बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली सरकार के संरक्षण में मुस्लिम कट्टरपंथी लगातार हिन्दुओं पर हमले कर रहे हैं। इस्कॉन भिक्षु चिन्मय कृष्ण प्रभु की गिरफ्तारी के बाद उन्हें बचाने के लिए वकीलों के खिलाफ ही अंतरिम सरकार ने कार्रवाई की है।
एक्स हैंडल हिन्दू वॉयस की रिपोर्ट के अनुसार, छत्रग्राम में 70 हिन्दू वकील जो चिन्मय कृष्ण दास प्रभु के लिए वकालत कर रहे थे या उनका समर्थन करने वाली कानूनी टीम का हिस्सा थे, उन पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेशी सरकार द्वारा कठोर कानूनों के तहत आरोप लगाए गए हैं।
यह एक समुदाय पर अत्यधिक घृणा के कारण सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का एक बेहतरीन उदाहरण है, जबकि सरकार ने राज्य मशीनरी में उनके साहस और विश्वास को तोड़ने के लिए हर संभव प्रतिबंध और फैसले लागू किए हैं। यह न केवल कमजोर हिंदू अल्पसंख्यकों को कमजोर करता है, बल्कि बहुसंख्यक भीड़ को अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपने हाथ और पंजे उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि बांग्लादेश में कथित देशद्रोह के आऱोप में हाल ही में चिन्मय कृष्ण प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी के विरोध में हिन्दू लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को चिन्मय कृष्ण प्रभु को चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की अदालत में पेश किया गया। वहां पर अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार ने भी इस्कॉन संत की गिरफ्तारी का कड़ा विरोध किया है। हालांकि, बावजूद इन सबके मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली मुस्लिम कट्टरपंथी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। मुहम्मद यूनुस लगातार इन आरोपों को बेबुनियाद करार दे रहे हैं।
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दो दिन पहले ही बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन को एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन करार दिया था। अदालत में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जब जज ने सरकार से इस्कॉन के बारे में पूछा तो अटार्नी जनरल मोहम्मद जनरल असदुज्जमान ने इस्कॉन को धार्मिक कट्टरपंथी संगठन करार देते हुए कहा कि सरकार इसकी जांच में लगी हुई है।
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