विश्लेषण

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद एक बार फिर कथित लिबरल और निष्पक्ष पत्रकारों की कलई खुली

Published by
सोनाली मिश्रा

महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के परिणाम आते ही एक बार फिर से कथित निष्पक्ष और लिबरल पत्रकारों की असलियत सामने आ गई है। कई कथित निष्पक्ष पत्रकार एक बार फिर से उसी सदमे में नजर आए जिस सदमे में वे हरियाणा के विधानसभा चुनावों के बाद चले गए थे। यह सदमा इतना भयानक था कि वे झारखंड में इंडी गठबंधन की विजय का भी उल्लेख कम कर पाए।

या फिर यह कहें कि झारखंड में भी कॉंग्रेस का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, इसलिए उसे अनदेखा कर दिया गया। यह धारणा है कि कॉंग्रेस की जीत से ही मोदी को प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वह राहुल की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी की एक बार फिर से पुष्टि करेगी और किसी भी क्षेत्रीय क्षत्रप के आगे बढ़ने का अर्थ होगा राहुल की काबिलियत पर सवाल। क्या यही कारण है कि झारखंड में हेमंत सोरेन की जीत को किनारे कर दिया गया। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी की हार पर उन पत्रकारों का स्तब्ध होना बहुत ही स्वाभाविक लगता है, जो लगातार ही न जाने कितने समय से अपने तमाम शोज में यह साबित करने से थक नहीं रहे थे कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी बहुत बुरी तरह से पराजित होने जा रही है।

कई चैनल्स लगातार यह विमर्श बना रहे थे कि भाजपा कितनी बुरी तरह से हार रही है और मोदी और शाह कितने चौंक गए हैं। पूर्व में पत्रकार रहे दीपक शर्मा के चैनल पर ऐसे ही शीर्षकों के साथ तमाम वीडियोज़ थे। जैसे एक शो था कि “मुंबई पलटने जा रहा दिल्ली का गेम! महाराष्ट्र में मोदी 20 सीटों पर सिमट रहे!” गूगल पर दीपक शर्मा के और भी ऐसे वीडियो हैं। जिनके शीर्षक ऐसे ही हैं। जैसे महाराष्ट्र में मोदी की हवा टाइट! लाल किताब से घबराई बीजेपी!” “मोदी शाह का बैंड बजाने जा रहे ठाकरे पवार!”

एक समय में पत्रकार रहे पुण्यप्रसून बाजपेई भी महाराष्ट्र से मोदी को भगा रहे थे।

जैसे ही चुनाव परिणाम आने आरंभ हुए, ये सभी लोग हैरान रह गए। इनके चैनल पर चर्चाएं जहां पहले ये थीं कि कैसे भाजपा हारने जा रही है, कैसे शिवसेना के साथ किया गया कथित धोखा भाजपा को नुकसान पहुंचाने जा रहा है और कैसे शिवाजी की भूमि “गुजरातियों” को बाहर निकालने जा रही है, तो वहीं नतीजों के स्पष्ट होते ही चर्चाओं का रुख ईवीएम पर हो गया। एक चैनल ने तो यहाँ तक दावा कर दिया कि चंद्रचूड़ का भाजपा की जीत में योगदान है। कथित किसान कार्यकर्ता योगेंद्र यादव इन चुनाव परिणामों को लेकर कई चैनलों पर गए थे। योगेंद्र यादव के लोकसभा परिणाम के आँकलन भाजपा को लेकर लगभग सटीक रहे थे, मगर यह भी सच है कि हरियाणा के विधानसभा चुनावों में उनका आँकलन पूरा विफल रहा था। महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों को लेकर तो उन्होनें जो कहा वह और भी हैरान करने वाला था।

उन्होंने जनता के मत को पूरी तरह से जैसे नकार ही दिया था। उन्होंने कहा कि “लोकसभा चुनाव के बाद जनता ने लोकतंत्र को बचाने के लिए जो खिड़की खोली थी हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों के बाद वो खिड़की छोटी होती नजर आ रही है। आज इंडिया गठबंधन के लिए जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

इसी बीच जर्मनी के कथित निष्पक्ष इंफ्लुएंसर ध्रुव राठी का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें उसने महाविकास अघाड़ी का प्रचार करते हुए आरंभ के छ महीनों की योजनाओं की भी बात कर रहा है।

ऐसा कहा जाता है कि ध्रुव राठी के कारण लोकसभा चुनाव 2024 में कॉंग्रेस को काफी फायदा हुआ था। ध्रुव राठी के कॉंग्रेस समर्थन के कई वीडियोज़ वायरल होते रहते हैं।

स्वरा भास्कर जिनके शौहर इस बार अणुशक्ति नगर से एनसीपी (शरद पवार) की ओर से चुनाव लड़ रहे थे, ने चुनाव प्रचार के दौरान तो भड़काऊ बातें कहीं ही, मगर जैसे ही फ़हाद पिछड़ना आरंभ हुए, वैसे ही चुनाव आयोग पर उँगलियाँ उठानी आरंभ कर दीं।

ऋचा चड्ढा जैसी अभिनेत्रियाँ भी ईवीएम पर सवाल उठाती हुई दिखाई दीं। कई कथित निष्पक्ष पत्रकारों ने चुनाव के परिणामों को स्क्रिप्टेड बताया। और यह जताने का प्रयास किया कि झारखंड जानबूझकर जिताया गया है। ऐसी ही कुछ पोस्ट्स का स्क्रीनशॉट कई लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा किए हैं। प्रश्न यह नहीं है कि लोग अपना मत नहीं दे सकते हैं। किसी भी लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपना मत रखने का अधिकार होता है, मगर यह अधिकार किसी को नहीं होता है कि वह एक ऐसे शब्द की आड़ में अपना एजेंडा चलाए जिसे जनता का पक्ष रखने वाला कहा जाता है।

सरकार को जनता ही चुनती है और यह जनता ही है जो यह तय करती है कि कौन प्रतिपक्ष में बैठेगा। सरकार और विपक्ष दोनों ही जनता के पक्ष हैं और दोनों के ही द्वारा किये गए गलत और सही कामों पर पत्रकार की रिपोर्टिंग निष्पक्ष होनी चाहिए। पत्रकारिता की आड़ में केवल हिंदू विरोध का एजेंडा चलाकर जनता के मत को प्रभावित करने की छूट किसी को नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह लोकतंत्र का अपमान है, यह जनता का अपमान है।

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