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मजहबी उन्मादी कर रहे Bangladesh का इस्लामीकरण, अब फांसी दी जाएगी ‘इस्लाम व पैगंबर की बुराई’ करने वालों को!

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उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रकार ​की बात करना ही बताता है कि इस्लाम, शरिया या पैगंबर को लेकर उसकी सोच भी कितनी कट्टर हो चली है। इस तरह की टिप्पणी करने वाली उच्च न्यायालय की उक्त पीठ में दो जज थे, न्यायमूर्ति एम.आर. हसन तथा न्यायमूर्ति फहमीदा कादर। इतना ही नहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में काम कर रहे एक मौलवी खालिद ने यहां तक कह दिया है कि देश में एक बड़ी मस्जिद को सऊदी अरब की मदीना मस्जिद जैसा बनाए जाने का काम शुरू होने वाला है।


बांग्लादेश अब तेजी से पाकिस्तानी आईएसआई के चंगुल में फंसकर कट्टर इस्लामी कायदे लागू करता जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से वहां स्थितियां तेजी से बदतर होती जा रही हैं और वह देश मजहबी उन्मादी तत्वों के शिकंजे में जाते हुए विकास की बजाय विनाश की ओर बढ़ रहा है। पाकिस्तान के दानवी कानून ईशनिंदा की तर्ज पर अब वहां भी इस्लाम और पैगम्बर पर कुछ भी गलत बोलने वालों को मौत की सजा का प्रावधान करने की तैयारी है। चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान की तरह यहां भी इसकी आड़ में अल्पसंख्यक विशेषकर हिन्दुओं को निशाना बनाया जाएगा।

इस संबंध में बांग्लादेश उच्च न्यायालय की एक पीठ ने एक निर्णय देते हुए साफ कहा है कि कुरान तथा पैगंबर को लेकर बेमतलब की बेशर्म और भड़काऊ बातें बोलने के लिए मौत की या उम्रकैद की सजा की व्यवस्था होनी जरूरी है। पीठ ने इस मुद्दे पर देश की संसद तक को सोचने को कहा है।

अदालतों से इस प्रकार के विचार आने लगें तो यह समझ लेना चाहिए कि बांग्लादेश का इस्लामीकरण होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। वहां यूनुस की अंतरिम सरकार तो पहले से इस्लामीकरण और शरिया की बातें कर चुकी है और वहां के कठमुल्ले हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों के खून के प्यासे हो चुके हैं।

उच्च न्यायालय यूनुस की अंतरिम सरकार को अल्पसंख्सकों पर और जुल्म करने की एक प्रकार से छूट देता है

सरकार की उन कोशिशों को एक प्रकार से अदालतों का संबल भी मिल गया है। उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रकार ​की बात करना ही बताता है कि इस्लाम, शरिया या पैगंबर को लेकर उसकी सोच भी कितनी कट्टर हो चली है। इस तरह की टिप्पणी करने वाली उच्च न्यायालय की उक्त पीठ में दो जज थे, न्यायमूर्ति एम.आर. हसन तथा न्यायमूर्ति फहमीदा कादर।

इतना ही नहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में काम कर रहे एक मौलवी खालिद ने यहां तक कह दिया है कि देश में एक बड़ी मस्जिद को सऊदी अरब की मदीना मस्जिद जैसा बनाए जाने का काम शुरू होने वाला है। यानी अब बांग्लादेश में किसी तरह के सेक्यूलरिज्म के बारे में सोचना तक अपराध जैसा माना जाएगा।

उच्च न्यायालय के उक्त दोनों जजों ने ‘ईशनिंदा’ कानून और सजाए मौत की बात करके सरकार में बहुतायत में मौजूद कट्टरपंथियों के हौसलों को हवा ही दी है। इतना ही नहीं, अदालत का संसद को ​इस दिशा में सोचने को कहना अंतरिम सरकार को अल्पसंख्सकों पर और जुल्म करने की एक प्रकार से छूट देता है।

अदालत का कहना है कि इस्लाम या पैगम्बर के विरुद्ध उकसावे वाली तकरीरें देना अथवा किसी मजहब के मानने वालों को आहत करता है, अथवा उन्हें डराता, आतंकित करता है तो इसके लिए कठोर सजा देने की व्यवस्था बननी चाहिए, सजाए मौत या उम्रकैद पर संसद को सोचना चाहिए। ऐसे अपराधों के लिए जमानत का भी प्रावधान नहीं रखना चाहिए। हालांकि अदालत ने यह कहते हुए बड़ी होशियारी से ‘किसी भी मजहब’ की बात की है, लेकिन असल में नतीजा वहां पाकिस्तान वाला होना तय है जहां बर्बर ईशनिंदा कानून की आड़ में हिन्दुओं अथवा ईसाइयों को बेमतलब जेलों में डाला जाता या मार डाला जाता है।

मजहबी उन्मादियों के एक जत्थे ने एक हिन्दू किशोर उत्सव मंडल (इनसेट में) को सरेआम पीट—पीटकर लगभग मार ही डाला था

दोनों जज किसी भी मजहब’ से पहले जो ‘इस्लाम और पैगम्बर का अपमान’ बोले, उससे उनकी मंशा साफ हो जाती है। साफ हो जाता है कि वे परोक्ष रूप से देश में कट्टरपंथी तत्वों को हवा ही दे रहे हैं।

हाल की एक घटना बांग्लादेश में आज की कट्टर मानसिकता से पर्दा हटाने के लिए काफी है। मजहबी उन्मादियों के एक जत्थे ने एक हिन्दू किशोर उत्सव मंडल को सरेआम पीट—पीटकर लगभग मार ही डाला था, क्यों उसने ‘ईशनिंदा’ का अपराध किया था। ऐसी एक नहीं, अनेक घटनाएं हो चुकी हैं जिन पर अदालत ने कभी संज्ञान नहीं लिया। 5 अगस्त 2024 के बाद हिन्दुओं को चुन—चुनकर मारने वाले अपराधी आज भी खुले घूम रहे हैं, लेकिन अदालत की नजर में शायद वे अपराधी नहीं हैं। उलटे, अब अदालत ऐसे अपराधियों के हाथ ही मजबूत करती दिख रही है।

बांग्लादेश में कुर्सी पर अमेरिका की वोक जमात के चहीते यूनुस को बैठाकर उनकी आड़ में सत्ता की असली चाबी इस्लामी उन्मादियों के पास है। कानून, फौज, पुलिस, विश्वविद्यालय, प्रशासन अब उनके इशारों पर नाचता है। इसलिए आश्चर्य नहीं कि अब बांग्लादेश को पाषाण युग में ले जाते हुए वहां मदीना जैसी मस्जिद खड़ी कर ली जाए। यूनुस सरकार का नेता खालिद हुसैन चटगांव की एक मस्जिद को उस रूप में ढालने की तैयारी का खुलासा कर ही चुका है। देश चलाने को भीख का कटोरा थामे यूनुस की सरकार इस ‘मदीना’ को बनाने के​ लिए 10 करोड़ रुपए तक लगाने का मन बना चुकी है।

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