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सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद जर्मनी में सीरियाई नागरिकों का प्रदर्शन: लोगों ने कहा “वापस जाओ”

ब्रिटेन में, जहां पर 30,000 के करीब सीरियाई शरणार्थी हैं, वहाँ से भी लोगों की यही मांग सामने आ रही है कि अब शरणार्थियों को वापस चले जाना चाहिए।

by सोनाली मिश्रा
Dec 15, 2024, 04:19 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
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सीरिया में असद सरकार के गिरने के साथ ही उन देशों में सीरिया के नागरिकों ने प्रदर्शन किया, जहां पर वे असद के अत्याचारों से पीड़ित होकर चले गए थे। उन्होंने यूरोप के कई देशों में इस कारण शरण ली थी कि उन्हें असद की सरकार में प्रताड़ित किया जा रहा है।

जर्मनी में सीरिया के लाखों नागरिकों ने शरण ली थी। लगभग दस वर्ष पहले जर्मनी ने अपने दरवाजे सीरिया के उन नागरिकों के लिए खोल दिए थे जो बशर अल असद के शासन में तरह-तरह के अत्याचारों से परेशान थे। असद सरकार उन पर कई तरह के अत्याचार कर रही थी और वे पीड़ित थे। हालांकि उस समय जर्मनी में उन शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति थी और साथ ही लोगों को ऐसा लगता था कि वे शरण देकर उन्हें आस और उम्मीद दे रहे हैं। लोगों को अभी तक जर्मनी की तत्कालीन चांसलर एंजेला मार्कल की वे तस्वीरें याद हैं, जिनमें वह शरणार्थियों का स्वागत कर रही थीं।

मगर दस वर्षों में तस्वीर बदली है। जर्मनी में लोगों ने शरणार्थियों के उस व्यवहार को देखा, जो उनकी कल्पना से बाहर था। वहाँ पर अपराध बढ़े और ऐसे अपराध हुए, जिसकी उन्होंने शायद ही कल्पना की हो। ऐसे अनेक उदाहरण आए जब पूरा देश ही नृशंसता से हिल गया था। लड़कियों के साथ बलात्कार हुए, उनके साथ यौन हिंसा हुई और इसके साथ ही अन्य अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हुई। उसके बाद जर्मनी में आवाज उठने लगीं कि इन्हें बाहर किया जाए। सीरिया मे बशर अल असद की सरकार गिरने के बाद जर्मनी में 8 दिसंबर को कई शहरों में सीरियाई शरणार्थी शहर में बाहर निकलकर आए और उन्होनें जमकर जश्न मनाया।

अब इस जश्न के बाद लोग प्रश्न उठा रहे हैं। जर्मनी में लोग प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर यह जश्न क्या कहलाता है? और यह जश्न किसलिए? अगर यह जश्न इसलिए है कि सीरिया में आतंक का अंत हो गया है और लोकतंत्र वापस आ गया है तो फिर लोग वहीं चले जाएं।

जर्मनी की राष्ट्रवादी पार्टी एएफडी की नेता एलिस वेडेल ने एक्स पर लिखा कि “जो भी जर्मनी में रह रहा सीरिया का शरणार्थी “फ्री सीरिया” का जश्न मना रहा है, उसे अब वापस जाने के लिए कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।“

बीबीसी के अनुसार सहरा वेगेनक्नेचट, जिन्होंने इस वर्ष एक नई प्रवासी-अति-वामपंथ विरोधी पार्टी की स्थापना की है, ने भी एएफडी की ही बात को दोहराया। जर्मन पत्रिका स्टर्न को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद करती हूं कि सीरियाई लोग, जो इस्लामवादियों के सत्ता में आने का जश्न मना रहे हैं, जल्द से जल्द अपने देश वापस लौट आएंगे।”

हालांकि जर्मनी में कई सीरियाई नागरिक पूरी तरह से सेटल हो चुके हैं और काफी अच्छा काम कर रहे हैं, शिक्षा पा रहे हैं। बीबीसी के अनुसार 2021 और 2023 के बीच 143,000 सीरियाई लोगों को जर्मन नागरिकता प्राप्त हुई है, जो किसी भी और अन्य देश की तुलना में बहुत अधिक है, मगर अभी भी 7 लाख से अधिक सीरियाई नागरिक शरणार्थी हैं।

ब्रिटेन में, जहां पर 30,000 के करीब सीरियाई शरणार्थी हैं, वहाँ से भी लोगों की यही मांग सामने आ रही है कि अब शरणार्थियों को वापस चले जाना चाहिए।

वहीं बशर अल असद की सरकार के गिरने के बाद अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय को लेकर चिंता का माहौल है। लोगों ने सद्दाम हुसैन के पतन के बाद ईराक में ईसाई समुदाय के साथ हुए अत्याचारों का उल्लेख किया। गौरतलब है कि वर्ष 2014 में जब ईराक के मोसुल में आईएसआईएस ने कब्जा किया था, तो ईसाई और यजीदी समुदाय का कत्लेआम करना शुरू कर दिया था।

लोगों का कहना है कि असद के जाते ही सीरिया के भी ईसाई समुदाय के साथ हिंसा हो सकती है क्योंकि असद तानाशाह तो था, मगर वह अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति उदार था।

मगर वहीं जर्मनी में कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक और नेता इन आवाजों से खुश नहीं हैं। बीबीसी के अनुसार जर्मनी ग्रीन के विदेश मंत्री अन्नालेना बैरबॉक ने कहा, “जो कोई भी सीरिया की वर्तमान स्थिति का अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग करने की कोशिश करता है, वह मध्य पूर्व की वास्तविकता को शायद नहीं जानता है।“

सीरिया के नागरिक अपने देश जाएंगे या नहीं, यह तो यूरोप के देशों की विदेश नीति और निर्णयों पर निर्भर करता है, मगर यह बात पूरी तरह से सत्य है कि आम नागरिक इस बात को समझता है कि उसके देश और उसके देश के संसाधनों पर उसी का अधिकार होना चाहिए जो उस देश के मूल्यों को आत्मसात करता हो और यही कारण है कि सीरिया की असद सरकार के गिरने पर जश्न मनाने वालों को उन्होनें स्पष्ट संदेश दिया है कि आप इतने खुश हो रहे हैं, तो प्लीज आप अपने देश जाएं क्योंकि आप अभी भी उसी देश के सुख-दुख से जुड़े हैं, हमसे नहीं!

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