वक्फ बोर्ड की मनमानियां लगातार जारी है। इसी क्रम में एक बार फिर से उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उदय प्रताप कॉलेज (UP) पर अपना दावा ठोंक दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि कॉलेज परिसर के अंदर स्थित मस्जिद और उसके आसपास की जमीन वक्फ की है। लेकिन, कॉलेज प्रशासन ने उसके इन दावों को खारिज कर दिया है।
वक्फ बोर्ड के दावे पर कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह ने कहा कि यूपी कॉलेज को 2018 में एक नोटिस वक्फ ने भेजा था। उसने कहा था कि कॉलेज की जमीन टोंक के नवाब ने वक्फ बोर्ड को दान की थी। 2022 में वक्फ बोर्ड ने कॉलेज परिसर में एक मस्जिद बनाने की कोशिश भी की थी, लेकिन कॉलेज प्रशासन की शिकायत के बाद पुलिस ने इसे रोक दिया था। यहीं नहीं आरोप ये भी है कि परिसर के अंदर स्थित मस्जिद कॉलेज की बिजली को भी चोरी कर रही है।
क्या है पूरा मामला
वाराणसी के भोजूवीर क्षेत्र में एक कॉलेज है उदय प्रताप कॉलेज। अपने में 115 वर्ष पुरानी विरासत को समेटे इस कॉलेज को महाराजा राजर्षि सिंह जू देव ने 1909 में बनवाया था। ये एक ऑटोनॉमस कॉलेज है। एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज के परिसर के अंदर भी कई कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जिसमें उदय प्रताप इंटर कॉलेज, उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, मैनेजमेंट कॉलेज, रानी मुरार बालिका इंटर कॉलेज और उदय प्रताप ऑटोनॉमस कॉलेज शामिल हैं। इस पूरे कॉलेज में मौजूदा वक्त में 15,000 के करीब विद्यार्थी हैं।
असल मामला ये है कि यहीं पर कॉलेज परिसर के अंदर ही 100 मीटर की दूरी तय करते ही एक मस्जिद भी है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने के लिए आते हैं। इसी इलाके के रहने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति वसीम अहमद 2018 में लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड के प्रादेशिक मुख्यालय में एक आवेदन देता है और उदय प्रताप कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बता देता है। उसी के आवेदन को आधार बनाकर वक्फ बोर्ड कॉलज प्रशासन को नोटिज जारी कर उस पर अपना हक जता देता है।
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इसके बाद कॉलेज ने जबाव दिया कि जिस मस्जिद के बल पर इसे वक्फ की संपत्ति बताया जा रहा है वो असल में अवैध है और कॉलेज प्रशासन की पूरी संपत्ति इंडाउमेंट ट्रस्ट की है, जो कि खरीदी या बेची नहीं जा सकती है।
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