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Pakistan: अब Russia के आगे भीख का कटोरा रखेगा Saudi Arab और China के दिए चंदे पर पल रहा जिन्ना का देश

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WEB DESK

जिन परियोजनाओं को रूस के साथ वार्ता में रखा जाने वाला है उनमें एक है क्वेटा-ताफ्तान रेल पटरी का अपग्रेडेशन। दूसरी है डायमर-भाषा बांध और तीसरा एक अहम काम है रूस से कच्चा तेल और एलपीजी खरीदने की बात करना। इन परियोजनाओं में पैसा लगाने के लिए रूस कितना तैयार होगा, यह तो अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन इतना तो तय है कि पाकिस्तान एक बार पैसा लेने के बाद लौटाने की कोई मियाद नहीं बता सकता।


भारत के पड़ोसी इस्लामी देश का खर्चा चीन और सऊदी अरब के दिए ‘कर्ज’ के सहारे चल रहा है। अपने देश की दो वक्त की रोटी के लिए इन दोनों के आगे घुटने टेकने के बाद अब जिन्ना के देश के नेता रूस के सामने भीख का कटोरा रखने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ मॉस्को को कितना प्रभावित कर पाएंगे या कहें ‘कर्ज’ देने के लिए मना पाएंगे इसका फैसला वहां होने जा रही है एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद ही चल पाएगा।

आर्थिक तंगी झेल रहा जिन्ना का देश लाचार होकर हर उस दर पर गिड़गिड़ा रहा है जहां से उसे उम्मीद है कि उसकी आतंकवादी हरकतों को देखते हुए भी उसे राशन—पानी खरीदने के लिए ‘कर्ज’ मिल सकता है। रूस के मित्र देश बेलारूस के राष्ट्रपति के हाल के इस्लामाबाद दौरे के बाद संभवत: पाकिस्तान को यह संकेत मिला है कि रूस उसे कुछ कर्ज दे सकता है। लिहाजा अब पाकिस्तान में एक तीन दिन की बैठक रखकर रूसी नेताओं और अधिकारियों को ‘परियोजनाओं’ की आड़ में रिझाने की तैयारी की गई है।

पाकिस्तान ही शायद एकमात्र देश होगा जो परियोजनाओं की घोषणाएं कर देता है, पास में उसके लिए पैसा न होते हुए भी। अब शाहबाज सरकार ने वहां सालों से लटकी कुछ परियोजनाओं को पूरा करने के बहाने रूस को रिझाने की तैयारी की है कि वहां से इनके लिए कुछ पैसा मिल जाए।

बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लूकाशेंको इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ

बुरी तरह कंगाल हो चुके पाकिस्तान ने इसके लिए अपने यहां की कुछ परियोजनाओं पर बात करने और उनमें पैसा लगाने की गुहार करने के लिए ‘पाकिस्तान-रूस अंतर सरकारी आयोग’ की तीन दिन की बैठक रखी है। ये परियोजनाओं मुख्यत: बुनियादी ढांचे से जुड़ी बताई जा रही हैं। इस बैठक के जरिए पाकिस्तान की कोशिश होगी रूस का निवेश पा सके। दिलचस्प बात है कि ऐसी तीन परियोजनाओं के लिए पहले चीन से पैसा लगाने को कहने का सोचा गया था। लेकिन आतंकवाद के निर्यातक जिन्ना के देश से आजकल कम्युनिस्ट ड्रैगन नाराज चल रहा है। कारण है पीओजेके में चीनी नागरिकों की हत्याएं जिन पर पाकिस्तान लगाम लगाने में असफल रहा है।

इसलिए जिन्ना के देश को अपने आका चीन से फिलहाल पैसे मिलने की उम्मीद नहीं है। उसने ऐसी कुछ परियोजनाओं में निवेश करने से मना कर दिया है। यही वजह है कि अब शाहबाज सरकार ने रूस का रुख किया है कि वह उनकी बातों में आकर उनके यहां निवेश करे।

वैसे, मॉस्को से कारोबार करने के कारण जिन्ना के देश पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रतिबंध लगने का खतरा मंडरा रहा है जिससे बचने के वह कानूनी तरीके खोज रहा है। रूस से पैसा लेने और उस भुगतान करने की अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में अब रूस के शामिल न होने से पाकिस्तान को दिक्कतें आ रही हैं।

पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर है कि रूस के साथ परियोजनाओं के सिलसिले में होने जा रही तीन दिन की इस वार्ता में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की अगुआई ऊर्जा मंत्री सरदार अवैस लघारी करने वाले हैं। यहां बता दें कि इस बैठक की पृष्ठभूमि में हाल ही में बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लूकाशेंको की इस्लामाबाद यात्रा है। लुकाशेंकों रूसी राष्ट्रपति व्दादिमीर पुतिन के दोस्त माने जाते हैं, जो यूक्रेन युद्ध में रूस के पाले में खड़े हैं।

उक्त अखबार की रिपोर्ट के अंदेशा जताया है कि जहां भारत प्रतिबंधों के बाद भी रूस के साथ कारोबार कर रहा है वहीं पाकिस्तान के पास अमेरिका तथा यूरोपीय संघ की पाबंदियों के रहते ऐसी कोई दूसरा रास्ता नहीं है जिसके जरिए वह रूस के साथ कारोबार करे। इस नजरिए से पाकिस्तान को इस कदम में दिक्कतें पेश आ सकती हैं।

जिन परियोजनाओं को रूस के साथ वार्ता में रखा जाने वाला है उनमें एक है क्वेटा-ताफ्तान रेल पटरी का अपग्रेडेशन। दूसरी है डायमर-भाषा बांध और तीसरा एक अहम काम है रूस से कच्चा तेल और एलपीजी खरीदने की बात करना। इन परियोजनाओं में पैसा लगाने के लिए रूस कितना तैयार होगा, यह तो अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन इतना तो तय है कि पाकिस्तान एक बार पैसा लेने के बाद लौटाने की कोई मियाद नहीं बता सकता। चीनी और अरबी नेता जिन्ना के देश की इस फितरत को अच्छे से पहचानते हैं।

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