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‘…तो रूस से कारोबारी संबंध खत्म क्यों नहीं कर लेता यूरोप’, जयशंकर की यूरोपीय देशों को दो टूक

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WEB DESK

जयशंकर ने कहा कि यूरोप को दुनिया के दूसरे देशों को लेकर किसी प्रकार की थानेदारी नहीं करनी चाहिए। उनका कहना है कि हर देश की अपनी प्राथमिकता होगी, इसलिए यूरोप की आवश्यकताएं उससे अलग होंगी जो एशिया, अफ्रीका अथवा लातीनी अमेरिका की हैं। सिद्धांतों की ही बात करें तो यूरोप हिम्मत दिखाए और रूस के साथ अपने वाणिज्यिक संबंध खत्म कर दे।



भारत के विदेश मंत्री जयशंकर स्पष्ट और बेलाग बोल के लिए विख्यात हैं। जी7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में इटली पहुंचे जयशंकर ने इटली के एक समाचार पत्र को इंटरव्यू में यूरोपीय संघ के दोगलेपन पर उसे जमकर फटकार लगाई। उन्होंने रूस से भारत के मधुर संबंधों के संदर्भ में कहा कि दुनिया का हर देश अपने हित को सर्वोपरि रखता है। अगर भारत रूस से तेल खरीद रहा है तो इससे किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

जयशंकर ने कहा कि यूरोप को दुनिया के दूसरे देशों को लेकर किसी प्रकार की थानेदारी नहीं करनी चाहिए। उनका कहना है कि हर देश की अपनी प्राथमिकता होगी, इसलिए यूरोप की आवश्यकताएं उससे अलग होंगी जो एशिया, अफ्रीका अथवा लातीनी अमेरिका की हैं। सिद्धांतों की ही बात करें तो यूरोप हिम्मत दिखाए और रूस के साथ अपने वाणिज्यिक संबंध खत्म कर दे।

दरअसल यूरोप को इस बात से दिक्कत है कि रूस यूक्रेन से युद्ध में लगा है और भारत उससे तेल खरीद रहा है। इससे पश्चिम को शिकायत है। लेकिन भारत के विदेश मंत्री ने पहले भी इस बारे में साफ कहा है कि भारत की कूटनीति राष्ट्रीय हित को सबसे आगे रखती है। इसीलिए जयशंकर का कहना है कि हर देश के अपने हित हैं, इसे समझना ही समझदारी होगी। उन्होंने सवाल किया कि क्या सिद्धांतों की चिंता करके यूरोप के देश रूस से कारोबार करना बंद या मर्यादित कर सकते हैं?

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर इटली के विदेश मंत्री अंतोनियो तजानी के साथ

भारत के विदेश मंत्री ने ये बातें इटली के एक अखबार को इंटरव्यू में कहीं। जयशंकर ने कहा कि यूरोप की अपेक्षाएं गैर समझदारी वाली हैं। आखिर यूक्रेन पर आक्रमण की बात करें तो यूरोप रूस के साथ कारोबारी संबंध क्यों रखे हुए है। उनका कहना है कि यूरोप विघटन को बढ़ा रहा है और ऐसा वह बहुत संभलते हुए कर रहा है।

जयशंकर ने साफ कहा कि क्या हम तेल के लिए ज्यादा दाम सिर्फ इसलिए चुकाएं जिससे यूरोप खुश हो जाए? हम ऐसा क्यों करें? विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप पहले रूस से ऊर्जा खरीदता रहा है, परन्तु अब दूसरे देशों से वह ऊर्जा ले रहा है। इस चीज से बाजार दबाव में आया है। तो क्या ऐसे में भारत कीमतें अधिक कर दे?

उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के भी समाधान का रास्ता सुझाया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से बातचीत के रास्ते युद्ध बंद करने की बात करता रहा है। यही एक समाधान है। इस दृष्टि से भारत लगातार प्रयासरत रहा है। जयशंकर का कहना है कि युद्ध का समाधान युद्ध से नहीं निकल सकता। इसलिए दोनों देशों को आपस में बातचीत के रास्ते मुद्दे सुलझाने चाहिए। आखिर ऐसा हुए बिना किसी को भी समझ नहीं आ सकता कि दिक्कत कहां है और रूस—यूक्रेन के बीच विवाद किस बात को लेकर है, वे चाहते क्या हैं।

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं राष्ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की से अपनी वार्ता में यह कह चुके हैं कि दोनों पक्ष बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझा सकते हैं, क्योंकि आज युद्ध से किसी परिणाम को नहीं पाया जा सकता। इस​के लिए भारत ने अपनी तरफ से मदद की पेशकश भी की है। पुतिन भी जानते हैं कि आज विश्व में भारत की इतनी साख है कि इस युद्ध के हल में उसकी बड़ी भूमिका हो सकती है।

और ऐसा दुनिया के कई देश मानते भी हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों की बैठकों में अनेक देश इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी की बात से सहमति व्यक्त कर चुके हैं। सब मानते हैं कि संघर्ष का समाधान वार्ता के रास्ते ही निकल सकता है।

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