अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बम धमाके में तालिबान सरकार के शरणार्थी मंत्री और मोस्ट वांटेड आतंकी खलील हक्कानी की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि बुधवार (11 दिसंबर) को शरणार्थी मंत्रालय के अंदर हुए आत्मघाती विस्फोट में खलील हक्कानी समेत उसके 4 बॉडीगार्ड्स भी मारे गए। आत्मघाती विस्फोट की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है। खलील हक्कानी शक्तिशाली हक्कानी नेटवर्क का वरिष्ठ सदस्य था और तालिबान के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का चाचा भी था। खलील अफगानिस्तान में आने वाले शरणार्थियों की समस्याओं को देखता था।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान अधिकारियों ने बताया कि यह विस्फोट किसने किया इसका पता लगाने के लिए जांच चल रही है। यह तो साफ है कि हमला हक्कानी को निशाना बनाकर ही किया गया था।
अमेरिका ने खलील हक्कानी के सिर पर 5 मिलियन डॉलर (करीब 42 करोड़ 41 लाख भारतीय रुपए) का इनाम रखा था। वर्ष 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही खलील हक्कानी खुलेआम घूम रहा था। अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद से तालिबान और हक्कानी नेटवर्क मिलकर सरकार चला रहे हैं। तालिबान सरकार के कई अहम मंत्रालय पर हक्कानी नेटवर्क के लोग काबिज हैं। अमेरिका ने हक्कानी को वैश्विक आंतकी भी घोषित किया हुआ है और इस संगठन पर प्रतिबंध लगा रखा है।
हक्कानी नेटवर्क क्या है?
हक्कानी नेटवर्क तालिबान का एक आतंकवादी गुट है। यह नेटवर्क अफगानिस्तान और पाकिस्तान में फैला हुआ है। पिछले दो दशकों में हक्कानी नेटवर्क द्वारा अफगानिस्तान में कई हमले किए गए हैं। वर्ष 2012 में अमेरिका ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। हक्कानी नेटवर्क आतंकी हमलों में आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है।
कौन है सिराजुद्दीन हक्कानी
सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान सरकार में आतंरिक मंत्री है। वह तालिबान के बड़े कमांडरों में से एक है। वर्तमान में हक्कानी अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की वांटेड लिस्ट में शामिल है और उस पर भी 1 करोड़ डॉलर का इनाम भी है। इसके साथ ही सिराजुद्दीन पर कई दूतावासों, राजनयिकों और नाटो सेना पर हमलों का आरोप है।
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