लोक का मतलब हम भारत के लोग अर्थात् ‘वी द पीपुल आफ इण्डिया’ है। लोक निर्मल मौलिकता है। यह भौतिक दृष्टिकोण से मिलावटरहित पवित्रता है। यह लोकमंथन उस लोक के प्रतिनिधियों, विचारकों व व्यावहारिक स्तर पर कार्य करने वाले अनुभवी लोगों का विचार मंथन है।
लोकमंथन एक कार्यक्रम से कहीं अधिक एक अनुभव है। एक आध्यात्मिक अनुभूति है। इस अनुभव को शब्दों में कहें तो यह है एक सिहांवलोकन करना। इन चार दिनों में जो अनुभूति हम सभी को हुई है, उस शब्दों में नहीं बताया जा सकता है क्योंकि यह अध्यात्मिक अनुभूति है जहां शब्द कम पड़ जाते हैं, विख्यात लोक विचारक वासुदेव शरण अग्रवाल जी लोक संबंधी बातें कहते हुए हमेशा कहते रहते थे, यत्र कालातित है लोक, ये भूत, वर्तमान एवं भविष्य भी है। एक प्रकार से इसको अनुभव में लाना है तो एक अध्यात्मिक दृष्टि की जरूरत है।
आज आधुनिक काल के जो लोक ऋषि हैं उसमें एक कपिल तिवारी जी कहते हैं कि ये समकालीन, लोक सनातन है। इसको समझने के लिए एक विशेष दृष्टि अथवा लोक दृष्टि की जरूरत है। यह वैविध्यपूर्ण विचारों का मन्थन है। सही मायने में यह पूरा आयोजन सुख दृष्टि प्रदान करने के लिए है।
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