बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार और दमन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। चाहे सरकार हो, पुलिस प्रशासन हो या न्यायालय, हिंदुओं को निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। ताजा मामला इस्कॉन पुजारी चिन्मय दास और उनके समर्थकों का है। दास की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनके सैकड़ों समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। यह मामला चटगांव में अदालत परिसर में हुई झड़प से जुड़ा है।
पुलिस की कार्रवाई
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, दर्ज प्राथमिकी में देशद्रोह के आरोपों में दास को मुख्य आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा 164 पहचाने गए और 400 से 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। यह मामला तब दर्ज हुआ जब चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद अबू बकर सिद्दीकी की अदालत में व्यवसायी और हिफाजत-ए-इस्लाम के कार्यकर्ता इनामुल हक ने शिकायत दर्ज कराई।
इनामुल हक का दावा है कि 26 नवंबर को न्यायालय में जमीन रजिस्ट्री का काम पूरा करने के बाद घर लौटते समय दास के समर्थकों ने उन पर हमला किया। इस हमले में उनके दाहिने हाथ और सिर में चोट आई। शिकायत में उन्होंने इस्कॉन समर्थकों पर हिंसा का आरोप लगाया।
इस्कॉन के भक्त निशाने पर
अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के कोलकाता प्रवक्ता राधारमण दास ने बांग्लादेश में हिंदू भक्तों पर हो रहे हमलों की निंदा की। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी समूह खुलेआम इस्कॉन भक्तों और उनके समर्थकों के विनाश का आह्वान कर रहे हैं। दास ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि ये कट्टरपंथी निजी विमानों से पूरे देश में घूम रहे हैं और हिंदू समुदाय के खिलाफ घृणा फैला रहे हैं।
कट्टरपंथी नेता की धमकी
एक वायरल वीडियो में, एक बांग्लादेशी कट्टरपंथी नेता ने इस्कॉन को ‘कैंसर’ करार देते हुए इसे खत्म करने की बात कही। उसने अपने समर्थकों से सभी इस्कॉन केंद्रों को हटाने की अपील की। दास ने चेतावनी दी कि इस तरह की नफरत फैलाने वाली बातें बड़े पैमाने पर हिंसा का कारण बन सकती हैं।
दास ने यह भी कहा कि बांग्लादेश सरकार कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल रही है। यह स्थिति न केवल भयावह है बल्कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
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