संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में अदालत में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि 1920 में संरक्षित स्मारक घोषित इस मस्जिद की संरचना में बार-बार बदलाव किए गए हैं। एएसआई ने मस्जिद कमेटी पर सर्वेक्षण कार्य में बाधा डालने का आरोप भी लगाया गया है।
हलफनामे में कहा गया है कि शाही जामा मस्जिद को 1920 में केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था। एएसआई ने समय-समय पर मस्जिद स्थल का सर्वेक्षण किया है। सर्वे के दौरान पाया गया कि मस्जिद के ढांचे में कई बार बदलाव किए गए हैं। यहां तक कि 2018 में, मस्जिद कमेटी द्वारा संरचनात्मक बदलाव और स्टील की रेलिंग लगाने के खिलाफ एएसआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी।
एएसआई ने हलफनामे में स्पष्ट रूप से कहा है कि मस्जिद कमेटी ने उनकी टीम को कई बार सर्वेक्षण कार्य करने से रोका। अधिवक्ता विष्णु शर्मा ने अदालत में एएसआई के जवाब के साथ-साथ कुछ तस्वीरें भी पेश कीं, जिनसे मस्जिद में किए गए बदलावों का प्रमाण मिलता है।
यह मामला शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के दावे से जुड़ा है। इस विवाद पर शुक्रवार को अदालत में सुनवाई हुई। मस्जिद कमेटी के वकील शकील अहमद वारसी और कासिम जमाल ने अदालत में दावे की प्रति मांगी, जबकि जिला मजिस्ट्रेट की ओर से उपस्थित डीजीसी सिविल प्रिंस शर्मा ने जवाब देने के लिए समय मांगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 जनवरी 2025 की तिथि निर्धारित की है।
मस्जिद और आसपास के क्षेत्र में तनाव के मद्देनजर शुक्रवार को कचहरी और आसपास के इलाकों में पुलिस बल तैनात था। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने कहा कि शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है लेकिन रिपोर्ट तैयार करने में समय लगेगा। कोर्ट से 10 दिन का समय मांगा गया है, जिसके भीतर सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी।
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