हिमाचल प्रदेश का किन्नौर जिला और चितकुल गांव फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, शांत वातावरण, और अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर के साथ ये स्थान हर कैमरे के लेंस को खींचने का सामर्थ्य रखते हैं। यदि आप हिमालय की अद्भुत छटाओं को कैद करना चाहते हैं, तो किन्नौर और चितकुल आपकी सूची में होने चाहिए।
किन्नौर, हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा जिला है जो बर्फीले पहाड़ों, हरे-भरे बागानों, और अनछुए प्राकृतिक नजारों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ फोटोग्राफी के लिए अनगिनत अवसर प्रदान करता है।
सांगला घाटी को अक्सर ‘हिमाचल का स्वर्ग’ कहा जाता है। यहां की कलकल बहती बास्पा नदी, बर्फ से ढके पहाड़, और सेब के बगीचे तस्वीरों के लिए एक परफेक्ट बैकड्रॉप बनाते हैं। घाटी का हर कोना फोटोग्राफर्स को नए अनुभव देता है।
सांगला घाटी के पास स्थित यह किला किन्नौर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। किले की पारंपरिक वास्तुकला और आसपास के नजारे आपके कैमरे में कुछ अनोखे फ्रेम जोड़ सकते हैं।
किन्नौर का मुख्यालय रिकांग पिओ, किन्नर कैलाश पर्वत श्रृंखला के शानदार नजारे प्रस्तुत करता है। यह स्थान सूर्योदय और सूर्यास्त के शॉट्स के लिए परफेक्ट है।
चितकुल, जिसे ‘हिंदुस्तान का आखिरी गांव’ कहा जाता है, अपने शांत और सुरम्य वातावरण के लिए जाना जाता है। यह गांव सांगला घाटी के अंत में स्थित है और बास्पा नदी के किनारे बसा है।
बास्पा नदी
चितकुल में बहने वाली बास्पा नदी की पारदर्शी जलधारा और उसके किनारे की हरियाली, फोटोग्राफी के लिए एक स्वप्निल दृश्य बनाती है। नदी के पास बैठकर सूर्योदय या सूर्यास्त के दौरान खींची गई तस्वीरें अनमोल होती हैं।
चितकुल के घर और मंदिर पारंपरिक किन्नौरी शैली में बने हुए हैं। उनकी लकड़ी की नक्काशी और निर्माण शैली, फोटोग्राफी के लिए अद्वितीय फ्रेम प्रदान करती है।
चितकुल से दिखने वाले हिमालय के बर्फीले पहाड़ फोटोग्राफी के लिए एक शानदार बैकड्रॉप हैं। यहां सर्दियों में बर्फ से ढका नजारा बेहद आकर्षक होता है।
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