मस्जिदों का इतिहास बताने में समस्या क्या है? : आखिर मंदिरों का इतिहास ध्वस्त तो हुआ ही है!
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मस्जिदों का इतिहास बताने में समस्या क्या है? : आखिर मंदिरों का इतिहास ध्वस्त तो हुआ ही है!

क्या यह देश के हिंदुओं का अधिकार नहीं है कि वे यह कम से कम जानें तो कि उनके मंदिरों के साथ हुआ क्या था.? आखिर भारत भूमि पर इतनी मस्जिदें कहाँ से बन गई.?

by सोनाली मिश्रा
Dec 5, 2024, 10:00 pm IST
in भारत, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

उत्तर प्रदेश के संभल जिले से लेकर राजस्थान के अजमेर की अढ़ाई दिन की मस्जिद के ऐतिहासिक तथ्यों पर इन दिनों बहस हो रही है। भारत में असंख्य मस्जिदें ऐसी हैं, जिनका स्थापत्य और इतिहास यह बताता है कि इन मस्जिदों का इतिहास कुछ और रहा है। जिन मस्जिदों का स्थापत्य खुद ही यह कह रहा हो कि यह पूर्व में मंदिर रहा है या फिर इनके बनाने में उन मंदिरों की सामग्री का प्रयोग हुआ है, जिन्हें आक्रमणकारियों ने तोड़ा, तो यह स्वीकारने में क्या आपत्ति है।

क्या यह देश के हिंदुओं का अधिकार नहीं है कि वे यह कम से कम जानें तो कि उनके मंदिरों के साथ हुआ क्या था? आखिर भारत भूमि पर इतनी मस्जिदें कहाँ से बन गईं? और यदि ये मस्जिदें मंदिर तोड़कर बनी हैं, तो कम से कम यह स्वीकारा तो जाए! यह तो बताया न जाए कि ये मस्जिदें बेजोड़ स्थापत्य का नमूना है। यह हिंदुओं के साथ दोहरा अन्याय है।

एक तो उनके उपासना स्थलों को तोड़ा गया और दूसरी ओर उनके इतिहास को भी दबा दिया गया। हिंदुओं के हजारों मंदिरों को तोड़ा गया और उनपर मस्जिदें बनाई गईं। क्या कभी हिंदुओं की उस पीड़ा का अनुमान भी लगाया गया है जो उन्हें उन मस्जिदों को देखकर होती है, जिनमें उनके मंदिरों के खंभों आदि को प्रयोग किया गया है। संभल की मस्जिद में तो वर्ष 2012 तक पूजा होती रही थी।

एकदम से उनकी पूजा के अधिकार छीन लिए जाएं तो कैसा लगेगा? यदि यह मांग की जा रही है कि सर्वे हो कि वहाँ क्या था, तो समस्या किसे और क्यों है? इसी प्रकार अजमेर की अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद है। लगभग हर पाठ्यपुस्तक में यह पढ़ाया जाता है कि कुतुबउद्दीन एबक ने अजमेर विजय के दौरान यह मस्जिद बनवाई और यह ढाई दिन में बनकर तैयार हुई थी, इसलिए इसका नाम अढ़ाई दिन का झोपड़ा पड़ा।

अजमेर में अढाई दिन का झोपड़ा मस्जिद, दरअसल मस्जिद नहीं है। यह मस्जिद मंदिर को तोड़कर उसके अवशेषों से बनाई गई है। अढ़ाई दिन का झोपड़ा पर सियासत गरमा रही है। अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने यह दावा किया कि यहाँ पर पहले मंदिर और संस्कृत पाठशाला हुआ करती थी।

उन्होंने सरकार से मांग की कि वहाँ पर नमाज पर रोक लगाई जाए और एएसआई से जांच कराई जाए। उन्होंने वर्ष 1911 में प्रकाशित हर बिलास सारदा की पुस्तक अजमेर : हिस्टोरिकल एंड डिस्कि्रप्टिव का हवाला दिया है। मगर यह बताने के लिए कि यह मस्जिद मंदिरों के अवशेषों से बनी है, केवल एक ही पुस्तक प्रमाण नहीं है। बल्कि इसके प्रमाण कई पुस्तकों में प्राप्त होते हैं।

लेखक डॉ आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव की दिल्ली सल्तनत नामक पुस्तक में भी यह लिखा है कि गोरी के गुलाम कुतुबउद्दीन ऐबक ने दो मस्जिदें बनवाई थीं। उसने हिन्दू मंदिरों को तोड़कर उनकी सामग्री से दो मस्जिदें बनवाई थीं। एक दिल्ली में कुवत-उल-इस्लाम के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरी अजमेर में, जिसे “ढाई दिन का झोपड़ा” कहते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि इसे ढाई दिनों में बनाया गया था। ढाई दिनों में इतनी विशाल इमारत को बनाना असंभव है। ढाई दिनों में केवल तभी बनाया जा सकता है, जब सब कुछ सामग्री तैयार हो। The Rough Guide to India By David Abram, Rough Guides (Firm) नामक पुस्तक में यह स्पष्ट लिखा है कि यह एक संस्कृत विद्यालय था। इसमें लिखा है कि मूल रूप से वर्ष 1153 में यह एक हिंदू विद्यालय थी। जिसे 40 वर्षों के बाद अफगानी गोर द्वारा तोड़ दिया गया यथा और बाद में इसके अवशेषों से दोबारा से मस्जिद बना दिया गया।

ऐसा झूठ कहा जाता है कि इसे बनाने में केवल ढाई दिन लगे। इसे दोबारा बनाने में पूरे पंद्रह वर्ष लगे और इसे उन ईंटों और मेहराबों आदि से बनाया गया, जिन्हें हिंदू और जैन मंदिरों से लूटा गया गया।

जे एल मेहता की पुस्तक Vol. III Medieval Indian Society And Culture में भी यह लिखा है कि कुतुबउद्दीन ऐबक ने अजमेर में मंदिरों को तोड़ा था और उनके अवशेषों से मस्जिद का निर्माण किया था।

ये तमाम ऐतिहासिक तथ्य हैं। पुस्तकों में दर्ज तथ्य हैं। फिर यह प्रश्न उठता है कि आखिर जो तथ्य पुस्तकों में हैं, उनका एक बार फिर जनता में कानूनी रूप से सामने आना क्यों आवश्यक नहीं है? मंदिर टूटने की पीड़ा और उस पर एक दूसरी मजहबी पहचान की पीड़ा वह पीड़ा होती है, जो दिखती नहीं है, मगर वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रही है।

Topics: संभल मस्जिद इतिहासभारतीय इतिहास में मंदिर विध्वंसSambhal Masjid HistoryTemple Destruction in Indian Historyअढ़ाई दिन का झोंपड़ा मस्जिद का इतिहाससंस्कृत पाठशाला से मस्जिद तक का सफरAdhai Din Ka Jhopda HistorySanskrit School to Mosque Transformationभारत के मंदिरों पर बनी मस्जिदेंIndian Temples Turned Mosquesकुतुबुद्दीन ऐबक और अढ़ाई दिन का झोंपड़ाQutubuddin Aibak Adhai Din Ka Jhopdaमंदिर तोड़कर बनी मस्जिदेंSambhal Masjid ControversyTemples Converted into Mosquesसंभल मस्जिद विवादAdhai Din Ka Jhopda Facts
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

संभल मस्जिद विवाद

संभल मस्जिद विवाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला अदालत में सुनवाई पर लगाई रोक, सभी पक्षों से जवाब मांगा

UP Sambhal Jama mosque court commissionor survey done

उत्तर प्रदेश: मुस्लिम कट्टरपंथियों की पत्थरबाजी, मजहबी नारे भी, पुलिस सुरक्षा में पूरा हुआ संभल की जामा मस्जिद का सर्वे

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद: श्री हरिहर मंदिर के दावे पर सर्वे शुरू, RRF और PAC तैनात, प्रशासन अलर्ट

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies