उत्तराखंड

देहरादून में मुस्लिम गैंग फर्जी दस्तावेजों से घर-जमीन पर करता है कब्जा, शेरखान, अरमान व अन्य के खिलाफ केस दर्ज

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दिनेश मानसेरा

देहरादून:  उत्तराखंड राज्य बनने के बाद बीस सालों तक भूमि संबंधी रिकार्ड सहारनपुर कमिश्नरी में रहने की वजह से यहां के भू माफियाओं ने फर्जी दस्तावेज बनवा कर देहरादून के संभ्रांत नागरिकों, एन आर आई की संपत्तियों पर दावे करने का षड्यंत्र रचा हुआ है। इनमें ज्यादातर गैंग मुस्लिम समुदाय से हैं जो यहां कई सालों से सक्रिय है।

हालांकि, पूर्व जिलाधिकारी सोनिका सहारनपुर से भू राजस्व दस्तावेज निकाल कर देहरादून ले आई हैं, लेकिन यहां भी वही गैंग अपने कामों को अंजाम देने में कामयाब हो रहा है। देहरादून में राजपुर थाने में एक रिपोर्ट दर्ज की गई है कि अमेरिका में रहने वाली ऋतु मेहता ने किशनपुर में रहने वाली अपनी मित्र सुमन देवी को अपने बंगले की देखरेख की जिम्मेदारी दी हुई है। सुमन ने बताया कि कुछ लोग उसके बंगले में जबरन घुस आए, जिन्हें अपने परिचितों की मदद से बाहर निकलवाया।

बाद में मालूम हुआ कि बंगले के बराबर में फरमान इलाही नामक युवक रहता है, जिसने सहारनपुर से अपने परिचितों को बुलाकर कोठी पर कब्जे का प्रयास किया। पुलिस की जांच में पता चला कि इलाही ने सहारनपुर गैंग से मिलकर मकान के फर्जी दस्तावेज बनवाए और अब उसे बेचने का प्रयास कर रहा है। एसएसपी अजेय कुमार के मुताबिक, पुलिस ने इस मामले में सहारनपुर के रहने वाले शेरखान, सलमान, इम्तियाज अब्दुल मतीन,  देहरादून निवासी फरमान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

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बताया जाता है फरमान मूलतः दिल्ली का रहने वाला है और वे देहरादून में ऐसी संपत्तियों पर नजर रखता है, जिसके स्वामी बाहर रहते हों ताकि उनके फर्जी दस्तावेज बना कर अपना कब्जा कर सके। देहरादून में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें फर्जी भू दस्तावेजों को बनाकर भू स्वामियों को परेशान किया जा रहा है, उनके ऐसे कई मामले कोर्ट कचहरी में चल रहे हैं। शत्रु संपत्तियों से जुड़े भी ऐसे कई मामले फर्जी दस्तावेजों के कारण जिला प्रशासन की कोर्ट में पेंडिंग चल रहे हैं।

टाइप राइटर, पुराने स्टांप पेपर और शब्दावली से तैयार करते हैं फर्जी दस्तावेज

जानकारी के मुताबिक, सहारनपुर गैंग के सदस्य पुरानी ऊर्दू हिंदी शब्दावली, पुराने स्टांप पेपर और उस पर पुराने टाइप राइटर की प्रिंटिंग के आधार पर हूबहू असली जैसे फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं और उसके बाद स्थानीय लोगों को नोटिस जारी करते है या फिर सीधे दबंगियत से उसकी संपत्ति पर कब्जे करते हैं। इस गैंग के सदस्य नगर निगम, तहसील, निबंधक कार्यालयों में सक्रिय रहते हैं और निचले तबके के सरकारी कर्मचारियों से मिलकर अपना काम करते हैं। जबरन कब्जा करने के षड्यंत्र में पूर्व में कुछ पुलिस कर्मियों की भी पहचान की गई थी।

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