भारत की राष्ट्रभाषा और राजभाषा हिन्दी का बोलबाला अब दुनिया के कई देशों में हो रहा है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि ऐसी स्थिति लाने में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत बड़ा हाथ है। वे जिस भी देश में जाते हैं, वहां के लोग हिन्दी में उनका स्वागत करते हैं, हिन्दी गीत, कविता और भारत की संस्कृति की झलक दिखाते हैं। अब स्कॉटलैंड की संसद में भी हिन्दी को सम्मानित स्थान मिलने की पूरी संभावना बनी है।
स्कॉटलैंड, जो एक जमाने में इंग्लैंड का एक हिस्सा होता था, वहां की संसद में सरकार की ओर से जारी होने वाले संदेश अब जल्दी ही हिंदी में हासिल हो सकते हैं। ऐसा करने के लिए अनुरोध एक भारतवंशी स्कॉटिश नागरिक ने किया है। ये हैं सांसद डॉ. संदेश गुलहाने, जो वर्तमान में ग्लासगो में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा से जुड़े डाक्टर हैं और सामाज में स्वास्थ्य और सेवा के जिम्मेदार हैं।
स्कॉटलैंड की संसद के अधिकारियों के सामने यह मांग रखकर स्कॉटिश भारतीय डॉ. गुलहाने ने दिखाया है कि उस देश में भी हिन्दी अब एक सम्मानित स्थान प्राप्त कर चुकी है। उनके अलावा भी वहां के अनेक सांसद चाहते हैं कि हिन्दी में संसद की सरकारी सूचनाएं प्राप्त हों।
आंकड़ों के हिसाब से आबादी में भारतीय दूसरे स्थान पर हैं तो हिन्दी की ऐसी लोकप्रियता सहज समझी जा सकती है। इसलिए सार्वजनिक संदेशों और स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न अभियानों के बारे में हिंदी में भी सामग्री दी जाने की मांग बेमानी नहीं लगती।
उल्लेखनीय है कि डॉ. गुलहाने की इस मांग पर स्कॉर्टलैंड की सरकार जल्दी ही विचार करने वाली है। उस देश की सरकार भी मानती है कि स्कॉटलैंड में बसे भारतीयों की अच्छी—खासी संख्या है। ये भारतीय हिन्दी के दीवाने हैं और बोलने—समझने में खूब माहिर हैं।
डॉ. गुलहाने ने पिछले दिनों एडिनबर्ग में संसद में हिन्दी की मांग रखते हुए कहा कि स्वास्थ्य से जुड़े सार्वजनिक संदेश कई भाषाओं में प्रेषित किए जाते हैं, लेकिन अफसोस है कि ये हिंदी में उपलब्ध नहीं होते जबकि देश में रह रहे भारतवंशी हिन्दी समझते—बोलते हैं। उन्होंने स्कॉटलैंड की प्रथम उपमंत्री केट फोर्ब्स के सामने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए कि वैकल्पिक भाषाओं के नाते हिन्दी में भी सरकारी सूचनाएं दी जाएं।
जैसा पहले बताया, 2022 में हुई जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि भारतवंशी स्कॉटलैंड की आबादी में दूसरे सबसे बड़े प्रवासी समूह के नाते उभरे हैं। इतना ही नहीं, हिंदी आज दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है। स्कॉटलैंड में तो हिंदी बोलने—समझने वाले इतने लोग हैं जितनी पर्थ की आबादी है।
डॉ. गुलहाने स्कॉटलैंड की संसद में कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद हैं। हिन्दी के प्रति उनके आग्रह पर स्कॉटलैंड की सरकार ने कहा कि इस विषय पर विचार किया जाएगा। स्कॉटलैंड के विकास में हिंदी भाषी लोगों के योगदान से इंकार नहीं किया जा सकता। उनकी भाषा में सभी सरकारी जानकारी उपलब्ध होने की मांग अनुचित नहीं है।
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