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‘एक देश, एक चुनाव’ बिल आज रखा जाएगा संसद की पटल पर, भाजपा ने सांसदों को जारी किया व्हिप

इसे संविधान में 129 वें संशोधन के जरिए लाया जाएगा।

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Kuldeep singh

‘एक देश, एक चुनाव’ बिल के लिए सरकार ने कमर कस ली है। इसे केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। इसके बाद ये अहम बिल आज लोकसभा में पेश किया जाएगा। इसके लिए भाजपा ने पार्टी के सभी सांसदों को व्हिप जारी किया है, कि वो आज संसद में ही मौजूद रहें। इसे संविधान में 129 वें संशोधन के जरिए लाया जाएगा।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इसे सदन की पटल पर पेश करेंगे। बाद में इसे स्पीकर ओम बिरला से इस विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति को संदर्भित करने के लिए आग्रह करेंगे। इस बिल में उन परिस्थितियों का भी जिक्र किया गया है कि संसदीय चुनावों के साथ किसी भी विधानसभा के चुनाव न हो सकें। एक देश और एक चुनाव बिल की धारा 2 की उपधारा 5 में इस परिस्थिति को लेकर प्रावधान दिए गए हैं कि अगर कभी चुनाव आयोग को ऐसा प्रतीत होता है कि किसी विधानसभा के चुनावों को लोकसभा के साथ नहीं होना चाहिए तो इस स्थिति में वो राष्ट्रपति से एक आदेश जारी करने का अनुरोध कर सकता है।

क्या-क्या होंगे संशोधन

एक देश एक चुनाव कराने के लिए सरकार को संविधान में कई सारे संशोधन करने होंगे। इसके अंतर्गत लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ संपन्न कराने के लिए आर्टिकल-82 (ए), संसद के सदनों की अवधि को तय करने के लिए आर्टिकल-83, राज्य विधानसभाओं की समय-सीमा तय करने के लिए अनुच्छेद-172 और विधायिकाओं से जुड़े प्रावधान करने की संसद की शक्ति के लिए अनुच्छेद-327 में संशोधन किए जाने की आवश्यकता सरकार को है।

एक देश एक चुनाव के फायदे

एक देश एक चुनाव की प्रथा लागू होने के कई फायदे होंगे। एक साथ चुनाव होने से पैसों की बचत होगी, क्योंकि एक साथ चुनाव होने से कई तरह की व्यय जिसे दुबारा करना पड़ता है उससे एक बार में ही निपटा जा सकता है। सरकार उस पैसे का जनहित में कार्य जैसे स्कूल, सड़क, अस्पताल वो अन्य कार्य कर सकेगी। सुरक्षा बलों पर काम का कम तनाव रहेगा क्योंकि उनको ज्यादा समय मिलेगा, जिससे कि वो उसका सदुपयोग अपने परिवार के साथ समय बिताने में कर सकेंगे। चुनाव आचार संहिता कम लगने से विकास गतिविधि पर सरकार ज्यादा गहराई से काम कर सकेगी। लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक साथ संपन्न होने के कारण लोगों की मतदान प्रक्रिया में अधिक रूचि होगी और मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि होगी।

एक साथ चुनाव होने के कारण सरकार तत्काल के लाभ के बदले वैसे निर्णय लेगी, जिसका दूरगामी और समाज पर अच्छा प्रभाव पड़े। इस स्थिति में राजनितिक दलों को भी कम खर्च करना पड़ेगा जिसके कारण छोटे दलों को भी बड़े दलों से बराबरी का मुकाबले का मौका मिलेगा। एक साथ चुनाव होने के कारण आदर्श आचार संहिता के लागू होने की अवधि में कमी आएगी हुए सरकार अधिक जन सरोकार के कार्य करेगी।

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