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टैरिफ के रास्ते China और Canada की मुश्कें कसने को कितने तैयार Trump, क्या कम होगी भारत की दिक्कत!

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ट्रंप की 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा से कनाडा की त्रूदो सरकार में खलबली इसलिए भी है क्योंकि वह देश पहले ही आर्थिक बदहाली झेल रहा है। अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से पैसे की और ज्यादा किल्लत आने वाली है, क्योंकि कनाडा लगभग 75 प्रतिशत निर्यात तो अमेरिका को ही करता रहा है। 25 प्रतिशत टैरिफ देने से उसका खाली खजाना और खाली होगा जिसके बारे में सोचकर त्रूदो को परेशानी तो हो ही रही होगी। कनाडा में चुनाव भी होने वाले हैं जिसके लिए पैसा चाहिए होगा। इस चुनाव में त्रूदो के फिर से जीतने की संभावनाएं न के बराबर हैं।


अमेरिका के नए चुने गए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आएदिन ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं जिनसे लगता है कि उनके शपथ लेने के बाद, वाशिंगटन की नीतियों में एक बड़ा बदलाव दिखेगा। विभिन्न मंत्रालयों और विभाग प्रमुखों के तय हो रहे नाम कुछ देशों की नींद उड़ा रहे हैं तो कुछ के लिए सुकून का अहसास जगा रहे हैं। ट्रंप की ताजा घोषणा टैरिफ को लेकर हुई है, जिसने चीन और कनाडा को सचेत कर दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप का करना है कि उनके शपथ लेने के बाद कनाडा पर नया टैरिफ लगाया जाएगा। संभवत: वे परंपरानुसार आगामी 20 जनवरी को पद संभालेंगे। पद पर आने के फौरन बाद, उनकी घोषणा के अनुसार कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापार में कनाडा के लिए दिक्कतें पैदा होंगी। कनाडा से अमेरिका आने वाले उत्पादों पर टैरिफ 25 प्रतिशत किया जाएगा। इतना ही नहीं, ट्रंप के अनुसार, वे कनाडा के साथ वर्तमान में लागू मुक्त व्यापार संधि को भी नए सिरे से देखेंगे।

यानी अभी ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ नहीं ली है, लेकिन उससे पहले ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो के ​होश उड़ा दिए हैं। अगर टैरिफ बढ़ता है तो इससे कनाडा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ट्रंप का कहना है कि न सिर्फ कनाडा पर टैरिफ बढ़ाया जाएगा बल्कि अमेरिका के एक अन्य पड़ोसी देश मैक्सिको से भी आने वाले उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाएगा।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो

टैरिफ बढ़ने से उत्पाद भेजने वाले देश को नुकसान झेलना पड़ता है। इस संदर्भ में कनाडा, मैक्सिको और चीन ट्रंप के निशाने पर हैं, क्योंकि 20 जनवरी के बाद शायद चीन भी बढ़े टैरिफ के निशाने पर आएगा। फिलहाल तो ट्रंप ने यह टैरिफ 10 प्रतिशत बताया है। आखिर ट्रंप को कनाडा को लेकर इतने सतर्क ​क्यों हैं?

दरअसल बताया यह गया है कि कनाडा तथा मैक्सिको से घुसपैठिए और नशीले पदार्थों की इतनी ज्यादा आमद है कि अपने पिछले कार्यकाल में भी ट्रंप इसके विरुद्ध अभियान छेड़े हुए थे। इन दोनों मोर्चों पर उक्त दोनों देश लगाम लगाने में विफल ही रहे हैं। इसलिए ट्रंप को यह समझ आ गया है कि बिना कड़ाई किए ये देश इस ओर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। टैरिफ बढ़ाना एक प्रकार से दबाव की नीति है। ट्रंप की इन तीन देशों के बारे में यह घोषणा उनकी सोशल मीडिया पोस्ट के रास्ते सामने आई है।

अपनी पोस्ट में उन्होंने साफ बताया है कि 20 जनवरी को उनके राष्ट्रपति पद पर आते ही कनाडा, मैक्सिको तथा चीन के विरुद्ध टैरिफ लगाए जाने को लेकर वे आदेश पर दस्तखत करने वाले हैं। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि सबको जानकारी है कि कनाडा तथा मैक्सिको से हजारों की तादाद में वहां के लोग अमेरिका में प्रवेश करते हैं। ये लोग साथ में नशीले पदार्थ लेकर आते हैं, यहां अनेक प्रकार के अपराध करते हैं। आज तो यह सब इस हद तक बढ़ चुका है कि जितना पहले कभी देखने में नहीं आया था।

वैसे भी ट्रंप अनेक मौकों पर कनाडा के प्रधानमंत्री त्रूदो की भर्त्सना कर चुके हैं। एक बार तो ट्रंप ने त्रूदो को ‘जबरदस्त सनकी लेफ्ट’ बताया था। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि एक परंपरा रही है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर बैठते ही राष्ट्रपति सबसे पहला आधिकारिक दौरा कनाडा अथवा मैक्सिको का ही करता रहा है। परन्तु 2017 में ऐसा नहीं हुआ था। तब ट्रंप ने कुर्सी संभालने के बाद विदेश के पहले दौरे के लिए सऊदी अरब को चुना था। तब भी यह छुपाया नहीं गया था कि ट्रंप कनाडा को कितना नापसंद करते हैं।

ट्रंप की 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा से कनाडा की त्रूदो सरकार में खलबली इसलिए भी है क्योंकि वह देश पहले ही आर्थिक बदहाली झेल रहा है। अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से पैसे की और ज्यादा किल्लत आने वाली है, क्योंकि कनाडा लगभग 75 प्रतिशत निर्यात तो अमेरिका को ही करता रहा है। 25 प्रतिशत टैरिफ देने से उसका खाली खजाना और खाली होगा जिसके बारे में सोचकर त्रूदो को परेशानी तो हो ही रही होगी। कनाडा में चुनाव भी होने वाले हैं जिसके लिए पैसा चाहिए होगा। इस चुनाव में त्रूदो के फिर से जीतने की संभावनाएं न के बराबर हैं। इन हालात में ट्रंप की नई घोषणा त्रूदो के लिए और चुनावी दिक्कत बढ़ा सकती है।

इधर कनाडा ने बेवजह ही भारत से संबंध बिगाड़े हुए हैं। खालिस्तानियों के मोह में फंसकर त्रूदो ने भारत पर बिना तथ्य के ओछे आरोप लगाकर भारत को बदनाम करने की कोशिश की है, जिसके लिए अब त्रूदो को संभवत: पछतावा भी हो रहा है। उनके बदले बयान अब ताप ठंडा करने की कोशिश जैसे दिखते हैं। ट्रंप के भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मधुर संबंध हैं और वे सार्वजनिक रूप से मोदी की तारीफों के पुल बांध चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके शासन में अमेरिका और भारत के बीच संबंध और प्रगाढ़ होंगे। इसलिए ट्रंप के कनाडा के साथ टैरिफ को लेकर किए कड़े निर्णय के पीछे भारत के प्रति कनाडा सरकार की गलत सोच भी एक आयाम हो सकती है।

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