श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की बैठक आज मणिराम दास छावनी में हुई। इसमें चार ट्रस्टी उपस्थित नहीं हो पाए। बाकी सभी शामिल हुए। प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ के सिलसिले में यह तय हुआ है कि इसे प्रतिष्ठा द्वादशी के नाम से जाना जाएगा और पहली वर्षगांठ द्वादशी 11 जनवरी को है। भारत सरकार में विशेष सचिव प्रकाश लोखंडे ऑनलाइन सम्मिलित हुए। अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास महाराज की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद में ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने पत्रकारों को विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि भक्तों द्वारा समर्पित 940 किलो चांदी सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिन्टिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया को मेल्ट करने के लिए सौंपी गई जिसकी गुणवत्ता उच्चतम क्वालिटी की थी 71नमूनों में से 64 की गुणवत्ता 90 से 98 फ़ीसदी पाई गई। अर्चक प्रशिक्षण 6 माह तक कराने के बाद उनका प्रमाण पत्र दिया गया था उन अर्चकों की नियुक्ति नियमावली बैठक में स्वीकारी गई। जिन्हें नियमावली स्वीकार होगी उन्हें सेवा में लिया जाएगा समस्त आर्चको को 18 मंदिरों में चक्रीय क्रम से जाना होगा। अशौच की दशा में अर्चक स्वविवेक से कार्य से विरत रहेंगे। जिस प्रकार जन्माष्टमी पर्व हिंदी तिथि एवं पंचांग के अनुसार मनाया जाता है।उसी तरह पौष शुक्ल (कुर्म द्वादशी) को संतों का विचार है कि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाए वर्ष 2025 में यह तिथि 11 जनवरी को होगी।
उन्होंने कहा कि परिसर में यात्री सेवा केंद्र के निकट 3000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली द्वारा हेल्थ केयर सिस्टम विकसित किया जाएगा जिसमें अल्ट्रासाउंड आदि की सुविधाएं भी रहेंगी। परिसर के दक्षिणी कोने में 500 लोगों के बैठने के लिए प्रेक्षागृह अतिथि समागृह तथा ट्रस्ट का कार्यालय निर्माण के लिए महंथ नृत्य गोपाल दास जी ने पत्थर का अनावरण कर शुभारंभ किया। गर्मी और वर्षा से यात्रियों को बचाने हेतु मंदिर तक अस्थाई जर्मन हैंगर लगाए गए थे। अब यहां 9 मीटर चौड़े और लगभग 600 मीटर लंबे स्थाई शेड का निर्माण होगा जिसका कुछ हिस्सा राजकीय निर्माण निगम उत्तर प्रदेश तथा कुछ हिस्सा एलएनटी को दिया गया है ।
निर्माण प्रगति में क्रमशः सप्त मंडल मंदिर, मार्च तक शेषावतार मंदिर अगस्त तक और परकोटा अक्टूबर तक बनकर पूर्ण होगा। पत्रकार वार्ता में ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र तथा गोपाल राव भी शामिल थे।
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