बसपा सुप्रीमो मायावती ने बांग्लादेश के मुद्दे पर सपा और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है. अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सपा और कांग्रेस संभल में हुई हिंसा को मुद्दा बना रही हैं. कांग्रेस और सपा, संभल की हिंसा के बहाने मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगी हुई हैं. शेष मुद्दों से सपा – कांग्रेस को कोई लेना-देना नहीं है. संसद में विपक्षी पार्टियां देश और जनहित के मुद्दे को नहीं उठा रही हैं. सपा और कांग्रेस संभल में तुर्क एवं गैर तुर्क मुसलमानों को आपस में लड़ाने की साजिश कर रही हैं. इन दलों से मुस्लिम समाज के लोगों को सतर्क रहना चाहिए. इससे भी ज्यादा कष्ट की बात है कि दलित बिरादरी के सांसद भी अपनी-अपनी पार्टियों के आकाओं को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. वो लोग भी दलित उत्पीड़न के मुद्दों पर सवाल नहीं उठा रहे हैं.
मायावती ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू बड़ी संख्या में प्रताड़ित किये जा रहे हैं, बांग्लादेश में प्रताड़ित होने वालों में अधिकतर संख्या दलितों और कमजोर लोगों की हैं. बाबा साहेब संविधान सभा में बंगाल के जिस जैसोर खुन्ना क्षेत्र से चुनकर आए थे. वो हिंदू बाहुल्य क्षेत्र था. इसके बावजूद षड्यंत्र के तहत उस क्षेत्र को पाकिस्तान को दे दिया गया. वर्तमान समय में अब वह बांग्लादेश में है. इसी कारण से बाबा साहेब बांग्लादेश से इस्तीफा देकर भारत वापस आ गए थे. इस प्रकार के जातिवादी खेल, कांग्रेस पार्टी की तरफ से रचा गया था. अब बांग्लादेश में हिन्दुओं का शोषण हो रहा है मगर विपक्ष चुप है. वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी की विपक्ष में मुख्य भूमिका है. मगर कांग्रेस पार्टी ने चुप्पी साध रखी है. कांग्रेस पार्टी मात्र मुस्लिम वोट के लिए संभल-संभल चिल्ला रही है. सपा भी राग अलाप रही है. कांग्रेस और इसके समर्थक दल एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं. वर्तमान समय में बीजेपी सरकार को अपनी जिम्मेदारी आगे बढ़कर निभाना चाहिए ताकि दलित वर्ग के लोगों को और ज्यादा शोषण का शिकार न होना पड़े. दलित वर्ग की आबादी बांग्लादेश में बहुत अधिक हैं.
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