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कांग्रेस पार्टी की केरल में तोड़फोड़ की नई राजनीति

कांग्रेस पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की बढ़ती राजनीतिक मांग से परेशान होकर अब उससे पीछा छुड़ाने का रास्ता ढूंढ रही है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना आजमाया हुआ पासा भी चल दिया है।

by WEB DESK
Dec 1, 2024, 08:42 pm IST
in विश्लेषण, केरल
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केरल की राजनीति में पिछले चार दशक से अधिक समय से दो प्रमुख गठबंधनों लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) में सीधा मुकाबला देखा गया है। यहां हर सरकार के कार्यकाल के बाद 2021 से पहले तक सरकारों के बदलने की परंपरा रही है। यह परंपरा राजस्थान में 1993 और हिमाचल प्रदेश में 1990 से कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच शुरू हुई थी।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग यूडीएफ गठबंधन का अहम और कांग्रेस पार्टी के बाद दूसरा सबसे बड़ा घटक दल रहा है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कांग्रेस पार्टी के साथ राज्य और केंद्र सरकारों में भी अहम भूमिका में रही है। मगर हाल के दिनों में कांग्रेस पार्टी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के बीच संबंध दूसरे पायदान पर पहुंच गए हैं।

2019 में कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी ने अमेठी लोकसभा सीट के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ा। वायनाड लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले सात में से दो सीटें तिरूवंबाडी, जो कोझिकोड जिले में पड़ती है, और एरनाद विधानसभा सीट, जो मलप्पुरम जिले में पड़ती है, उन पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की पकड़ है। गांधी परिवार के सदस्य प्रियंका वाड्रा या राहुल गांधी बिना इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के समर्थन के इस सीट से चुनाव जीतने की सोच भी नहीं सकते।

2019 के लोकसभा चुनाव में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने इस सीट पर गांधी परिवार को समर्थन देने के एवज में पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में रामनाथपुरम की सीट को कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी से लेकर वहां से चुनाव लड़ा। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग अमूमन केरल से दो लोकसभा की सीटें जीतती थी, लेकिन इस बार तीन सीटें जीतने में सफल रही। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कांग्रेस पार्टी के वायनाड से गांधी परिवार के चुनाव लड़ने की कमजोरी को भुनाते हुए यह सीट झटकी।

अब कांग्रेस पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की बढ़ती राजनीतिक मांग से परेशान होकर अब उससे पीछा छुड़ाने का रास्ता ढूंढ रही है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना आजमाया हुआ पासा भी चल दिया है।

वायनाड लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली नीलांबुर विधानसभा सीट, जो मलप्पुरम जिले में आती है, उस सीट से एलडीएफ समर्थित पी. वी. अनवर विगत दो बार से विधायक हैं। पी. वी. अनवर ने एलडीएफ से दूरी बनाते हुए गांधी परिवार के इशारे पर डेमोक्रेटिक मूवमेंट ऑफ केरल बनाई है। अब कांग्रेस पार्टी इस नई नवेली पार्टी को खाद-पानी देकर अगले विधानसभा चुनाव से पूर्व इसे बड़ा बनाकर इसको इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के समानांतर खड़ा करने का प्रयास करेगी। पी. वी. अनवर एलडीएफ और मुख्यमंत्री पी. विजयन के पूरी तरह खिलाफ हैं। कांग्रेस पार्टी पी. वी. अनवर के इस गुस्से को अपने फायदे के लिए भुनाने का प्रयास कर रही है।

कांग्रेस पार्टी को जानकारी है कि वर्तमान परिवेश में अगर विधानसभा चुनाव में जाती है तो यूडीएफ के अंतर्गत कांग्रेस पार्टी से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग वर्तमान से दोगुनी सीटें मांग सकती है। कांग्रेस पार्टी को वायनाड सीट को बचाए रखने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के इस मांग को पूरा करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं बचेगा।

अभी विधानसभा चुनाव में लगभग दो साल का समय शेष है। कांग्रेस पार्टी इस समय का प्रयोग इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से छुटकारा पाने के लिए पी. वी. अनवर द्वारा बनाई गई पार्टी डेमोक्रेटिक मूवमेंट ऑफ केरल को मजबूत करके उसके साथ गठबंधन करने में कर सकती है।

दूसरी ओर, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की मजबूरी को अपने पाले में खड़ा करके उसको भुनाने का प्रयास कर सकते हैं।

केरल की राजनीति नई मुहाने पर खड़ी दिख रही है। इस नई तोड़फोड़ में भाजपा अपने लिए कुछ नया करने का प्रयास कर सकती है।

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