गत 16-17 नवंबर को लखनऊ में ‘अवध चित्र साधना’ तथा जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान मेें एक ‘फिल्म महोत्सव’ आयोजित हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि भारत में सिनेमा प्रारंभ करने का श्रेय दादा साहेब फाल्के को जाता है। उनकी पहली फिल्म थी-‘राजा हरिश्चंद्र्र।’ फाल्के भारतीय संस्कृति से प्रेरित होकर फिल्म बनाते थे। उन्होंने कहा कि सिनेमा सामाजिक समस्याओं का चित्रण करने के साथ ही मनोरंजन भी करता है।
अवध चित्र साधना फिल्म महोत्सव का उद्देश्य है मनोरंजन के साथ-साथ भारतीय किस्सों, प्रेरक कहानियों जैसे विषयों को बढ़ावा देना और नई पीढ़ी को फिल्मों के माध्यम से प्रेरणा देना। अवध चित्र साधना संस्था के अध्यक्ष प्रो. गोविंद पांडेय ने कहा कि आज की फिल्में पुरानी तकनीक से निकलकर नई तकनीक के साथ समाज को आनंदित कर रही हैं।
उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने कहा कि फिल्में समाज का दर्पण होती हैं। इनके माध्यम से मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों का प्रदर्शन किया जाता है। अवध चित्र साधना के सचिव अरुण त्रिवेदी ने कहा कि यह संस्था अवध क्षेत्र के लोगों को फिल्म प्रदर्शन के लिए मंच प्रदान करती है।
टिप्पणियाँ