गाजियाबाद के कौशांबी थाना क्षेत्र की वैशाली कॉलोनी में अवैध रूप से निर्मित मस्जिद और डिस्पेंसरी के खिलाफ सिंचाई विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई की गई है। यह मुद्दा तब प्रकाश में आया जब सोशल मीडिया पर अवैध निर्माण की शिकायतें सामने आईं। इसके बाद, प्रशासन ने इस मामले की गहन जांच कर कार्रवाई शुरू की।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
सोशल मीडिया पर अवैध निर्माण को लेकर स्थानीय नागरिकों द्वारा शिकायतें की गईं। इन शिकायतों के आधार पर, सिंचाई विभाग ने स्थानीय पुलिस से रिपोर्ट मांगी। पुलिस की जांच में मस्जिद और डिस्पेंसरी का निर्माण अवैध पाया गया। इसके बाद, सिंचाई विभाग ने मस्जिद प्रबंधन को नोटिस जारी करते हुए निर्माण हटाने का निर्देश दिया।
मौलवी का पक्ष
मस्जिद के प्रबंधक के. हसन ने बताया कि 2007 में उन्होंने अधिकारियों से मौखिक अनुमति ली थी। हालांकि, लिखित में किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं मिली। उनका कहना है कि हाईटेंशन लाइन के नीचे नमाज अदा करने की मौखिक सहमति दी गई थी।
प्रबंधक ने यह भी दावा किया कि उन्होंने जिला प्रशासन, नगर निगम, और अन्य सरकारी अधिकारियों से इस मामले में बात की थी। उन्होंने क्षेत्र में अन्य स्थान पर भूमि उपलब्ध कराने की अपील की, ताकि मस्जिद का निर्माण कानूनी रूप से हो सके।
मुस्लिम धर्मगुरु हाजी खालिद ने इस विवाद पर कहा कि अवैध रूप से कब्जाई गई जमीन पर मस्जिद बनाना गलत है और ऐसी जगह पर नमाज नहीं पढ़ी जानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि मस्जिदें केवल वैध और खरीदी गई भूमि पर ही बनाई जानी चाहिए।
प्रशासन का पक्ष
सिंचाई विभाग ने मस्जिद के साथ ही क्षेत्र में बनी अन्य संरचनाओं, जैसे एक गौशाला और एक मंदिर को भी नोटिस जारी किया है। अधिकारियों का कहना है कि निर्माण हटाने के लिए दिवाली के बाद का समय दिया गया था। वर्तमान में, प्रशासन ने नमाज और अन्य धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी है।
स्थानीय निवासियों की मांग
मस्जिद प्रबंधन का कहना है कि वैशाली कॉलोनी में लगभग 250 मुस्लिम परिवार रहते हैं। इन परिवारों को नमाज अदा करने के लिए 2-3 किलोमीटजाना पड़ता है।
आगे की कार्रवाई
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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