देश की संसद में विपक्षी पार्टियों द्वारा वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक-2024 के खिलाफ किए जा रहे विरोध के बीच उत्तर प्रदेश से वक्फ बोर्ड की एक और मनमानी सामने आ रही है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 115 साल पुराने कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताते हुए नोटिस भेजा गया। वैसे तो ये घटना 6 साल पहले की है, लेकिन अब ये एक मुद्दा बनकर फिर सामने है। कारण है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उदय प्रताप कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाए जाने की बात।
क्या है पूरा मामला
वाराणसी के भोजूवीर क्षेत्र में एक कॉलेज है उदय प्रताप कॉलेज। अपने में 115 वर्ष पुरानी विरासत को समेटे इस कॉलेज को महाराजा राजर्षि सिंह जू देव ने 1909 में बनवाया था। ये एक ऑटोनॉमस कॉलेज है। एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज के परिसर के अंदर भी कई कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जिसमें उदय प्रताप इंटर कॉलेज, उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, मैनेजमेंट कॉलेज, रानी मुरार बालिका इंटर कॉलेज और उदय प्रताप ऑटोनॉमस कॉलेज शामिल हैं। इस पूरे कॉलेज में मौजूदा वक्त में 15,000 के करीब विद्यार्थी हैं।
असल मामला ये है कि यहीं पर कॉलेज परिसर के अंदर ही 100 मीटर की दूरी तय करते ही एक मस्जिद भी है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने के लिए आते हैं। इसी इलाके के रहने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति वसीम अहमद के दिमाग में मुस्लिम कट्टरपंथ और मजहबी कीड़ कुलबुलाने लगता है और वह 2018 में लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड के प्रादेशिक मुख्यालय में एक आवेदन देता है और उदय प्रताप कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बता देता है। उसी के आवेदन को आधार बनाकर वक्फ बोर्ड कॉलज प्रशासन को नोटिज जारी कर उस पर अपना हक जता देता है।
इसके बाद कॉलेज की ने जबाव दिया कि जिस मस्जिद के बल पर इसे वक्फ की संपत्ति बताया जा रहा है वो असल में अवैध है और कॉलेज प्रशासन की पूरी संपत्ति इंडाउमेंट ट्रस्ट की है, जो कि खरीदी या बेची नहीं जा सकती है।
अब क्यों सुर्खियों में है यह मामला
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उदय प्रताप कॉलेज के स्थापना दिवस कार्यक्रम में वाराणसी पहुंचे। उन्होंने कॉलेज को आने वाले वक्त में विश्वविद्यालय बनाने की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि किसी भी सूरत में कॉलेज को वक्फ बोर्ड नहीं ले सकता है।
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