इरोड पूर्व सीट पर विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस के लिए एक और बड़ा जख्म लेकर आने वाला है। इस बार यह जख्म चुनाव परिणाम में नहीं बल्कि चुनाव से पूर्व ही सीट पर उम्मीदवारी के मामले का है।
इरोड पूर्व तमिलनाडु के इरोड जिले में विधानसभा सीट है। कांग्रेस के विधायक इरोड वेंकट कृष्णस्वामी संपत एलंगोवन के असामयिक निधन के कारण यह सीट खाली हुई है। ईवीकेएस एलंगोवन ने भी 2023 में अपने पुत्र व इस सीट के विधायक के निधन के कारण खाली हुई सीट से उपचुनाव लड़कर विधायक बने थे।
इरोड पूर्व सीट इरोड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को विभाजित करके वर्ष 2008 में बनाई गई थी। इस सीट के गठन के बाद चार बार चुनाव हुए हैं और 2021 और 2023 में दो बार कांग्रेस पार्टी ने इस सीट को जीता है।
एलंगोवन के निधन के बाद रिक्त हुई इस सीट पर राज्य में सत्ताधारी व कांग्रेस पार्टी की सहयोगी डीएमके की नज़र है। डीएमके इस सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है। डीएमके की यह सोच कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका है। डीएमके ने अभी स्पष्ट तौर पर कांग्रेस पार्टी से इस सीट की मांग नहीं की है, लेकिन डीएमके सुप्रीमो और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस सीट से अपने उम्मीदवार उतारने के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं।
स्टालिन का यह संकेत भी कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके की तरह है। यह सीट कांग्रेस ने 2021 के विधानसभा चुनाव में 8,904 मतों से जीती थी, जबकि 2023 के उपचुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत का अंतर सात गुना करते हुए 66,233 मतों का कर लिया।
डीएमके की इस संभावित मांग को कांग्रेस पार्टी इंकार करने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस के बुरे प्रदर्शन का दौर चल रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद हुए चार राज्यों के विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में हुए उपचुनावों में बहुत ही खराब प्रदर्शन किया। इस गिरते प्रदर्शन से कांग्रेस पार्टी के सहयोगी दल उसके साथ पहले की तरह सीटों का तालमेल करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसी सन्दर्भ में अब तमिलनाडु में कांग्रेस पार्टी को अब अपनी गिरे हुए प्रदर्शन की कीमत तमिलनाडु में चुकाना पड़ रहा है। अब डीएमके कांग्रेस पार्टी से जीती हुई सीट भी छीनने की फिराक में है। विदित हो कि पिछले 2021 के विधानसभा चुनाव में सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायन्स के तहत चुनाव लड़ते हुए 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 18 सीटें जीती थी।
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