तमिलनाडु सरकार के द्वारा दी गई सरकारी जमीन को अवैध तरीके से बेचने के मामले में चर्च ऑफ साउथ इंडिया एसोसिएशन और चर्च ऑफ साउथ इंडिया बुरी तरह से फंस गया है। इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने सीबीआई को इन दोनों ही संगठनों से संबंधित सभी अधिकारियों समेत दूसरे लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है।
मामला कुछ यूं है कि मदुरै जिले के तल्लाकुलम में डीएमके सरकार ने अमेरिकन बोर्ड ऑफ कमिश्नर्स फॉर फॉरेन मिशन्स को जरूरतमंद महिलाओं के लिए औद्योगिक घर बनाने और इसकी जमीन पर खेती करने के उद्देश्य से 31.10 एकड़ जमीन दी थी। जमीन देते वक्त ये शर्त थी कि खेती से प्राप्त होने वाली आय का इस्तेमाल औद्योगिक घरों में रहने वाली महिलाओं के लिए किया जाए।
हालांकि, बाद में चर्च ऑफ साउथ इंडिया यानि कि मदुरै रामनाद डायोसिस की नीयत बिगड़ गई। इसके ले सेक्रेटरी ने कुछ सरकारी अधिकारियों को अपने साथ मिलाया और एक पॉवर डीड बनाई और फिर पूरी जमीन को निजी हाथों में बेच दिया। इसी मामले को लेकर ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय के अध्यक्ष डी देव सहायम ने मद्रास हाई कोर्ट में एक पीआईएल फाइल की और कोर्ट से इसकी जांच की मांग की। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस केके रामकृष्णन ने सीबीआई के इसकी जांच का आदेश दे दिया।
अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि यूनाइटेड चर्च बोर्ड फॉर वर्ल्ड मिनिस्ट्रीज की संपत्तियों को सीएसआईटीए को ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसके बाद उसी के अधिकारियों ने साजिश के तहत सीएसआई को भी इसमें शामिल किया और फिर अवैध तरीके से जमीनों को बेचा। कोर्ट ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि यह मामला प्रथम दृष्टया सीबीआई से जांच के लायक है। हाई कोर्ट का कहना था कि जिन उद्देश्यों के लिए जमीनें दी गई हैं, अगर उसके लिए उनका उपयोग नहीं होता है तो इसे सरकार को वापस कर दिया जाना चाहिए था।
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