देहरादून । राजधानी देहरादून और उसके आसपास के इलाकों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की मौजूदगी को लेकर पुलिस ने सघन सत्यापन अभियान शुरू किया है। इस अभियान में बड़ी संख्या में बंगाल और असम के मूल निवासियों के तौर पर पहचाने जा रहे संदिग्ध लोग सामने आए हैं। इन लोगों के उत्तराखंड जैसे शांतिपूर्ण राज्य में आने और झुग्गियां बसाने के कारणों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने भी राज्य पुलिस से इस विषय पर रिपोर्ट मांगी है।
सत्यापन अभियान की शुरुआत
उत्तराखंड पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजेय सिंह ने जानकारी दी कि सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए देहरादून के शहरी और ग्रामीण इलाकों में सत्यापन अभियान शुरू किया गया है। उन्हें कुछ संवेदनशील इनपुट्स मिले थे, जिनमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के कुछ स्थानों पर होने की सूचना दी गई थी। इस इनपुट के आधार पर पुलिस ने 9 थाना क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाया।
पुलिस अधीक्षक नगर, विकासनगर और ऋषिकेश के नेतृत्व में पुलिस की टीमों ने मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों और मलिन बस्तियों में गहन छानबीन की। अभियान के तहत लगभग 1004 बाहरी व्यक्तियों के दस्तावेज और पहचान पत्र सत्यापित किए गए।
177 परिवारों की पहचान
सत्यापन अभियान के दौरान पुलिस ने पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, मुर्शिदाबाद, 24 परगना और असम के बरपेटा, गोलपारा और बुगईगांव जिलों के मूल पते वाले लगभग 177 परिवारों की पहचान की। इनमें से 75 संदिग्ध व्यक्तियों को पुलिस ने पूछताछ के लिए थाने बुलाया। इनसे आवश्यक पूछताछ की जा रही है और उनके डेटा का संकलन कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
संदिग्ध प्रवासियों की उपस्थिति
पुलिस के अनुसार, इन प्रवासियों का झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर बसना और बिना किसी ठोस प्रमाण के खुद को असम और बंगाल के निवासी बताना गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। सवाल यह है कि ये लोग इतने दूर उत्तराखंड में क्यों आकर बस रहे हैं? क्या ये केवल प्रवासी मजदूर हैं या फिर बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिक हैं, जो किसी षड्यंत्र के तहत यहां पहुंच रहे हैं?
गृह मंत्रालय की निगरानी
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने पुलिस प्रशासन से इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। पुलिस द्वारा जुटाए गए डेटा और जानकारी को मंत्रालय को सौंपा जाएगा। इसके बाद उच्च स्तर पर इस पर निर्णय लिया जाएगा।
सुरक्षा के लिए कठोर कदम
एसएसपी अजेय सिंह ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान राज्य की सुरक्षा के दृष्टिकोण से चलाया जा रहा है। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और पूरी सतर्कता के साथ मामले की जांच की जा रही है। पुलिस टीम हर संदिग्ध व्यक्ति का पूरा डेटा तैयार कर रही है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके।
स्थानीय निवासियों की चिंता
इस मामले ने स्थानीय निवासियों के बीच चिंता बढ़ा दी है। देहरादून जैसे शांत और सुरक्षित क्षेत्र में बाहरी और संदिग्ध प्रवासियों की उपस्थिति को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों ने मांग की है कि प्रशासन इस मामले में पूरी गंभीरता से जांच करे और जरूरत पड़ने पर कठोर कदम उठाए।
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और सीमावर्ती राज्य में बाहरी और संदिग्ध व्यक्तियों की उपस्थिति न केवल राज्य की सुरक्षा को चुनौती देती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि राज्य में घुसपैठ की घटनाएं बढ़ रही हैं। पुलिस द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य न केवल राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार का अवैध गतिविधि का संचालन न हो।
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