दिल्ली

वक्फ बोर्ड मामले में अमानतुल्लाह खान की रिहाई के खिलाफ ईडी पहुंची दिल्ली हाई कोर्ट, ट्रायल कोर्ट के फैसले को दी चुनौती

ईडी का आरोप है कि अगर राउज एवेन्यू कोर्ट चाहता तो जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इन सभी मुद्दों को सुलझा सकता था, लेकिन ऐसा करने की बजाय कोर्ट ने सीधे आरोपी को छोड़ दिया।

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Kuldeep singh

आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग के केस में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की। इसमें जांच एजेंसी ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने उसके पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इंकार कर दिया था।

साथ ही कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान को ईडी की ज्यूडिशियल कस्टडी से भी तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था। कोर्ट का कहना था कि ईडी ने अभियोजन पक्ष की अपेक्षित मंजूरी ही नहीं ली। मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने ईडी से इस अपराध पर अपना रुख स्पष्ट करने और पीएमएलए एक्ट के तहत मंजूरी की आवश्यकता पर भी विचार करे। ईडी ने अपनी याचिका में आरोप लगाए हैं कि ट्रायल कोर्ट ने पीएमएलए एक्ट के तहत कड़े प्रावधानों और धारा 45 पर विचार किए बिना ही आप विधायक को रिहा कर दिया।

ईडी का आरोप है कि अगर राउज एवेन्यू कोर्ट चाहता तो जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इन सभी मुद्दों को सुलझा सकता था, लेकिन ऐसा करने की बजाय कोर्ट ने सीधे आरोपी को छोड़ दिया। हालांकि, कोर्ट ने गलत कार्यों के सबूतों को जरूर स्वीकार कर लिया।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि 2 सितंबर 2024 को ईडी की टीम ने ईडी की टीम मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में अमानतुल्लाह के ओखला स्थित आवास पर पहुंची। ईडी की छह सदस्‍यीय टीम ने उनसे लंबी पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया। उल्‍लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी के विधायक दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच के घेरे में हैं। विधायक पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहते हुए 32 लोगों की अवैध रूप से भर्ती कराई और फंड का गलत इस्तेमाल किया। दिल्ली वक्फ बोर्ड के तत्कालीन सीईओ ने इस तरह की अवैध भर्ती को लेकर बयान दिया था।

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