देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने अवैध मजारों को हटाने की कार्रवाई एक अभियान के रूप में ली थी, अभी भी अर्बन एरिया, ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कई अवैध मजारें मौजूद है। गौर करने की बात ये है कि ये अवैध मजारें संवेदनशील स्थानों पर बनाई गई और सरकारी तंत्र आंख मूंद कर बैठा रहा।
कोटद्वार, देहरादून के कैंट एरिया में अवैध मजारें बनी हुई है, विकास नगर यमुनोत्री हाईवे पर मजार बनी हुई है। जबकि आसान बैराज के पास की मजार को हटाया गया है। कालसी वन विभाग क्षेत्र में उत्तराखंड हिमाचल सीमा पर भूरे शाह की फ्रेंचाइजी मजार बनाई गई है।
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देहरादून के दून हॉस्पिटल में अवैध मजार बनाई गई। हाल ही में दून कैंट एरिया के द्वार पर दून स्कूल के भीतर मजार बनाई जा रही थी जिसे हटा दिया गया। दून के एफ आर आई रेंजर्स कैंपस में अवैध मजार बनी हुई है। आईएसबीटी देहरादून के पास मजार देखी जा सकती है जो कि हाल ही में बनी है। ऐसी ही एक मजार रेलवे स्टेशन के करीब भी बनी हुई है। एमडीडीए शॉपिंग कांप्लेक्स के भीतर मजार बना कर उसे पक्का कर दिया गया। राजधानी देहरादून में 53 फ्रेंचाइजी अवैध मजारें हैं, एक ही नाम की पांच छ मजारें मिल जाएंगी। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के भीतर मजार, हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के करीब और काठगोदाम पुल और रेलवे स्टेशन के पास सरकारी जमीन पर कब्जा कर मजार कैसे बनी? टेढ़ी पुलिया के सामने मार्ग में आर्मी कैंट के पास मजार, राजपुरा में एफसीआई गोदाम में मजार, आखिर इनको किसने बनने दिया ?
कोटद्वार में आर्मी कैंट एरिया में मजार किसने बनवाई? जबकि आर्मी में मुस्लिम की भर्ती लगभग नहीं होने से यहां इबादत की कोई परम्परा नहीं है। सनातन नगरी हरिद्वार में जिला अदालत के पास, बी एच ई एल कॉलोनी में अवैध मजार किसने बनवाई ? हरिद्वार में ॐ घाट के पास फ्लाई ओवर में हरि चादर लिपटा हुआ बक्सा रख दिया है फ्लाई ओवर के नीचे मजार बना दी गई? किसी ने उसे रोका तक नहीं। हाल ही में संघ कार्यालय के पास से मजार को सड़क से हटाया गया। सनातन नगरी हरिद्वार के कुंभ क्षेत्र में गैर हिंदुओ के धर्मस्थलों के निर्माण पर रोक है ऐसे में मजारों का बनना संदेह पैदा करता है।बताता गया है एक योजना के तक मुस्लिम समुदाय द्वारा इन मजारों में धीरे धीरे नमाज भी पढ़ी जाने लगी है यानि ये मस्जिद का रूप लेने लगी है।
उधम सिंह नगर जिले में भी यही हालात बनते जा रहे हैं, मुख्य राष्ट्रीय मार्गो से अवैध मजारें हटाने के बावजूद अभी भी खादिमों के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं और मजारें खड़ी हो रही हैं। जसपुर काशीपुर मार्ग में नई मजार बना दी गई है और प्रशासन खामोश दिखाई दे रहा है। वन विभाग की संरक्षित भूमि पर कालू सैय्यद की फ्रेंचाइजी मजार ने कई एकड़ भूमि कब्जाई हुई है।
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पिछले दिनों भारी विरोध के बावजूद देहरादून कालसी के आर्मी एरिया के पास कब्रस्तान बना दिया है। जबकि इस पर आर्मी प्रशासन ने भी सुरक्षा की दृष्टि से एतराज किया है। पिथौरागढ़ के सीमावर्ती कस्बे धारचूला कभी इनर लाइन क्षेत्र में बाहरी व्यक्तियों को प्रवेश केवल अनुमति से मिलता था स्थानीय जनजाति समुदाय यहां अपनी संस्कृति को संरक्षण देता था अब यहां आलीशान मस्जिद कैसे बन गई? ये बड़ा सवाल है। गौर करने की बात ये है कि एकाएक अवैध मजारें बनाने का सिलसिला केवल संवेदनशील स्थानों पर ही क्यों हुआ होगा? क्या इसके पीछे कोई षडयंत्र तो नहीं? खास बात ये है कि ये अवैध मजारें भारत और उत्तराखंड सरकार की जमीनों पर कब्जा करने की नीयत से बनाई गई है, जिसका उल्लेख सीएम पुष्कर सिंह धामी भी करते रहे हैं और वे उन्हें हटाने की बात भी करते हैं। देखना अब ये है कि वे अपने संकल्प को कब तक पूरा करते हैं।
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