पार्श्व गायक, गीतकार, निर्माता और हाल ही में आई फिल्म अरमन के नायक शिवकार्तिकेयन, जो हर रास्ते को मंजिल तक ले जाते हैं। गोवा में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव(IFFI) में उन्होंने शिरकत की। जब तमिल सुपरस्टार कार्तिकेयन पणजी में कला अकादमी के ऑडिटोरियम में पहुंचे तो हॉल तालियों से गूंज उठा। उन्होंने फिल्म महोत्सव में खुशबू सुंदर के साथ एक सत्र में बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपनी सफलता के राज तो बताए ही, साथ ही जीवन में मिले सबक को भी साझा करने में संकोच नहीं किया।
शिवकार्तिकेयन की अब तक की यात्रा साधारण शुरुआत से लेकर तमिल सिनेमा के चमकते सितारों में से एक बनने तक की यात्रा है। धैर्य, जुनून और दृढ़ आत्मविश्वास उनमें साफ झलकता है। अभिनेता और राजनीतिज्ञ खुशबू सुंदर के साथ बातचीत में उन्होंने युवाओं को करियर में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
तमिल सुपरस्टार ने कहा कि सिनेमा मेरा जुनून रहा है और मैं हमेशा दर्शकों का मनोरंजन करना चाहता था। इसलिए टेलीविजन से एंकरिंग की शुरुआत की। मिमिक्री कलाकार के रूप में अपने शुरुआती दिनों को भी उन्होंने याद किया। शिवकार्तिकेयन ने बताया कि वह इंजीनियरिंग कॉलेज में अपने प्रोफेसर की नकल करते थे। बाद में उनसे जब माफी मांगी तो उन्होंने इस प्रतिभा को सही तरीके से इस्तेमाल करने की सलाह दी। उन्होंने प्रोत्साहित किया।
अभिनेता ने बताया कि पिता के असामयिक निधन के बाद वह लगभग डिप्रेशन में चले गए थे। काम ने इस अवसाद से बाहर निकाला और दर्शकों की सीटियां और तालियाँ मेरी थेरेपी बन गई। उन्होंने प्रशंसकों के प्यार और समर्थन को इसका श्रेय दिया।
खुशबू सुंदर ने उनके दृढ़ संकल्प और ईमानदारी की प्रशंसा की। इसे उन्होंने उनके जीवन का सबसे बड़ा सहारा बताया। शिवकार्तिकेयन ने कहा कि जीवन में बाधाएं होती हैं, लेकिन जुनून से इन बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है। एक समय ऐसा भी था जब मुझे लगा था कि अब हार मान लेनी चाहिए लेकिन दर्शकों के प्यार ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
अपने फिल्मी सफर के बारे में तमिल सुपरस्टार ने बताया कि उन्होंने अपने सामने आने वाले हर प्रोजेक्ट को स्वीकार किया। लेकिन अब लगता है कि कहानियां उन्हें चुन रही हैं। उन्होंने डॉक्टर, डॉन और हाल ही में आई अमरन फिल्म का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि टेलीविजन से सिनेमा में जाना कठिन था। मैंने हास्य को अपना कवच बनाया।
युवाओं को दिया ये संदेश
शिवकार्तिकेयन ने युवा पीढ़ी के लिए कहा कि एक उन्मुक्त पक्षी की तरह उड़ो, लेकिन हमेशा अपने नीड़ में लौट आओ। मेरे लिए, मेरा परिवार मेरा नीड़ है और मेरा मानना है कि जड़ों से जुड़े रहना बहुत जरूरी है। हमारे माता-पिता हमारे लिए केवल सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं।
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