‘नेहरू विकास मॉडल ने अनिवार्य रूप से एक नेहरू विदेश नीति का मार्ग प्रशस्त किया है। हम विदेश में इसे ठीक करने में लगे हुए हैं। हम घर पर इस मॉडल के परिणामों को सुधारने में लगे हुए हैं।’ ये कहना है विदेश मंत्री एस जयशंकर का। उन्होंने ये भी कहा कि 2014 के बाद से इन्हीं पाठ्यक्रमों के सुधार की दिशा में तेजी से कोशिशें की गई हैं।
विदेशमंत्री एस जयशंकर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की पुस्तक ‘द नेहरू डेवलपमेंट मॉडल’ के विमोचन के मौके पर उन्होंने ये बातें कहीं। उन्होंने ये भी कहा कि नेहरू विकास मॉडल से ही नेहरू विदेश नीति पैदा होती है और उसे बीते 10 वर्षों से हम सही करने की कोशिशें कर रहे हैं। इसके साथ ही विदेशमंत्री ये चीन औऱ रूस को लेकर भी बयान देते हुए कहा कि उस काल की आर्थिक धारणाओं को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं, जिसे कभी उन्होंने ने ही बड़े जोरों-शोरों के साथ प्रचारित किया था। हालांकि, भारत में आज भी कुछ प्रभावशाली वर्गों में वो मान्यताएं दिखाई देती हैं।
उल्लेखनीय है कि पंडित नेहरू की विदेश नीति पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। उन्हें आलोचक दिवास्वप्न देखने वाला प्रधानमंत्री कहते रहे हैं। इसका एक प्रमाण ‘हिन्दी-चीनी भाई भाई नारे’ और इसके बाद 1962 में हुआ युद्ध है।
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