नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आज लोकसभा में भारी हंगामे के बीच ‘एक देश-एक चुनाव’ से संबंधित 129वां संविधान संशोधन विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के विरोध और शोर-शराबे के कारण लोकसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष का हंगामा और आंबेडकर का मुद्दा
लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के मुद्दे पर जोरदार शोर-शराबा शुरू कर दिया। विपक्षी सदस्य सदन के बीचों-बीच आ गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में उपस्थित थे।
जेपीसी को सौंपा गया विधेयक
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने हंगामे के बीच 129वें संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखा। विपक्षी सदस्यों के विरोध के बावजूद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित किया गया और इसे मंजूरी दे दी गई।
जेपीसी में कुल 27 सदस्य होंगे, जिनमें से 12 सदस्य राज्यसभा से होंगे।
लोकसभा अध्यक्ष का बयान और चेतावनी
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामे के दौरान सदस्यों से आग्रह किया कि वे संसदीय परंपराओं और गरिमा का सम्मान करें। उन्होंने चेतावनी दी कि संसद परिसर धरना या प्रदर्शन का स्थान नहीं है। अगर ऐसा किया गया तो कार्यवाही की जा सकती है।
सत्र समाप्ति की घोषणा
हंगामे और नारेबाजी के बीच, लोकसभा अध्यक्ष ने वंदेमातरम के साथ कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
‘एक देश-एक चुनाव’ विधेयक का महत्व
129वें संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। यह विधेयक देश की चुनाव प्रणाली को सरल बनाने और चुनावी खर्च को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, इस पर विपक्ष और सरकार के बीच मतभेद हैं।
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