भगवान बिरसा मुंडा : संघर्ष, बलिदान और प्रेरणा
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम जनजातीय नायक

भगवान बिरसा मुंडा : संघर्ष, बलिदान और प्रेरणा

भारत के विभिन्न प्रांतों में बसी लगभग 750 जनजातियां जब अपने सपूतों की गौरव गाथा को याद  करती हैं, तो एक स्वर्णिम  नाम उभरता है  “बिरसा मुंडा” का। स्कूल में मुण्डा लोगों को राक्षासी स्वभाव का बताना तथा उनके सनातन परंपराओं का उपहास उड़ाना उनको सहन नहीं हुआ। बिरसा ने पादरी नट्राटे से कहा, “साहब - साहब एक टोपी हैं” यानि अंग्रेज पादरी और अंग्रेजी शासक एक ही हैं।

by राम कुमार सिंह
Dec 4, 2024, 03:41 pm IST
in जनजातीय नायक
बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हमारा प्यारा भारतवर्ष सम्पूर्ण विश्व में अपनी विविधता के लिए विख्यात है। प्रांत, जाति, भाषा, रीति-रिवाजों न जाने कितने आधारों पर इसे विभाजित किया जा सकता है, फिर भी हम देखते हैं कि इसकी अखंडता को कोई चुनौती नहीं दे पाया है। इन सारी अनेकता के बीच हमें एकता के सूत्र में बाँधा है हमारे बलिदानियों के रक्त ने। जो हमें याद दिलाता है कि हम सबकी मां भारत माता हैं और इनकी रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया है तथा जब भी देश पर संकट आएगा हम इनकी रक्षा में तत्पर रहेंगे।

भारत के विभिन्न प्रांतों में बसी लगभग 750 जनजातियां जब अपने सपूतों की गौरव गाथा को याद  करती हैं, तो एक स्वर्णिम  नाम उभरता है  “बिरसा मुंडा” का। जिन्हें वनवासी बंधु प्यार से और श्रद्धा के साथ “धरती आबा – भगवान बिरसा मुंडा” के रूप में नमन करते हैं। संसद भवन में लगा बिरसा मुंडा का तैल चित्र और संसद परिसर में लगी उनकी मूर्ति जन-जन को याद दिलाती है कि अल्प शिक्षा, सीमित साधन और आधुनिक सुविधाओं  के अभाव के बावजूद वनवासी समाज ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए कम योगदान नहीं दिया है। जब तिलक का “स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” का मंत्र देश में गूंजा भी नहीं था उस वक्त गांधी और सुभाष का नाम भी राजनीतिक पटल पर नहीं आया था, तब झारखंड के छोटानागपुर के पिछड़े वनवासी इलाके में आजादी का शंखनाद और ब्रिटिश सत्ता को बिरसा मुंडा ने चुनौती देकर आश्चर्य में डाल दिया था।

छोटानागपुर की धरती ने 15 नवंबर 1875 के दिन इस लाल को जन्म दिया। खूंटी थाना के उलिहातु  गाँव में बृहस्पतिवार के दिन जन्म लेने के कारण इनका नाम बिरसा पड़ा। पिता सुगना मुण्डा और माता करमी हातु अत्यंत निर्धन परंतु परिश्रमी थे। माता ने खेत में काम करते हुए ही पुत्र को  जन्म दिया था और कपड़े के अभाव में पलाटी  पत्ते  में लपेट कर घर ले आई थी। इनके दो भाई और दो बहने थीं।  बिरसा के पिता उनको  पढ़ा-लिखा कर ‘बड़ा साहब’  बनाना चाहते थे।

बिरसा के पिता ने उन्हें मामा के घर भेज दिया जहाँ बिरसा ने भेड़-बकरियाँ चराते हुए शिक्षक जयपाल नाग से अक्षर ज्ञान और गणित की प्रारंभिक शिक्षा पाई। यहीं पर वे ईसाई धर्म प्रचारक के संपर्क में आए और निर्धनता एवं शिक्षा प्राप्त करने की चाह में उनके परिवार ने ईसाईयत को अपनाया। बिरसा ने ग्यारह वर्ष की आयु में बपतिस्मा लिया और उनका नाम दाऊद पूर्ति, इसी प्रकार पिताजी का नाम मसीह दास रखा गया। उन्होंने बुर्जू के स्कूल में प्राथमिक शिक्षा पाई और आगे की पढ़ाई के लिए चाईबासा के लुथरन मिशन स्कूल में दाखिल हुए। चाईबासा स्कूल मिशनरियों का होने के कारण वहाँ बाइबल शिक्षा पर जोर दिया जाता था। छात्रावास में गोमांस दिया जाता था, मुण्डा परिवार जहाँ बिरसा का बचपन बीता, वहाँ गौ पूजन का विधान था और गोमांस खाना उनकी कल्पना से भी परे थी। बिरसा ने गोमांस खाने से इंकार कर दिया और अपने सहपाठियों को भी इससे परहेज करने के लिए कहा। यह बात जब स्कूल प्रबंधकों तक पहुँची तो बिरसा को फटकार मिली और स्कूल से निकाले जाने की धमकी भी दी गई। मुण्डा जनजाति में शिखा (चोटी) रखने की परंपरा है जब एक दिन एक सहपाठी ने पीछे से उनकी शिखा कतर डाली तो उनका हृदय हाहाकार कर उठा, आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। स्कूल में मुण्डा लोगों को राक्षासी स्वभाव का बताना तथा उनके सनातन परंपराओं का उपहास उड़ाना उनको सहन नहीं हुआ। बिरसा ने पादरी नट्राटे से कहा, “साहब – साहब एक टोपी हैं” यानि अंग्रेज पादरी और अंग्रेजी शासक एक ही हैं। बिरसा ने यह संकल्प लिया कि वह एक भी क्षण  चाईबासा में नहीं रुकेगा। बाद में वे बंदगाँव आए तथा वहाँ उनकी भेंट वैष्णव धर्मावलंबी आनंद पाण्डे से हुई। जिनसे  उन्होंने रामायण, महाभारत, हितोपदेश आदि के बारे में जाना और आगे चलकर उन्होंने मांस खाना   छोड़ दिया, वे जनेऊ पहनने लगे, सर पर पीली पगड़ी बाँधने लगे और तुलसी की पूजा करने लगे। अपने समाज के पिछड़ेपन और अज्ञानता  को खत्म करने के लिए उन्होंने दृढ़ संकल्प लिया। वनवासी समाज को विदेशी मिशनरियों, जमीनदारों, अंग्रेज शासकों तथा शोषणकर्ताओं से आज़ाद करने के लिए संगठित मुक्ति संघर्ष किया। उन्होंने वनवासी-वनवासी समाज को संगठन के सूत्र में बाँधने के लिए कई सभायें  की और उलगुलान क्रांति का शंखनाद  किया।

बिरसा के इस शंखनाद  से वनवासी युवक  जाग उठे। चलकद क्रांतिकारी आंदोलन का केन्द्र बना।  विरोध के प्रथम चरण के रूप में एक असहयोग आंदोलन शुरू किया गया, बिरसा धरती आबा के रूप में जाने  जाने लगे। बिरसा के आंदोलन से ब्रिटिश सरकार भौचक्की रह गई। ब्रिटिश सरकार ने तुरंत  बिरसा को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए एक टुकड़ी को चलकद रवाना  किया लेकिन गाँववालों के सशक्त विरोध ने बंदूकों से लैस पुलिस को भी थर्रा दिया परंतु उन्हें छल प्रपंच से गिरफ्तार कर 25 अगस्त 1895 को हज़ारीबाग जेल लाया गया। बिरसा की गिरफ्तारी से उन्हें अनुयायियों मे अंग्रेजों से टक्कर लेने की इच्छा और बलवती हो गई। 30 नवंबर 1897  को जब बिरसा रिहा हुए तो पूरा वनवासी अंचल जाग उठा। वे सब तीर धनुष के साथ आंदोलन की मांग कर रहे थे। अंग्रेजों से भीषण संग्राम के लिए प्रशिक्षण, संगठन, नीतियाँ और हथियार संग्रह का काम शुरू हुआ। बिरसा और वनवासी समाज के पूर्वजों का शोषण और अन्याय के विरुद्ध सरदारी लड़ाई शुरू हो गया, वनवासी योद्धा बिरसा के नेतृत्व में कई पुलिस थानों, गिरजाघरों, सरकारी कार्यालयों आदि को आग के हवाले कर दिया। जमीनदारों से अपने को मुक्त कराने के लिए लगान  न देने और जंगल का अधिकार वापस लेने की बात कही गई। इन सबसे अंग्रेजी हुकूमत बौखला गई और कई बिरसाइतों   को गिरफ्तार किया गया जिससे आंदोलन और उग्र हो गया।

9 जनवरी 1900 के दिन जब बिरसा डोंबारी  पहाड़ी पर सभा कर रहे थे। सभी मुण्डा, उराँव, संथाल, खड़िया, हो, माँझी वनवासी लोग जुटे थे।  हज़ारों की संख्या में वनवासी बिरसा के गीत गाते माथे पर चंदन लगाए, हाथ में सफेद और लाल पताका लिए एकत्रित हुए थे। तब अंग्रेजों को खुफिया सूचना मिली की बिरसा सभा कर है। कमिश्नर स्ट्रीट फील्ड डोंबारी पहाड़ी पहुँचे और अंधाधुंध गोलियाँ चलाना शुरू कर दिया। दोनों ओर से संग्राम आरंभ हो गया तोपों और बंदुकों  के सामने तीर, धनुष, कुल्हाड़ी, भाला और पत्थर कहाँ टिक पाते पूरी डोंबारी  पहाड़ी खून से लाल हो गई। बिरसा आंदोलन को जीवित रखने के लिए वहाँ से आग्रह करने पर सुरक्षित जंगल में चले गए। परन्तु भेदियों की मदद से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 9 जून 1900 के दिन इस महान वनवासी स्वतंत्रता सेनानी की रहस्यमय ढंग से राँची जेल में मृत्यु हो गई। कहा गया उन्हें हैजा था लेकिन धारणा यह है कि उन्हें जहर दिया गया। बिरसा आज हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके जलाए दीप आज भी जल रहे हैं। आज भी वनवासी – वनवासी समाज उनको धरती आबा के रूप में याद करता है। वर्तमान भारत की परिस्थिती में जनजाति समाज उपेक्षा, दरिद्रता, शोषण, विदेशी षडयंत्रों, दीनता आदि का शिकार बना है। आवश्यकता है कि जनजाति  बंधुओं को गले लगाएँ तभी उनके सर्वागींण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा और भारत पुन: वैभवशाली बनकर विश्व का मार्गदर्शन करेगा और यही भगवान बिरसा मुण्डा को उनके प्रति सच्ची श्रदांजली होगी।

Topics: Panchjanya Specialभगवान बिरसा मुंडाबिरसा मुंडा का जीवन परिचयTribal Heroबिरसा मुंडा कौन थेबिरसा मुंडा की कहानीStory of Birsa MundaBiography of Birsa MundaWho was Birsa MundaBhagwan Birsa Mundaजनजातीय नायकपाञ्चजन्य विशेष
Share12TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

केरल की वामपंथी सरकार ने कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक में ‘लोकतंत्र : एक भारतीय अनुभव’ 'Democracy: An Indian Experience' शीर्षक से नया अध्याय जोड़ा है, जिसका विरोध हो रहा है। (बाएं से) शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन

केरल सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में किया बदलाव, लाल एजेंडे और काली सोच का सबक है 

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

चतुर्थ सरसंघचालक श्री रज्जू भैया

RSS के चौथे सरसंघचालक जी से जुड़ा रोचक प्रसंग: जब रज्जू भैया ने मुख्यमंत्री से कहा, ‘दुगुनी गति से जीवन जी रहा हूं’

धर्मशाला में परम पावन दलाई लामा से आशीर्वाद लेते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री किरन रिजीजू

चीन मनमाने तरीके से तय करना चाहता है तिब्बती बौद्ध गुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

केरल की वामपंथी सरकार ने कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक में ‘लोकतंत्र : एक भारतीय अनुभव’ 'Democracy: An Indian Experience' शीर्षक से नया अध्याय जोड़ा है, जिसका विरोध हो रहा है। (बाएं से) शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन

केरल सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में किया बदलाव, लाल एजेंडे और काली सोच का सबक है 

Indian Railways

आज से बिना आधार OTP नहीं मिलेगा तत्काल टिकट, आम लोगों को मिली राहत

नीतू की बेटी को भी छांगुर ने बनाया मुस्लिम, पोते से कराई सगाई; हो रही थी निकाह की तैयारी

सुशांत कुमार मजूमदार  (File Photo)

अपहरणकर्ता मजहबियों से कैसे मुक्त हुए सुशांत मजूमदार? क्यों बांग्लादेश में आएदिन हिन्दुओं को किया जा रहा अगवा!

anand mahindra

आनंद महिंद्रा ने अपने करियर के 44 साल पूरे होने पर बताया सफलता का मूल मंत्र

Bihar Voter List Verification

बिहार में फर्जी वोटर्स का भंडाफोड़, चुनाव आयोग ने 35.69 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए

Supreme Court

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी पोस्ट नहीं कर सकते, SC ने कार्टूनिस्टोंं और स्टैंडअप कॉमेडियनों पर की सख्त टिप्पणी

प्रतीकात्मक तस्वीर

नाम बदलकर, टीका लगाकर और कलावा बांधकर हिंदू लड़कियों को फंसाने की चल रही साजिश, लव जिहादियों से सतर्क रहने की जरूरत

CM Yogi

29.6 लाख करोड़ की ओर बढ़ी यूपी की अर्थव्यवस्था, CM योगी आदित्यनाथ ने बताया आत्मनिर्भरता का मार्ग

ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए जाते रॉबर्ट वाड्रा (फाइल फोटो)

मनी लॉन्ड्रिंग: ED ने रॉबर्ट वाड्रा से की लंबी पूछताछ, हथियार बिचौलिये संजय भंडारी मामले में भेजा था समन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies