पर कार को दोषी कैसे ठहरा सकता है? पश्चिम का मीडिया ही नहीं बल्कि पश्चिम का कम्युनिस्ट अकादमिक जगत इस सीमा तक हिंदू विरोध से भरा हुआ है कि उसे कल्पना में तो हिंदू चरमपंथ दिखाई देता है, मगर यथार्थ में पूरे यूरोप में बढ़ रही अन्य कट्टरपंथी घटनाएं नहीं दिखती हैं।
वहीं कुछ लोगों ने ऐसे शीर्षकों पर चटखारे भी लिए। एक यूजर ने एसोसिएट प्रेस का समाचार रीपोस्ट करते हुए लिखा कि “ban cars” अर्थात कारों को प्रतिबंधित करो।
एक यूजर ने गार्डियन को संबोधित करते हुए लिखा कि मीडिया हाउस यह जानता है कि एक आदमी ने इस घृणित काम को किया है, फिर भी यह अपमानजनक नेरटिव क्यों दिया जा रहा है?
यह बहुत हैरान करने वाली बात है कि पूरी दुनिया में सच की बात करने वाले सच्चाई के कथित ठेकेदार सच को क्यों नहीं लिख रहे हैं? क्या कार खुद ही चलकर लोगों को रौंद सकती है? क्या कार खुद जाकर भीड़ में घुस सकती है? नहीं! यह स्पष्ट है कि कार को कोई चलाएगा ही। जब कोई चलाएगा तभी कार चलेगी।
एक यूजर ने बीबीसी का एक वीडियो साझा किया। जिसमें बीबीसी में आए दो मेहमान यह चर्चा कर रहे हैं कि आखिर 50 वर्षीय सऊदी अरबी डॉक्टर ने आखिर यह हमला क्यों किया। एक ने कहा कि हो सकता है कि उसकी नौकरी चली गई हो या फिर उसका तलाक हो गया हो। एक ने हैरानी जताई कि आखिर बाजार में ऐसा कोई कंक्रीट बालर्ड क्यों नहीं था, जो कार को भीड़ में जाने से रोक देता।
वहीं हमलावर Talib Abd AlMohsen को लेकर एक और बड़ा समाचार आ रहा है। वह यह कि वह सऊदी से भगोड़ा अपराधी है। और सऊदी ने जर्मनी से अनुरोध किया था कि वह उसे वापस भेज दें, क्योंकि उसमें चरमपंथ की प्रवृत्ति है।
सऊदी के एक पत्रकार ने सुल्तान अल नेफे (sultanalnefaie) ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “सऊदी सरकार ने तालिब अब्दुलमोहसेन को चेतावनी दी थी कि उनमें चरमपंथी प्रवृत्तियाँ हैं, लेकिन जर्मनी ने उन्हें असंतुष्ट या विरोधी के रूप में राजनीतिक शरण दी। यह वह समस्या है जिसके बारे में हम 11 सितंबर से बात कर रहे हैं”
एक और पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें एक सऊदी लड़की के हवाले से यह दावा किया जा रहा है कि उसने सितंबर 2023 में ही तालिब के खतरे के बारे में जर्मनी की पुलिस को बताया था कि वह लोगों पर कार चढ़ाने वाला है।
मगर जर्मनी की पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया। और इस रिपोर्ट से एक महीने पहले तालिब ने 20 जर्मन नागरिकों को मारने की धमकी के साथ ट्वीट किया था और इसी लड़की ने पुलिस को रिपोर्ट की थी, मगर पुलिस ने अनदेखा किया था।
उसके विषय में ऐसा भी सोशल मीडिया में आया है कि वह सऊदी का शिया पृष्ठभूमि का नास्तिक था। वह 2006 से जर्मनी में राजनीतिक शरणार्थी के रूप में शरण लिए हुए था। वह पश्चिमी देशों में लड़कियों की दलाली का काम करता था और उसने खाड़ी की कई लड़कियों को देह व्यापार में धकेला। उसकी एक पीड़िता “रीमा” ने वर्ष 2023 में आत्महत्या कर ली थी।
सोशल मीडिया पर तालिब के बारे में कई जानकारियाँ निकलकर आ रही हैं, मगर सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ये तमाम जानकारियाँ मीडिया के पास नहीं थीं? मगर मीडिया यह सब नहीं बता रहा है। वह ऐसा क्यों नहीं कर रहा है। वह तो कार को दोषी ठहरा रहा है। मगर एलन मस्क से लेकर अमेरिका के उपराष्ट्रपति के रूप में नामित जेडी वेंस यही पूछ रहे हैं कि “कार कौन चला रहा था?”
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