प्रारंभिक वर्ग का शुभारंभ 29 नवंबर को शाखा से हुई। उद्घाटन सत्र में प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ टोपलाल वर्मा ने संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार के सम्पूर्ण जीवन वृतांत, संघ के उद्देश्य और भूमिका पर प्रकाश डाला।
दूसरे दिन की शुरुआत योग, प्राणायाम और शारीरिक अभ्यास से हुई। इसके बाद विभिन्न सत्र आयोजित किए गए:
स्वयंसेवक के गुण एवं हिन्दू संस्कृति की विशेषताएं।
संवाद एवं बौद्धिक सत्रः इस सत्र में अखिल भारतीय प्रचार टोली सदस्य मुकुल कनिटकर ने संघ की कार्यपद्धति, संघ की शाखाओं शिक्षा और संस्कार भारतीय परंपराओं में शिक्षा का महत्व पर प्रकाश डाला। समाज जागरण वर्तमान सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की।
इस सत्र में सह प्रांत प्राचारक नारायण नामदेव ने प्राध्यापकों को प्रार्थना, प्रार्थना का अर्थ, भोजन मंत्र का अभ्यास कराया। प्राध्यापकों ने विभाजित समूहों में गतिविधियां कीं, जैसे शिक्षण के उदाहरण, संवाद, और नेतृत्व कौशल का अभ्यास।
तीसरे दिन का मुख्य फोकस शिक्षकों को शिक्षण के व्यावहारिक पहलुओं से परिचित कराना
था। इस सत्र मे प्रांत प्राचारक अभय राम जी ने राष्ट्र निर्माण मे प्राध्यापकों की भूमिका पर चर्चा की।
संख्यात्मक वृत्तः प्रांत से कुल 484 प्राध्यापकों का पंजीयन हुआ जिसमे से 322 प्राध्यापक वर्ग में रहे। प्रांत के सभी 12 विभागों मे से सभी विभागों का प्रतिनिधित्व रहा और 34 जिलों में से 30 जिलों का प्रतिनिधित्व रहा। वर्ग में शारेरिक शिक्षण के लिये 22 कार्यकर्ता और बौद्धिक विभाग में 15 कार्यकर्ता वर्ग मे रहे। पूरे व्यवस्था में 60 कार्यकर्ता रहे। वर्ग मे 62 खंड, 45 नगर, 18 विश्वविद्यालय, 80 महाविद्यालयों का प्रतिनिधित्व रहा।
तीन दिवसीय “प्राध्यापकों का प्रारंभिक वर्ग” अत्यंत सफल रहा। प्रतिभागियों ने न केवल संघ के मूल्यों को गहराई से समझा, बल्कि व्यक्ति निर्माण, भारत को विश्व गुरु बनाने में नए विचारों को अपनाने की प्रेरणा भी प्राप्त की। यह वर्ग शिक्षकों को समाज और राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की गहरी समझ प्रदान करता है।
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