मध्य प्रदेश

रतलाम में विराट जनआक्रोश रैली : बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ जनसमूह का जोरदार प्रदर्शन

Published by
राजेश मूणत

रतलाम । बांग्लादेश में हो रही जातीय हिंसा के विरुद्ध रतलाम शहर में दोपहर को भारी जनसैलाब देखा गया। पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई, और बौद्ध समाज के साथ हो रहे अत्याचार और क्रूरता के खिलाफ इस आक्रोश में सर्व समाज ने हिस्सेदारी की। सर्व समाज ने कालिका माता मंदिर परिसर से एक रैली निकाली और कलेक्टर कार्यालय तक जुलूस के रूप में पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया।

जनसैलाब और सर्व समाज की भागीदारी

रैली में सर्व समाज के हजारों लोगों की भागीदारी हुई। कालिका माता मंदिर परिसर में संतों के नेतृत्व में प्रदेश के मंत्री, जनप्रतिनिधि, हजारों महिलाएं, व्यवसाय जगत, और युवाओं की भारी संख्या देखी गई। जनआक्रोश महारैली में शामिल लोगों ने हाथों में तख्तियां और केसरिया ध्वज थाम रखे थे।

रतलाम जिला कलेक्टर राजेश बाथम को सौंपे गए ज्ञापन में बांग्लादेश में हो रही अराजकता के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया गया। ज्ञापन में बांग्लादेश में धर्मस्थलों, मंदिरों को निशाना बनाकर हमले करने, तोड़फोड़ करने, निर्दोषों की हत्या, महिलाओं के साथ दुष्कर्म और अभद्रता जैसी घटनाओं का विरोध किया गया।

ज्ञापन में सर्व हिंदू समाज ने महामहिम राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं।

संतों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति

रैली में श्रंगेरीमठ के मठाधीश आत्मानंद सरस्वती, अखंड ज्ञान आश्रम के देवस्वरूप महाराज, ज्योतिर्मठ वृंदावन के स्वामी नारायणगिरी, दत्त अखाड़ा उज्जैन के नीलभारती जी महाराज, पं. संजय शिवशंकर दवे, और प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री चैतन्य काश्यप सहित कई संत और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

संबोधन और विचार

राजेश कटारिया (आक्रोश रैली संयोजक) :
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में छात्र आंदोलन को षड्यंत्रपूर्वक हिंसात्मक रूप दिया गया और अल्पसंख्यक समाज पर अत्याचार का सुनियोजित षड्यंत्र किया गया है।

सीए सोनाली जैन:
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हो रही मानवता को झकझोरने वाली हिंसात्मक घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। अल्पसंख्यक समाज के साथ पूरा भारतीय समाज मजबूती से खड़ा है।

संस्कार ऋषि पं. दिनेश व्यास (निलकंठधाम घटवास):
उन्होंने भारतीय संस्कृति “वसुधैव कुटुंबकम” का उल्लेख करते हुए कहा कि पूरे विश्व के लोग हमारे भाई-बहन हैं। कुछ लोग मानवता को नष्ट करने के विचार से निरीह लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं। हमें संकल्प लेना होगा कि संगठित रहेंगे।

कैलाश निनामा (पूर्व सैनिक और जनजाति सुरक्षा मंच के संरक्षक):
उन्होंने कहा कि संगठन में शक्ति है। बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ षड्यंत्र को रोकने के लिए हमें एकजुट होना होगा।

आशीर्वाद और उपस्थिति

उपस्थित जनसमुदाय को आशीर्वाद देने के लिए निम्नलिखित संत और गणमान्य लोग मौजूद थे-

  • दंडी स्वामी आत्मानंद जी सरस्वती (श्रंगेरी मठ)
  • स्वामी देव स्वरूप जी महाराज (अखंड ज्ञान आश्रम)
  • स्वामी 1008 आनंद गिरि जी महाराज (अड़वानिया)
  • ज्ञानी हंसराज सिंह (गुरुद्वारा दुख निवारण साहेब जावरा)
  • स्वामी नील भारती जी महाराज (दत्त अखाड़ा)
  • स्वामी शिवानंद जी महाराज (शक्तिपीठ सुजालपुर)
  • स्वामी योगेश नाथ जी (जेठाना)
  • स्वामी सुजानानंद जी महाराज (अखंड ज्ञान आश्रम)
  • महर्षि संजय शिवशंकर दवे (वैदिक जागृति पीठ)
  • सविता दीदी (ब्रह्मकुमारी आश्रम)
  • परम पूज्य मनोज स्वामी (मांगल्य मंदिर)
  • स्वामी सौरभ जी महाराज
  • आचार्य महेशानंद जी महाराज
  • आचार्य अशोक वशिष्ठ महाराज
  • आचार्य चेतन शर्मा
  • स्वामी अभिषेक गिरी महाराज

रैली का व्यापक प्रभाव

रतलाम की इस विराट जनआक्रोश रैली ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत में बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को लेकर जनता जागरूक और संगठित है।  इस रैली के समर्थन में रतलाम शहर के सभी प्रमुख व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जनसामूहिक आक्रोश का प्रतीक बना। यह रैली एक सामाजिक और सांस्कृतिक एकजुटता का उदाहरण बनी, जिसमें हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया और मानवता के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की।

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